मगध पर कितने राजवंश ने शासन किया ? MAGADH SAMRAJY KA VISTAR
हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी को लेकर आ रहा हु इस लेख में हम आपको मगध राज वंश से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में देखने को मिलेगी . इस लेख में हम आपको मगध पर कितने राजवंश ने शासन किया ? MAGADH SAMRAJY KA VISTAR से सम्बंधित सभी जानकारी आपको देखने को मिलेगी जिससे यह लेख अभूत ही महत्वपूर्ण रहेगा .
मगध पर शासन करने बाले राजवंश
मगध साम्राज्य ने भारत में 684 BC -320 तक भारत में अपना शासन किया था मगध साम्राज्य का दो महान काव्य रामायण और महाभारत में उल्लेख मिलता है की मगद साम्राज्य पर 544 BC से 322 BC तक शासन करने बाले तीन राजवंश थे
मगध साम्राज्य का इतिहास
भारत के इतिहास से मगध साम्राज्य की एक महत्वपूर्ण पोस्ट को लेकर आ रहा हु इस पोस्ट में हम मगद में जितने भी राज वंश हुए उन सभी राजवंशो की जानकारी हम इस पोस्ट में लेकर आ रहा हु इसमें मगध की उत्पत्ति से उसके अंत तक सभी जानकारी को हम इस पोस्ट मेराखेंगे .
मगध साम्राज्य का उत्कर्ष / मगध साम्राज्य का उदय
मगध साम्राज्य का उत्कर्ष विस्तार वर्तमान बिहार के दक्षिण भाग में स्थित पटना और गया जिले में था इसके उत्तर और पश्चिम में क्रमश गंगा और सोन नदी थी पूर्व में चंपा नदी तथा दक्षिण में विन्ध्य पर्वत की श्रेणियो में स्थित है .
मगध राज्य ;-मगध साम्राज्य के उदय के कारण
मगध साम्राज्य के शासको के नाम में सबसे प्रथम उस वंश के चन्द्रगुप्त मोर्य का नाम आता है -और अंतिम शासक ब्रह्द्रदथ और इसकी राजधानी गिरिब्रज थी जरासंघ ब्राह्द्रद्थ का पुत्र था हय्यक वंश के संस्थापक बिमिब्सार मगध की गद्धी पर 544 में बैठा बह बोध्य धर्म का अनुयाई था यह प्रथम भारतीय राजा था जिस्सने प्रशासनिक व्यवस्था पर बल दिया . .
मगध साम्राज्य के राजा [ मगध साम्राज्य नोट्स ]
- ब्रह्द्रथ वंश
- हर्यक वंश
- शिशुनाग वंश
- नन्द वंश
- मोर्य वंश
- शुंग वंश
ब्रह्द्रथ वंश ;- यह मगध के प्रथम शाशक था
हर्यक वंश ;- मगध साम्राज्य के राजा के नाम
हर्यक वंश के संसथापक बिम्बसार मगध की गद्दी पर 544 ई में बैठा था बह बोध्य धर्म का अनुयाई था .बिम्बसार ने ब्रह्द्रथ को हराकर अंग राज्य को मगध में मिल लिया था . फिर बिमिसार ने राजगृह का निर्माण कर उसे अपनी राजधानी बनाया . बिमिब्सार ने मगध पर करीब 52 वर्षो तक शाशन किया . महात्मा बुध्य की सेवा में बिमिब्सार ने राजवैध जीवक को भेजा इसके बाद अवन्ती के राजा पांडू रोग से ग्रसित थे उस समय भी बिम्बिसार ने जिबक को सेवा करने के लिए भेजा .
अजातशत्रु ;- बिमिब्सार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने कर दी , और वह 493 ई पूर्व में मगध साम्राज्य की गद्दी पर बैठा .अजातशत्रु का उपनाम कुणिक था वह प्रारंभ में जैन धर्म का अनुयाई था हर्यक वंश का अंतिम शाशक उदयिन्न का पुत्र नागवंश था
शिशुनाग वंश ;-
इस वंश की स्थापना 412 ई से 345 ई तक रहा . इसने अपनी राजधानी पाटलिपुत्र से हटाकर वैशाली में स्थापित की शिशुनाग वंश का उत्तराधिकारी कालाशोक हुआ जिसने पुनह राजधानी को पाटलिपुत्र ले गया इसके शाशन काल में ही दूसरी बोध्य सभा का आयोजन किया गया .इस वंश का अंतिम शाशक नन्दिवर्धन था
नन्द वंश ;-
इस वंश की स्थापना 345 ई से 322 ई पूर्व में था नन्द वंश का संसथापक महापद्नांधन यह वंश शुद्र माना जाता है .महापदनांद के समय नन्दों की सेना सबसे शक्ति शाली थी मगध साम्राज्य को उसके समस्त भारत को एक केंद्र विंधु बना था . अष्टाध्याय संस्कृत व्याकरण के लेखक पाणिनि महापदमंन्ध के ही दरबार में था
घनान्द यह एक लालची शाशक था नन्द वंश का अंतिम शाशक था उसने चाणक्य जो उस समय के महान विद्वान थे उनका अपमान किया था उसके शाशन काल में चारो और असंतोष की भावना फैली हुई थी इस कारण चाणक्य ने चन्द्रगुप्त की मदत से घनान्द की हत्या करा दी और मगध पर चन्द्रगुप्त मोर्य का शाशन स्थापित करवाया .
नन्द वंश के कुछ तथ्य -
- नन्द वंश के शाशक म्हापद्मानन के मित्र थे - आचार्य पाडीनी .
- नन्द शाशक जैन धर्म को मानते थे .
- जैन धर्म से कल्पक नन्धो का पहला मंत्री था .
- नन्द वंश का संस्थापक महापद्मंन्द था .
मोर्य वंश -
मोर्य वंश का संस्थापक चन्द्रगुप्त मोर्य था मोर्य वंश का शाशन 322 ई - से 185 ई तक शाशन रहा था प्राचीन भारत का यह एक महान राजवंश था इसने 137 वर्ष तक भारत पर राज्य किया .मोर्य वंश को विशाल और शाक्ति शाली और विशाल बंनाने का क्षेय्य सम्राट अशोक को जाता है चाणक्य [ विष्णु गुप्त ] ने मोर्य वंश के समकालीन था उसका प्रभाव पुरे वंश पर था .
- मोर्य वंश पूर्व में मगध राज्य में गंगा नदी के मैदान से शुरू हुआ था इसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी .
- चन्द्रगुप्त मोर्य जैन धर्म का अनुयाई था .
- चन्द्रगुप्त मोर्य ने जेनी गुरु भद्रबाहु से जैन धर्म की दीक्षा ली थी .
- चन्द्र गुप्त मगध की गद्दी पर 322 ई में बैठा था .
- चन्द्रगुप्त ने 305 ई पूर्व में सेल्यूकस निकेटर को हराया था .
- चन्द्रगुप्त ने अपना अंतिम समय कर्नाटक के क्षवण बेलगोला नामक स्थान पर बिताया .
- चन्द्रगुप्त मोर्य 298 ई . की म्रत्यु कर्नाटक के क्षेव्न्बेल्गाव नामक स्थान पर अंतिम समय वही विताया था वही उसकी म्रत्यु हुई .
मोर्य वंश के शाशक ;-
चन्द्रगुप्त - मोर्य - 322 ई .298 तक
बिन्धुसार . 298 ई से 272 ई तक
अशोक - 273 ई से 232 ई तक
दशरत मोर्य - 232 ई से 224 तक
सम्प्रति मोर्य - 224 ई से 215 तक
शालिसुक - 215 ई से 202 ई तक
देववर्मन - 202 ई से 195 ई तक
शतधन्वन 195 ई से 187 ई तक
ब्रह्द्रथ मोर्य - 187 से 185 ई तक
चन्द्रगुप्त मोर्य ;-
चन्द्रगुप्त मोर्य प्राचीन भारत का अंतिम सम्राट था जिसने मुकुट धारण किया था उसने नन्द वंश के शाशक घनान्द को मार कर मोर्य सम्राज्य की स्थापना की . चन्द्रगुप्त मोर्य का शाशन 321 ई से 297 ई .पु तक रहा उस समय मोर्य सम्राज्य का सम्पूर्ण भारत पर शाशन रहा और इसके साथ विदेशो में भी मोर्य सम्राज्य का शाशन रहा . उन्होंने लगभग 24 वर्ष तक भारत में शाशन किया . मेगस्थनीज ने 4 साल तक [ एक यूनानी राजदूत ] के रूप में सेवा दी थी . चन्द्रगुप्त के गुरु चाणक्य [ [ कोटिल्य या विष्णु गुप्त ] के नाम से जानते थे . प्राचीन लेखक के अनुसार चन्द्रगुप्त के पास 6 लाख की सेना थी .
मगध साम्राज्य का संस्थापक कोन था
चन्द्रगुप्त ने सर्वप्रथम पंजाब और सिंध प्रान्त को अपने कब्जे में लिया और बही से नन्द वंश का अंत चालु हुआ . चन्द्रगुप्त मोर्य का महत्वपूर्ण युद्ध घनानन्द के साथ उत्तराधिकार का युद्ध था . क्योकि घनानन्द के समय पूरा राज्य एक डर के साए में जी रहा था . उसकी क्रूरता और कठोर निति के कारण चन्द्रगुप्त और उनके गुरु कोटिल्य ने आवाज उठाई थी . महावंश की रचना में उल्लेख है की चन्द्रगुप्त ने आरम्भ में नन्द वंश के मध्य भाग पर आक्रमण किया और घनानन्द को मार कर मोर्य सम्राज्य की स्थापना की .
चन्द्रगुप्त ने सोराष्ट्र की विजय भी की थी महाक्षत्रप रुद्रदामन के जुनागड़ अभिलेख से प्रमाणित है की वैश्य पुष्यगुप्त यहा के राज्यपाल थे . चन्द्रगुप्त का अंतिम युद्ध सिकंदर के पूर्व सेनापति तथा उनके समकालीन सीरिया के ग्रीक सम्राट सेल्यूकस के साथ हुआ .
इसके बाद चन्द्रगुप्त मोर्य ने अपना आखरी समय क्षवणबेलगाव से मिले शिलालेख के अनुसार , चन्द्रगुप्त अपने अंतिम दिनों में पित्र मतानुसार जैन - मुनि हो गए . चन्द्र गुप्त अंतिम मुकुट धारी शाशक रहे .इसके बाद कोई और मुकुट धारी नहीं हुआ . चन्द्रगुप्त को जैन धर्म की शिक्षा जैन स्वामी बद्रबाहू ने डी थी . चन्द्रगुप्त के शाशन की मुख्य जानकारी मेगस्थनीज की[ इंडिका ] और कोटिल्य का अर्थशास्त्र से प्राप्त होता है
विन्दुसार :-
विंधुसार का शाशन 297 - 273 ई तक चला था यह मोर्ट वंश के प्रमुख शाशक थे . जो चन्द्रगुप्त मोर्य के पुत्र थे प्राचीन काल में बिन्धुसार को अमित्रघात , सिहसेन , मद्रसार तथा अजातशत्रु भी कहा जाता है . बिन्दुसार की माता का नाम दुरधरा था . उन्होंने दक्षिण भारत की तरफ भी राज्य का विस्तार किया . चाणक्य विन्धुसार के दरवार में प्रधानमन्त्री थे . विन्धुसार के शाशन काल में तक्षशिला में दो बार विद्रोह हुआ जिसको कुचलने के लिए पहली बार विन्धुसार का बड़ा पुत्र शुशिम गया पर वो असफल रहा . दूसरा विद्रोह विन्धुसार के दुसरे पुत्र अशोक ने द्वाया था . विन्धुसार को अमित्रघात की उपाधि डी गई थी
उसकी म्रत्यु 273 ई पूर्व हुआ था . बिन्धुसार को पिता का पुत्र और पुत्र का पिता के नाम से जाना जाता है . वह प्रसिद्ध व पराक्रमी शाशक चन्द्रगुप्त मोर्य के पुत्र एवं महान राजा अशोक के पिता थे .
मेगास्थनीज का उत्तराधिकारी डाईमेक्स सीरिया के सम्राट का दूत बनाकर बिन्धुसार के दरबार में रहता था . पिलनी ले अनुसार मिस्त्र के सम्राट टालेमी फिलादेल्फास 285 - 247 ई .पु ने भी अपना राजदूत भारतीय नरेश के दरबार में भेज दिया . दिव्यदान में केवल सुशीम तथा विगतशोक इन दो नाम मिलता है .
सम्राट अशोक :-
अशोक विन्धुसार का पुत्र था . अशोक को चक्रवर्ती सम्राट के नाम से कहा जाता था . उनका शाशन काल 304 - 232 ई .पु तक शाशन चला था . यह भारत के महान सम्राट थे . सम्राट अशोक का मूल नाम देवानाप्रिय अशोक मोर्य , राजा प्रियदर्शनी , देवताओ का प्रिय था ]उनका शाशन काल 269 से 232 ई पु तक चाला . सम्राट अशोक ने सम्पूर्ण एशिया में तथा अन्य आज के सभी महाद्वीप में भी बोध्य पंथ का प्रचार किया .
- सम्राट अशोक की पत्नी देवी जो विदिशा के एक व्यापारी की पुत्री थी
- अशोक बिन्धुसार के समय उज्जैन के प्रांत पाल था
- सम्राट अशोक का एक पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा थी .
- अशोक अपने राज्य अभिषेक के 7 वर्ष बाद कलिंग पर विजय प्राप्त की .
- सम्राट अशोक ने कई स्तूप का निर्माण किया जिसमे राजस्थान के बैरठ और मध्यप्रदेश का साँची स्तूप सम्राट अशोक ने बनबाया था .
- सम्राट अशोक ने कई शिला लेख का निर्माण किया था .
- सम्राट अशोक के शिलालेख अफगानिस्तान , नेपाल , वर्तमान बंगलादेश , व पकिस्तान आदि देशो में शिला लेख मिलते है .
भारत में सम्राट अशोक के शिला लेख :-
1 . रूपनाथ - जबलपुर mp
2 . बैराट - राजस्थान जयपुर जिला .
3 . मस्की - रायचूर जिला [ कर्नाटक ]
4. धोली - पूरी जिला [ उड़ीसा ]
5 .गुर्जरा - दतिया जिला mp
मुख्य रूप से है . सम्राट अशोक की म्रत्यु का अंतिम समय पाटलीपुत्र ,पटना में ही बिता था 40 वर्षो के शाशन के बाद उनकी म्रत्यु हो गई .
ब्रह्द्रद्थ अंतिम मोर्य सम्राट :-
मोर्य सम्राज्य का अंतिम सम्राट ब्रह्द्रथ था उसका शाशन काल 187 से 180 तक का रहा था वह भी बोध्य धर्म का अनुआइ था . ब्रह्द्रद्थ के सेनापति पुष्पमित्र शुंग ने उसकी हत्या कर दी थी . ब्रह्द्रथ के समय भी उसकी राजधानी पाटलिपुत्र थी . उसका शाशन काल 7 वर्ष तक चला था .
मोर्य वंश की सम्पूर्ण जानकारी one line gk
- भरत का सबसे प्राचीन राजवंश मोर्य वंश है .
- मोर्य साम्राज्य की स्थापना चन्द्रगुप्त ने चाणक्य की सहायता से की थी .
- चन्द्रगुप्त मोर्य का प्रधानमंत्री चाणक्य [ विष्णु गुप्त ]था .
- मेकाय्वली के प्रिंस से तुलना किस्से की जाती है - कोटिल्य के अर्थशाश्त्र .
- मोर्य वंश के अशोक ने अपने भाइयो की हत्या करके सिहासन प्राप्त किया था
- विदिशा के व्यापारी की पुत्री जिसका विवाह अशोक से हुआ था - महादेवी [ कारुवाकी ]
मगध साम्राज्य नोट्स [ प्रश्न उत्तर ]
Q ;- 1 चन्द्रगुप्त मोर्य का पुत्र कोन था
ANS - विन्दुसार .
Q ;- 2 कोटिल्य प्रधानमंत्री था
ANS - चन्द्रगुप्त मोर्य का .
Q ;- 3 साँची का स्तूप का निर्माण किसने किया था
ANS - अशोक
Q ;- 4 अशोक के किस अभिलेख में बोध्यग्रंथो का उल्लेख किया
ANS - भाब्रू
Q ;- 5 किसकी जानकारी अशोक के शिलालेख से मिलती है
ANS - जीवन व्रत , अंतरिक्ष निति ,विदेशी निति .
Q ;-6 सम्राट अशोक के समय श्रीलंका का शाशक कोन था
ANS ;- तिसस
Q ;- 7 साँची स्तूप का निर्माण किसने किया
ANS - अशोक
Q ;- 8 मोर्य सम्राज्य की राजधानी कहा स्थित थी
ANS ;- .पाटलिपुत्र
Q ;- 9 कोटिल्य दुवारा रचित प्रसिद्ध पुस्तक है
ANS -अर्थशास्त्र
Q ;- 10 अशोक के शिला लेख पर किस लिपि का प्रयोग किया जाता था
ANS ;- - ब्राही
Q ;- 11 कलिंग का युद्ध लड़ा गया
ANS ;-. 261 ई .पु .
Q ;- 12 कलिंग युद्ध के पश्चात सम्राट अशोक ने किस धर्म को स्वीकार किया था
ANS - बोध्य धर्म
Q ;- 13 बिन्धुसार किसका पुत्र है
ANS - चन्द्रगुप्त
Q ;- 14 मोर्य साम्राज्य की स्थापना किसने की थी
ANS - चन्द्रगुप्त मोर्य
Q ;- 15 चानाक्य को और किस नाम से जाना जाता है
ANS - विष्णुगुप्त
Q ;- 16 अर्थशाश्त्र किसकी रचना है
ANS - कोटिल्य
Q ;- 17 कोटिल्य के अर्थशाश्त्र में किस पहलु पर प्रकाश डाला गया है .
ANS - राजनैतिक नीतिया .
Q ;- 18 चन्द्रगुप्त मोर्य ने अपने अंतिम दिन कहा गुजरा .
ANS - श्रवन्गोला
Q ;- 19 किस राजा की कहानी , मुद्रराक्ष्य नाटक का विषय है
ANS - चन्द्रगुप्त मोर्य
Q ;- 20 प्रसिद्ध यूनानी राजदूत मेगास्थनीज भारत में किसके दरवार में आये थे
ANS ;-.- चन्द्रगुप्त मोर्य
Q ;- 21 इंडिका '' नामक पुस्तक के लेखक कोन है
ANS - मेगास्थनीज
Q ;- 22 बिन्दुसार के शाशन के दोरान अशांति कहा थी
ANS - तक्षशिला
Q ;- 23 किसका नाम देवनाम प्रिय्दार्श्नीय था
ANS - अशोक
Q ;- 24 किस अभिलेख में अशोक का नाम है
ANS -गुर्जरा में .
Q ;- 25 कलिंग युद्ध की विजय तथा क्षत्रिय का वर्णन अशोक के किस शिलालेख में है
ANS -तेरहवीं शिलालेख
Q ;-26 किस स्थान के निकट प्रसिद्ध कलिंग युद्ध लड़ा गया -
ANS धोली .
Q ;- 27 सारनाथ में किस सम्राट का स्तम्भ है
ANS - अशोक
Q ;- 28 साँची का स्तूप किस कला व मूर्तिकला का निरूपण करता है
ANS .- बोद्ध
Q ;- 29 मोर्य सम्राज्य में प्रचलित मुद्रा का नाम है
ANS - पण
Q ;- 30 अशोक के अभिलेक को सर्वप्रथम किसने पड़ा
ANS . -जेम्स प्रिन्सेस
Q ;- 31 अशोक ने बोध्य धर्म के प्रचार के लिए किसको श्रीलंका भेजा था
ANS - महेंद्र , संघमित्रा
Q ;- 32 अशोक ने किस बोध्य साधू से प्रभावित होकर बोध्य धर्म अपनाया .
ANS -उपगुप्त
Q ;- 33 मोर्य काल के दोरान शिक्षा का सबसे प्रसिद्ध केंद्र था
ANS - तक्षशिला
Q ;- 34 मोर्य वंश के शाशन के दोरान स्थानिक कोन था
ANS ;- - जिला प्रशाशनिक .
Q ;- 35 मोर्य काल में '' सीता '' से क्या तात्पर्य है
ANS - राजकिय भूमि से प्राप्त आय
Q ;- 36 किसके शाशन काल में डायमेक्स भारत आया था
ANS -बिन्दुसार
Q ;- 37 मोर्य वंश के बाद किसका शाशन रहा
ANS - शुंग वंश
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Q ;-1 मगध साम्राज्य का संस्थापक कौन था
ANS ;- बिम्बिसार
Q -2 मगध साम्राज्य का अंतिम शासक
ANS ';- नन्द वंश का अंतिम शासक घनानन्द
Q ;-3 मगध साम्राज्य का प्रथम शासक कौन था
ANS ;- बिम्बिसार
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अनिल कुमार पलाशिया
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