Header Ads Widget

my story my family

मेरे परिवार की कहानी my story my family

हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया एक बार फिर आपके सामने एक और बेहतरीन इमोशनल स्टोरीस को लेकर आया हु . यह स्टोरी एक लाइव स्टोरीस है जो आम परिवार की होती है आज 21 वि शदी में परिवार को चलाना बहुत ही मुश्किल भरा काम है आज समाज में सबसे बड़ी यही समस्या है व्यक्ति अपने परिवार को कैसे मैनेज करे कैसे चलाए . यही बाते सब को परेशान करती है . बस इसी को लेकर एक पोस्ट लाया हु .जो आपको बहुत ही पसंद आएगी . 


my family मेरा परिवार 

दोस्तों में कोई लेखक नहीं हु में सिर्फ जो महसूस करता हु बस उसी को आपके सामने पेस कर रहा हु इस पोस्ट को लिखने का मकसद सिर्फ इतना है की अगर कोई व्यक्ति इस पोस्ट को पड़ेगा और उसे इससे कुछ मोटिवेशन मिले एक टूटता परिवार बापस एक हो जाए तो मेरा लिखना सफल हो जाएगा . इस पोस्ट का मकसद किसी परिवार को ठेस पहुचना नहीं है मेरा मकसद सिर्फ परिवार क्या है और परिवार कैसा होना चाहिए इस पर ही हम बात कर रहे है . हमारा मकसद अगर आप एक संयुक्त परिवार में रहते है तो आपको किन -किन बातो को ध्यान में रखना चाहिए की जिससे आपका परिवार एक मिशाल बने सभी के लिए हमारा सिर्फ यही मकसद है .

परिवार क्या है . my story- Short story on my family


my story my family

            

    परिवार 

परिवार क्या है और कैसा होना चाहिए यह सब की एक अलग -अलग धारणा है सब व्यक्ति अलग अलग सोचते है सब व्यक्ति की अलग अलग परिभाषा होती है सभी परिवार को लेकर अलग अलग सोच रखते है लेकिन सभी की सोंच आती तो परिवार पर ही है .इस दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं होगा . जो अपने परिवार के बारे में नहीं सोचता है अपने परिवार को खुश ना देखना चाहते हो . हर व्यक्ति अपने परिवार को खुश देखना चाहते है 

Write a story about my family

,,लेकिन मेरा एक सवाल आप सभी से यह है के परिवार होता क्या है ,, इसकी क्या परिभाषा है 

एक बात कहू आज  का समय आधुनिक युग का समय है इस कारण आज लोग भी आधुनिक हो गए है आज हर व्यक्ति परिवार के बारे में अलग धारणा रखते है और सभी व्यक्ति अलग सोचते है . 

हमारी सोच - 1 - my story 

दो पहलू पर काम करती है पहली सोच व्यक्ति यह रखता है के सादी हो जाए .पत्नी आजाये बस फिर किसी शहर में अपना एक मकान होगा . सभी से दूर पास पति -पत्नी और अपने बच्चे एक जगह मिल कर रहंगे . बस यही सोंच व्यक्ति रखता है मेरा भला हो . बस बाकी किसी से कोई मतलव नहीं . बस यही सबकी धारणा रहती है में यह नहीं कहना चाहता हु पर आज समय को देखकर  यह कहना पड़ता है के आज व्यक्ति अकेला रहना पसंद करता है पर ऐसा क्यों .क्या परिवार में सिर्फ पति .पत्नी . और बच्चे ही होते है इसके आलावा और कोई नहीं होता है  


my story my family

                                                        सास और बहु 

हमारी सोंच -2- कही कही पर एक ऐसी सोंच रखने बाले भी व्यक्ति मिल जाते है पर 100 में से 1 या 2 व्यक्ति ही ऐसे मिलते है जो परिवार की धारणा को इस प्रकार से बताते है की -परिवार वह होता है जिसमे एक सयुंक्त परिवार होता है जहा पर पिताजी - माताजी ,  भाई - वहन , पति -पत्नी बेटे -बेटी दादा -दादी इन सब को मिलकर एक सयुंक्त परिवार बनता है बहुत कम लोग ऐसे होते है जो ऐसा सोचते है . 

यह सोच कहा चली गई अब ऐसा लोग क्यों नहीं सोचते है सब अपने परिवार से दूर रहना क्यों पसंद करते है पति पत्नी को मिलाकर ही परिवार क्यों  मानते है उसमे क्या और सदस्य नहीं होते है , क्या भाई - वहन , माता -  पिता हमारे परिवार की क्षेणी में नहीं आते है क्या वो हमारा परिवार नहीं है क्या हम उनसे अलग है क्या वो हमसे हमारा धन छुड़ा रहे है , या फिर हम उनका पेट भरना नहीं चाहते है या फिर हम यही सोचते है के सादी कर लो फिर माता -पिता से अलग हो जाओ वस् यही सोंच को लेकर हम यह बात को यहाँ रख रहे है .  

पारिवारिक शिक्षाप्रद कहानियां

परिवार क्यों टूटता है क्यों बच्चे अपने माता -पिता भाई वहन को बोज समझते है यही टोपिक पर हम यह पोस्ट बना रहे है आसा है के आप जब ये पोस्ट को पड़े तो आप खुद अपने परिवार को अपने दिमाक में रख कर इस पोस्ट को पड़े . तब इस पोस्ट का मकसद पूरा जो जायेगा और आपको आपके हर सबाल का जबाव मिल जाएगा . 

महत्वपूर्ण भूमिका ;- 

  1. स्वयं की भूमिका 
  2. पिता की भूमिका .
  3. माता की भूमिका .
  4. पति  की भूमिका .
  5. पत्नी की भूमिका 
  6. भाई की भूमिका ,
  7. बेटे की भूमिका . 

स्वयं की भूमिका ;- 

एक बात कहू आज का समय आधुनिक क्या हो गया , लोग  अब  एक दुसरे पर विस्वास करना भी पसन्द नहीं करते है देखे तो सब लोगो में विस्वास की कमी होती जा रही है पर ऐसा क्यों हो रहा है लोगो में विस्वास की कमी क्यों होती जा रही है यह सब स्वयं की भूमिका पर ही निर्भर करता है के आप किस पर विस्वास करे या ना करे . आज तो लोग अपने बीबी बच्चे पर भी विस्वास नहीं करते है बस उन्हें हर समय लगता है के कही उसे कोई धोखा दे रहा है यह सब विचार कैसे आते है 

यह सब हमारी मानसिकता पर ही निर्भर करता है जैसा हम सोचते है वैसी ही हमारी हम सोंच बनालेते है सब नजरिये की बात है जो जैसा सोचेगा वो वैसा ही करेगा . 

 जब व्यक्ति को खुद पर विस्वास ना हो उसमे विस्वास की कमी होती है तो वह धीरे धीरे दुसरो पर विस्बास कम करने लगता है अगर व्यक्ति स्वयं पर विस्वास करे तो वह सब पर विस्वास रख सकता है हम यु नहीं कहते के सभी पर विस्वास करो पर आप विस्वास करने की कोशिस तो कर ही सकते है हर रिश्ता विश्वास मांगता है विस्वास नहीं तो रिश्ता नहीं . अगर आपको आपका रिश्ता मजबूत करना चाहते है तो आपको अपने साथ रहने बालो के ऊपर विस्वास तो करना ही होगा . 

जो आप पर आँखे बंद करके विस्वास करता है उससे आप कभी भी झूठ मत बोलो . विस्वास हमेशा बना रहेगा . 

अगर आप झूठ बोलते है तो कभी न कभी उसका भुगतान आपको करना पड़ेगा . 

इस लिए अगर आप अपनी भूमिका को सही  रखना चाहते है आप चाहते है के सभी लोग आप पर विस्वास करे . आपका मान सम्मान करे . तो आपको अपनी  भूमिका में सुधार करना होगा . 

  1. स्वयं पर विस्वास करे .
  2. जब आप स्वयं पर विस्वास करेंगे तो आप दुसरो पर भी विस्वास करना सिख जायेंगे .
  3. हमेश सच बोलो .  
  4. अपने आपको हमेशा सही साबित करने की कोशिश न करे .
  5. दुसरो की भी सुने .वे लोग आपसे क्या आपेक्षा रखते है .
  6. आप जिस भी भूमिका में रहे . उस भूमिका को सर्वोक्षेष्ट प्रदान करे .
  7. खुद आकलन करे के जो आप कर रहे हे वो सही है या गलत . 

अगर आपके अन्दर ये गुण विकसित हो गया तो आप कभी भी गलत साबित नही  होंगे . अपनी गलती को पहचाने . और उनमे सुधार करे .अगर ये सुधार आपमें आया तो आप अपनी भूमिका को सही  साबित करेंगे और उसके लायक बनेंगे . हमें दुसरो की गलती न निकाल कर अपनी गलती को पहचानने की कोशिश करे  . 

पिता की भूमिका . बच्चों की शिक्षा वाली कहानियां


my story my family


        
                                      पिता 

अगर आप पिता की भूमिका में है तो आपके ऊपर पुरे परिवार की जवावदारी होगी . अब ये आपके ऊपर है के आप क्या अपनी भूमिका को निभाना चाहते है या आप अपने कर्तव्य से दूर हो जाते है . जब आप किसी  के पिता बनते है . तो उससे पहले आप ये भी सोच ले के कोई आपका भी पिता है . आप अपने बच्चो को दुनिया की सारी ख़ुशी देना चाहते है कोई भी पिता हो वो अपने बच्चो को सर्वक्षेष्ट ही देना चाहता है चाहे  वो भूखा रहे .मतलब चाहे गरीब पिता हो या आमिर पिता अपने बच्चो को हमेशा खुश देखना चाहता है . 

बस अगर आप चाहते है के आपके बच्चे आप का ख्याल रखे तो आपको भी एक जबाब दारी उठानी पड़ेगी के आप भी अपने माँ -बाप की देखभाल करे .क्योकि जो आप करोगे उसी का अनुसरण आपके बच्चे  करेंगे . वो कहते है ना के जैसा बोओगे वैसा काटोगे . 

my story my family ; privar


पिता एक जवाव दारी का शव्द  है यु कहे एक निष्पक्ष न्यायधिष जो कभी भी अपने बच्चो के साथ भेदभाव न करे चाहे पुत्र अच्छा हो या बुरा पर उसे मोका दे , उसकी हर गलती पर उसे डाटना नहीं उसे मोका देना . उसमे सुधार हो रहा है या नहीं उसका परिक्षण करना . पुत्र पुत्री  को मोका देना . यह सब गुण एक अच्छे पिता की निशानी होती है . ऐसे मेरे पिता है जिन्होंने हम तीनो भाइयो को मोका दिया ,ऐसा नहीं के हमने कोई गलती नहीं की हमने हम तीनो भाई जो अपने समय में कुछ न कुछ गलतिय की लेकिन मेरे पिता जी ने हम तीनो भाई को मोका दिया . अगर मेरे पिता जी हम लोगो को मोका नहीं देते तो सायद हम अपने पाँव पर खड़े नहीं हो पाते . आज उनकी ही सिख है के हम तीनो भाइयो में एकता है और हम तीनो भाई अपने परिवार के साथ है .  

  • मेरे पापा में एक बात अच्छी है वो फेसले में जल्दबाजी नहीं करते है .
  • वो हम तीनो भाई में भेद भाव नहीं करते .
  • वो हमेश तीनो को उनके कर्तव्यो को कैसे निर्वाह करना है वो सिख देते है .
  • हमारी गलती होने पर घर से निकलते नही हमें वो मोका देते है .
  • वो खुद इतने जबाव दार है के उनको देखकर हमे भी जवाव दारी निभाना सीखते है .

माता की भूमिका . 


my story my family

                 

                                     माता 

माँ ,, के लिए कुछ लिखू मेरी इतनी हेसियत ही नहीं है पर हा इतना ही कह सकता हु माँ इस दुनिया में भगवांन का भेजा हुआ एक ऐसा तोफा  है जो हर समय हमारा ख्याल ,  देखभाल , करता है  हमारी छोटी से छोटी जरुरत को पूरा करती है , हमारे चेहरे को देख कर ही हमारे दुःख दर्द को समझ जाती है के हमें क्या परेशानी है वो पल भर में समझ जाती है .

माँ - मेरी माँ ऐसी है जो हम को देखती है तो हमारे सभी दुखो को समझ जाती है की हमें क्या तकलीफ है माँ ऐसी होती है चाहे .वो मेरी माँ हो या आपकी माँ हमेशा ऐसी ही होती है वह तो ईश्वर का वरदान होती है जो हमारी आंखों को देख कर हमारे हर  दुख दर्द को समझ जाती  हैं इसीलिए तो उसे मां कहा जाता है

  • माँ कभी भेदभाव नहीं करती और जो करती है सायद वो माँ ही नहीं हो सकती है पर ऐसा नहीं है माँ की जगह कोई नहीं ले सकता है .
  • एक घर , एक परिवार , को सही रास्ते पे लेकर चलना माँ का ही फर्ज है वो अपने बच्चो को सही  दिशा देती है . 
  • मेने देखा है अक्सर कई माता ओ को जो अपने बेटे के भलाई के लिए अपने पति से भी लड़ जाती है .
  • माँ शव्द अव चाहे तो वो सास हो , चाहे लडके की या लडकी की दोनों होती तो माँ ही है 
  • सास अगर बहु को बहु न समझे सिर्फ अपनी बेटी समझे तो घर हमेश शांत रहेगा . कभी भी लड़ाई नहीं होगी .     


पति की भूमिका . 


पति मतलव एक परिवार में एक पुरुष जो होता है वह वेटा , पति , पिता न जाने किन - किन नाम से जाना जाता है और कहे तो यह व्यक्ति चाहे तो अपने परिवार को एक मिशाल बना सकता है , या चाहे तो उसको नर्क बना सकता है सब उसके ऊपर है . 

ऐसा क्यों - जब एक लड़की दुल्हन बनकर आती है तो वह ये नहीं जानती के कोन कैसा है वो धीरे धीरे सबको जान ने लगती है उसका पति परिवार में जिससे जैसा व्यवहार रखता है वो भी वैसा व्यवहार उसके साथ रखती है अब यहा पर लड़का चाहे तो सब सम्भाल सकता है क्योकि लडकीयो को  तो उसके घर बाले कहकर भेजते है बेटा उस घर को अपना घर मानना . वो  तेरे माता पिता है अब सब कुछ वो ही है तेरे तो बो कुछ नहीं करती जो भी भूमिका रहती है वो लड़के की [ पति ] की भूमिका रहती है अब यही से लड़के या तो अपने माता -पिता के साथ मिल जुल कर रहते है या फिर अपनी पत्नी को लेकर अलग हो जाते है . पत्नी नहीं कहती के तूम  अलग हो जाओ पति खुद अलग - अलग भागता है . और हम दोसी बहु को बताते है के मेरा बेटा  तो अच्चा था सादी के बाद वो बदल गया . बहु क्या आई उसने हमारे बेटे को हमसे छीन लिया . भले बेटा तो पहले से ही अलग होने की फिराद में था .  

ये सोच मेरे आपकी नहीं पुरे समाज की है आज सब यही सोचते है भले गलती लड़का करे पर दोसी बहु को ही माना जाता है .अब ऐसा भी नहीं कह सकते के सारे लड़के [ पति ] ही खराब है क्या बहु ख़राब नहीं हो सकती है . 

  • पति को घर में परिवार के बिच समन्वय स्थापित करते रहना चाहिए .
  • उसे यह ध्यान रखना चाहिए के सभी को खुश नहीं रखा जा सकता तो तत्काल निर्णय न ले .
  • रिस्तो में हमेशा थोडा समय दे . 
  • हर व्यक्ति को अपना अहम् बहुत  प्यारा होता है 
  • लोग कहते है पत्नी के आने पर माँ और पत्नी दोनों के बिच में ताल मेल बनाना सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है 
  • आप ऐसा माहोल न बन्ने दे जिससे के दोनों में ये महशुश हो के माँ कहे शादी के बाद बेटा बहु का हो गया अब मेरी कहा सुनता है .
  • या फिर पत्नी यु न कहे के शादी के बाद भी मेरा पति आज भी माँ की ही सुनता है . 
  • मेरे सोच के अनुसार तो सास बहु को दोनों को उनका रिश्ता खुद निभाने दो उनके बिच में कभी भी न पड़े . वो खुद मान जायेगी .

ये सब बाते कब लागू होगी जब आप अपने अपने परिवार के साथ रहना चाहते है जिसमे माँ ,पिता , भाई , बहन , दादा -दादी सब हो तो आपको परिवार में समन्वय स्थापित करना है नहीं तो कोई जरुरत नहीं शादी करो और माता -पिता से अलग हो जाओ कोई परेशानी नहीं . 

पत्नी की भूमिका -


जिस प्रकार पति की भूमिका परिवार में   महत्वपूर्ण होती है उसी प्रकार बहू या पत्नी की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती है यह अगर चाहे तो घर को स्वर्ग बना सकते है और चाहे तो उसी घर को नर्क बना सकती है सब उसी के हाथ में होता है वही एक सदस्य होती है जो ससुराल और माईके  की एक बीच की कड़ी होती है वह अगर चाहे तो अपने पति को सुधार की शक्ति और चाहे तो बिगाड़ भी सकती है यह व्यक्ति एक परिवार की अहम भूमिका निभा सकती है कैसे

  1. चाहे तो अपने पति और अपने परिवार के बीच में कभी भी लड़ाई ना होने दें
  2. जिस प्रकार वह अपने मायके में अपने परिवार वालों को अपना समझती है उसी प्रकार ससुराल में भी सभी को   अपना समझे और कभी भी लड़ाई का मौका ही ना आने दे
  3. घर में दो बातें हो ही जाती है उस बात को ज्यादा  बढ़ावा ना दें तो कुछ हद तक विवाद रुक जाता है है
  4. आजकल शादी के बाद घर परिवार से दूर हो जाते हैं हमारी यह कोशिश होनी चाहिए कि जितना हो सके हम अपने परिवार के साथ हैं

भाई की भूमिका


my story my family



          
                                                    भाई  छोटे 

भाई भाई एक ऐसा शब्द है जिसको सुनते ही ऐसा लगता है जैसे कि अगर उसका साथ हो तो फिर किसी दोस्त की जरूरत ही नहीं है है वह एक ऐसा राजदार होता है जो आपकी हर बातों को जानता है और समझता भी है वैसे अक्सर देखा जाता है कि दो भाइयों में कभी भी आज के समय में बिल्कुल नहीं बनती  है चाहे वह शादी से पहले हो या शादी के बाद हमेशा लड़ते रहते हैं है लेकिन उनका यह रिश्ता बहुत ही अटूट होता है भाई चाहे आपका छोटा हो या बड़ा हमेशा उसका सम्मान करें अगर आप ऐसा करेंगे तो भले ही आपका भाई आप को नहीं समझता हूं लेकिन अगर आप उसकी बात को सुनेंगे समझेंगे तो वह भी आपकी बात को मानेंगे एक अच्छा उदाहरण बताता हूं जब लड़की की शादी होती है और अगर उसका कोई भाई होता है या बहन होती है तो हमें  उस लड़की से सीख लेना चाहिए कि वह अपने भाई बहनों से कितना प्यार करती है है चाहे उसका भाई बड़ा हो या छोटा हमेशा उसके बारे में सोचती रहती है और एक हम हैं के अपने भाइयों से छोटी-छोटी बातों पर लड़ने  लग जाते हैं अगर हम गौर करें तो सोचो जरा कि आपकी पत्नी है आपके सालों से कितना स्नेहर है और उसके विपरीत हम क्या करते हैं हम तो छोटी-छोटी बातों पर ही अपने भाइयों से लड़ाई झगड़ा करने लग जाते हैं दूसरी और  दोस्त वह हमें प्यारे लगते हैं लेकिन जो आपके साथ आपके बचपन से रहा है वह आपको सबसे बुरा लगता है और आप उससे कभी जायदाद के नाम पर तो कभी अपने हक के नाम लड़ने लग जाते हैं ऐसा क्यों ऐसा क्यों होता है क्या कभी दो भाई बगैर लड़े नहीं रह सकते हैं


जीवन की सीख


my story my family

                                                           हम दोनों 

  • दोस्तों जैसे मैंने आपसे पहले ही कहा है मैं कोई लेखक नहीं मैंने तो अपने जीवन में जो देखा है जो महसूस किया और जो सीखा है वह एक ही बात है कि आप जितना भी समय इस दुनिया में रहते हैं हमेशा सच का साथ दें अगर आप ऐसा करते हैं तो कभी भी आपको किसी के भी सामने शर्मिंदगी नहीं उठानी पड़ेगी हां यह जरूर है कि आपके द्वारा बोला गया सच बहुत से दिलों को दुखा सकता है लेकिन एक सच बहुत सी जिंदगी यों को सुधार भी सकता है


  • अक्सर देखा गया है कि लोग कोई भी हो मै या  आप हम बाहर वालों की बहुत इज्जत करते हैं बहुत सम्मान करते हैं लेकिन जब घर की बात आती है तो उनसे मतभेद करने लग जाते हैं उसने ऐसा क्यों बोला उसने ऐसा क्यों कहा बस इसी बात पर घरवालों से ही नाराज होकर बैठ जाते हैं समझ में नहीं आता अक्सर ऐसा लोग क्यों करते हैं घर बाले उन्हें समझाईस दे तो बह बेकार है और दुसरे अगर गलत राय दे तो वो अच्छी लगती है ,
  • हम घर वालो की अपेक्छा वाहर बालो पर ज्यादा विस्वास करते है उनसे अपने दिल की बात कहते है घर बाले उस समय बुरे लगते है लेकिन वही दोस्त कुछ समय बाद आपका ही मजा लेते है और आपकी हंसी उड़ाते है . 
  • आज का समय अक्लमंद लोगो का समय है अगर उनसे सही भी कहे तो उन्हें बुरा लगता है लेकीन आप उनसे सम्पर्क ना तोड़े बात करते रहे 


  • हम अक्सर यह सोचते हैं कि मेरा बेटा जब बड़ा होगा तो वह मेरे लिए बहुत धन कमाएगा  हमें बहुत खुश रखेगा लेकिन जब हम उसकी शादी कर देते हैं तो वही लड़का एक दिन अपने मां-बाप को छोड़ कर चला जाता है ऐसा क्यों होता है क्यों शादी से पहले नहीं जा सकता था अब बात यू आती है क्या शायद उसकी बीवी ने उसे सिखाया हो अब हम सोचे कि क्या आज हम अपने बच्चों से जो उम्मीद करते हैं वही उम्मीद आपके मां-बाप भी तो आप से करते होंगे क्यों भाई आप किसी के बच्चे नहीं हैं आपको भी तो किसी ने पाला होगा क्या आपने अपने मां-बाप को खाना दिया है उनकी देखभाल की है अगर आपने करी होगी तो आपके बच्चे भी करेंगे और अगर नहीं करी है तो वह भी तो आपसे ही सीखेंगे और फिर तो रीत बन जाए के हमारे मां-बाप ने भी तो नहीं दिया उनके मां-बाप को खाना तो हम क्यों दे 
हमारी इस पोस्ट का भी अध्यन करे ;- read more ''''


दोस्तों ये पोस्ट लिखने का हमारा यही मकसद है की आप अपने परिवार से जुड़े और परिवार के साथ रहे .Short story on my family मेरे परिवार की कहानी my story my family Write a story about my family पारिवारिक शिक्षाप्रद कहानियां बच्चों की शिक्षा वाली कहा

धन्यबाद 

अनिल कुमार पलाशिया .

Post a Comment

0 Comments

hindi thoughts for students