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Hindi all grammar

 Hindi all grammar हिंदी ग्रामर 

हिंदी ग्रामर व्याकरण कक्षा बच्चो को हिंदी सिखाना विलोम शब्द पर्यावाची संधि तत्सम शब्द तदभव शब्द काल 

हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया एक नई पोस्ट को लेकर आया हु . इस में हम हिंदी व्याकरण को लेकर आये है इसमें हम हिंदी में व्याकरण को बहुत ही सरल तरीके से लेकर आया हु इसमें हम किसी भी कक्षा में इस ग्रामर को पढ़ा सकते है  यह पोस्ट आप कक्षा में उस क्लाश के हिसाब से आप  बच्चो को समझा और लिखा सकते है यह ग्रामर NCRT से मिलाकर बनाई है 

हिंदी व्याकरण सम्पूर्ण विषय

  
 

सभी शिक्षक साथियों हम हिन्ढी ग्रामर की एक महत्वपूर्ण जानकारी को लेकर आये है इस पोस्ट में

 हम हिंदी ग्रामर के सभी तथ्य की चर्चा करेंगे .जिससे आपको पढ़ाने में कोई परेशानी नहीं होगी आप आसानी से सभी बच्चो को हिंदी सिखा पाएंगे .और ग्रामर याद करा पायेंगे .

Q – 1 विलोम शब्द किसे कहते है .

ANS – संज्ञा का विपरीत अर्थ प्रकट करना ही विलोम शब्द कहलाता है किसी शब्द का अर्थ उल्टा होना ही विलोम शब्द कहलाता है .

Q -2 विलोम शब्द लिखे   

शब्द                 विलोम शब्द

अनाथ         सनाथ             आदान  - प्रदान

अपेक्षा         उपेक्षा             आस्था – अनास्था

अग्रज         अनुज             आज्ञा – अवज्ञा

अन्धकार       प्रकाश            इमानदार- बेईमान 

अक्षम         सक्षम            दुर्जन – सज्जन

अनुकूल        प्रतिकूल          न्यून – अधिक

अगम          सुगम            ध्वंश -  निर्माण

अवनि         अम्बर            परमार्थ – स्वार्थ

अस्त          उदय             प्रवृति – निर्वृति

उन्नति        अवन्ती           उपयोग – दुरूपयोग

असभ्य        सभय            क्रतग्य – क्रत्ग्न

अशुभ         शुभ              कायर – निडर

अज्ञानी        ज्ञानी             क्षमा – दंड

आदान        प्रदान             शोषक – पोषक

पर्यावाची शब्द  

Q – 1 –पर्यावाची शब्द किसे कहते है

ANS – ऐसे शब्द जिनके अर्थ एक समान हो या वे शब्द जिनके अर्थ एक से अनेक प्रकट होते है उन्हें पर्यावाची शब्द कहते है .

शब्द – अर्थ

अंग – भाग , हिस्सा , टुकड़ा

अग्नि – अनल , आग , पापक

अमृत – सुधा , जीवन , सोम

अश्व -  घोडा , घोटक , बाजी

आँख – नेत्र , नयन , द्रष्टि

आकाश – गगन , नभ ,अम्बर

आनंद – प्रमोद , मोद, हर्ष

कमल – सरोज , पंकज , नीरज

चाँद – चन्द्र , चन्द्रमा , राकेश

जल – पानी , नीर , पय

नदी – सरिता , वाहिनी ,अपगा

 

पति – स्वामी , आर्य , दूल्हा

पत्नी – भार्या , स्त्री , बहू

पर्वत – अचल , गिरी , नग

प्रथ्वी – धरा , भूमि , भू , धरती

बिजली – विद्दुत , दामिनी

बादल – मेघ , जल्द , नीरद

रात्रि – निषा , रात , रजनी

राजा – नृप -  भूप , महेश

सूर्य – दिनकर , रवि , भास्कर

पत्तर – पाहन , शिला , उपल

 

तत्सम शब्द तदभव शब्द

Q 1  – तत्सम शब्द किसे कहते है

ANS – तत्सम शब्द तत और सम से बना है इसका अर्थ है उसके समान . जो संस्कृत भाषा से बिना किसी परिवर्तन के वह ऐसे के ऐसे ही हिंदी में प्रयुक्त हुए है उसका कोई रूप परिवर्तन नहीं हुआ है तत्सम शब्द कहलाता है .

Q -2 . तदभव शब्द किसे कहते है

ANS – तद्भव शब्द तद और भव से मिलकर बना होता है इसका अर्थ होता है विकसित अथवा उससे उतपन अर्थात संस्कृत से उतपन हुए जिसका अर्थ परिवर्तन हुआ है तद्भव कहलाता है .

तत्सम      - तदभव

आगम्य      -  अगम

अक्षर -      -  अच्छर

अमृत       -  अमिय

अन्ध       -   अँधा

अन्धकार   -    अँधेरा

आम्र           आम

अद्र            आधा

अष्ट           आठ

आश्चर्य         अचरज

अग्नि          आग

अक्षि           आँख

अग्रणी          अगुवा

इर्षा            इरषा

एला            इलायची

उत्साह          उछाह  

तत्सम      - तदभव

उपवास            उपास

उलूक             उल्लू

कुपुत्र             कपूत

कपोत             कबूतर

कदली             केला

कर्ण              कान

कपाट             किवाड़

कंदुक             केंद

कुष्ट              कोड

कूप               कुआ

गणना             गिनना

गमन              गोना

गो                गाय

गर्त               गद्दा

गृह                घर

गदर्भ              गधा 

 

 

संधि

Q – 1 संधि किसे कहते है

ANS – दो वर्णों के मेल को संधि कहते है दो शब्द जिनका अर्थ एक समान या पूर्ण रूप से अर्थ प्रकट करता है उसे संधि कहते है

जैसे – देव + आलय = देवालय  / सुर + इंद्र = सुरेन्द्र / महा + उदय = महोदय .

Q – 2 – संधि कितने प्रकार के है

ANS – संधि तिन प्रकार की है 1 ] स्वर संधि 2 ] व्यंजन संधि 3] विषर्ग संधि

Q 3 – स्वर संधि किसे कहते है

ANS – दो स्वरों के मिलने से जो विकार उत्पन होता है या रूप परिवर्तन होता है उसे स्वर संधि कहते है दो स्वर मिलकर एक न्य स्वर का निर्माण करते है स्वर संधि कहलाती है .

जैसे – विधा + आर्थी = विद्यार्थी / रवि + इंद्रा = रविन्द्र /  विधा + आलय = विधालय

भानु + उदय = भानूदय  / सूर्य + उदय = सूर्योदय / महा + उदय = महोदय

Q -4 व्यंजन किसे कहते है

ANS –वह शब्द जो व्यंजन होकर भी स्वर से मेल करके अर्थ प्रकट करते है या फिर व्यंजन के मेल से जो शब्द बनता है उसे व्यंजन शब्द कहते है .

जैसे – दिक् + गज = दिग्गज / जगत + नाथ = जगन्नाथ / उत + चारण = उचारण

अहम +कार = अहंकार / सम + गम = संगम / अनु + छेद = अनुच्छेद

Q- 5 . विसर्ग संधि किसे कहते है

ANS – विसर्ग के साथ जब कोई शब्द स्वर या व्यंजन के मेल से जो अन्य शब्द बनता है या विकार उत्पन होता है विसर्ग संधि कहते है .

जैसे – नि ; + चय = निश्चय / नि ; + तार = निस्तार / नि ; + कपट = निष्कपट

प्रात ; +काल = प्रातःकाल / मन ;+ रथ = मनोरथ / नि ; + गुण = निर्गुण

 

अति + अधिक = अत्यधिक

 

अति + आचार = अत्याचार

 

आशी + वाद = आशीर्वाद

 

इति + आदि = इत्यादि

 

उप  +  इक्षा = उपेक्षा

उन + माद  = उन्माद

 

दीप + ईश्  = दीपेश

 

मन ; + ज = मनोज

 

मर्ग + इंद्र = म्रगेन्द्र

 

सम = वाद = संबाद

    

वाक्यांश के लिए एक शब्द

अर्थ – हिंदी वाक्यांश में एक शब्द के कई आर्थ प्रकट होते है या फिर उनके शब्दों का उपयोग अनेक प्रकार से किया जाता है या यु कहे के बड़ी बात को हम, छोटे शब्द में कहे वाक्यांश कहलाता है .

·         जिसका आदि ना हो – अनादी

·         जिसका अंत ना हो – अनंत

·          जिसके आने की तिथि निश्चित ना हो – अतिथि

·         जिसे जीता ना जा सके – अजेय

·         जो पहले कभी ना हुआ – अभूतपूर्व

·         जिसके टुकड़े ना हो सके – अखंड

·         जो गाये जाने  योग्य ना हो – आगय

·         जो बिट चूका  हो – अतीत

·         जिसकी कल्पना ना की जा सके – अकल्पनीय

·         कम खाने बाला – अल्पहारी

·         जो वित् चूका हो – अतीत

·         बड़ा भाई – अगेज

·         जहा जाना संभव ना हो – अगम

·         जो कभी मरता ना हो – अमर

·         जिसका कोई शत्रु ना हो – अजातशत्रु  

 

·          जिसका मूल्य आँका ना जा सके – अमूल्य

·         जिसके पास कुछ ना हो – अंकिचन

·         दोपहर के बाद का समय – अपराह

·         छोटा भाई –अनुज

·         जो अभी पैदा हुआ हो – नवजात

·         तीनो लोको का स्वामी – त्रिलोक

·         जिसका रूप अच्छा ना हो - कुरूप

·         जो बहुत बोलता हो – बाचाल

·         जिसकी आत्मा  महान हो – महात्मा

·         आलोचना करने बाल हो – आलोचक

·         कार्य करने बाल अव्यक्ति – कार्यकर्त्ता

·         जहा कोई दूसरा ना हो – एकांत 

 

काल

Q -1 काल क्या है

ANS – समय का परिवर्तन होना काल कहलाता है सुबह से शाम और शाम से रात का होना काल कहलाता है

Q – 2 काल कितने प्रकार के होते है .

ANS- काल तिन प्रकार के होते है .वर्तमान , भूतकाल , भबिष्य काल .

 वर्तमान काल  

Q – 3 वर्तमान काल किसे कहते है इसके भेद लिखो .

ANS – वह समय जो अभी चल रहा है जिसमे हम अपना काम कर रहे है वह वर्तमान काल कहलाता है इसके चार भेद होते है

·        सामान्य वर्तमान काल PRESENT INDEFINITE TENSE  यह वह समय जिसमे हमें समय का पता नहीं चलता है इसे अनिश्चित काल भी कहते है जैसे – में खाता हु / हम पढ़ते है / बह बजार जाता है – इसमें समय का कोई पता नहीं चल रहा है के कोन कब आता और जाता है

      इसकी पहचान = वाक्य के अंत में [ ता है , ती है , ता हु , ते है ] आते है

·        निरंतर वर्तमान काल PRESENT CONTINUOUS TENSE – यह वह समय होता है जिसमे समय निरंतर चलता रहता है इसमें किसी कार्य का होना वताया जा रहा है जैसे – माला घर जा रही है . / बह पानी पि रहा है / तुम अखबार पढ़ रहे हो .

      पहचान – वाक्य के अंत में रहा है / रही है / रहे है / रहा हु आदि आते है .

·        पूर्ण वर्तमान काल – PRESENT PERFECT TENCE – इस काल में व्यक्ति का पूर्ण रूप से वताया गया है कार्य का पूर्ण होना निश्चित किया गया है जैसे – में घर जा चूका हु / तुम पानी पि चुके हो / राज इन्दोर जा चूका है – इस तरह के वाक्य इसमें आते है

पहचान – वाक्य के अंत में चूका है चुकी है चूका हु , चुके है , आते है .

·        पूर्ण निरंतर काल इसमें किसी कार्य के पुरे होने में समय के बारे में बात कही है किसी भी कार्य के लिए एक निश्चित समय तय किया है उसे पूर्ण निरंतर काल कहते है जैसे – वह चार वाजे से घर जा रहा है . / में दो बजे से लिख रहा हु / में दो रोज से बाजार जा रहा हु

पहचान – वाक्य के अंत में – से जा रहा हु / से ख रही हु / से देख रहे है

भूतकाल

Q – 1 भूतकाल किसे कहते है

ANS – वह समय जो बित गया था या जो काम हो गया था बीते समय की बात करना भुत काल कहलाता है . वाक्य के अंत में [ था , थी , थे ] आते है उसे भुत काल कहलाते है

जैसे – 1 – वह गया . 2 – वह गया था , 3 – वह जा रहा था

[ इस प्रकार के वाक्य इस काल में आते है और हम उसे बना सकते है . वर्तमान काल की तरह इसमें भी चार भाग होते है

1         - सामान्य भूतकाल 2 – निरंतर भुत काल 3 – पूर्ण  भुत काल 4 –पूर्ण निरंतर भुत काल   

भविष्य काल –

भविष्य काल वह समय जो आने वाला है या हम आने बाले काल  की बात करते है उसे भविष्य काल कहते है इसकी पहचान यह है की – हम भविष्य की बात करे . [ वाक्य के अंत में गा , गी , गे ] आते है

यह भी तीनो काल की तरह होते है  इनके भी यही भेद है

·         हम खाना कयेंगे .

·         हम  खाना खा रहे होंगे  .

·         हम खाना खा चुकेगे .

·         हम खाना दो बजे से खा रहे होंगे .


मुहावरे

मुहावरा का अर्थ यह है की एक सामान्य वाक्य को विशेष रूप से अर्थ प्रकट करता है या हु कहे के एक शब्द को अनेक अर्थ के रूप में प्रकट करता है उसे मुहावरा कहते है मुहावरे को एक सरल भाषा में प्रकट करते है

 
·         आंक भरना – आलिंगन करना – माता ने अपने पुत्र को अंग लगा लिया
·         अंगूठा दिखाना – समय पर इनकार करना – राम ने सहायता कने का बादा करके मन कर दिया .
·         अंधे की लाठी –एकमात्र सहारा – परेशानी की हालत में उसने मेरी सहायता अंधे की लाठी के समान की .
·         अंधे के हाथ बटेर लगना – बिना प्रयास का लाभ – लाटरी क्या लगी रमेश घमंडी हो गया .
·         अपना उल्लू सीधा करना – अपना मतलब सीधा करना – आजकल के लोग अपनों के बारे में नहीं सोचते है वे सिर्फ अपना उल्लू सीधा करते है
·         अक्ल पर पर्दा पढना – समझ ना आना – बेबजाह मार – पिट के बिच में जाने से तुम उलझ गए क्या तुम्हारी अक्ल पर पर्दा पढ़ा हुआ है
·         अपने मुह मिया मिट्ठू बनना – अपने बढाई आप करना – अपनी तारीफ खुद ही करना .
·         आँख का कटा – शत्रु बनना मित्र भी कभी आँख का कांटा बनना .
·         आँख का तारा – बहुत प्यारा – सभी बच्चे अपनी माँ की आँख का तारा होते है .
·         आग बबूला होना – बहुत गुस्सा होना – रमेश ने राकेश की घडी तोड़ दी जिस कारन वह आग – बबूला हो गया .
·         आग में कूदना – जान जोखिम मर डालना – देश की रक्षा के लिए जवान हमेशा आग में कूदने के लिए तेयार है .
·         असमान टूट पढना – अचानक विपत्ति आना – अमेरिका में प्रोफ़ेसर की हत्या से उसके वृद्धा माता – पिता पर आसमान टूट पढ़ा
·         ईद का चाँद होना – बहुत समय बाद दिखना – राजा आज कल कहा रहते हो दिखाई नहीं देते हो
·         उगल देना  – भेद खोल देना – छोटे भाई ने अपने बड़े भाई की सारी पोल खोल दी .  

समास

Q – 1 समास किसे कहते है .

ANS – समास का अर्थ यह है की छोटा समूह . दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर बने हुए एक नविन शब्द को समास कहते है

जैसे – रसोई के लिए घर – रसोईघर

Q -2 समास विग्रह किसे कहते है

ANS – समाज विग्रह का आशय यह है की एक शब्द को दो भागो में अलग करना ही समास विग्रह करना कहलाता है

जैसे – राज +पुत्र = राजा का पुत्र

Q -3 समास के भेद लिखे .

ANS – समास के 6 भेद होते है

·         अव्ययीभाव

·         तत्पुरुष

·         दिगु

·         दुन्धू

·         बहुव्रीहि

·         कर्मधारय

 Q 4 – अव्ययीभाव समास किसे कहए है

ANS – जिस शब्द में पहला पद प्रधान हो या मुख्य हो उसे अवयव भाव समास कहते है – यथामति इसमें यथा [ आव्यवय है ]

·         भरपेट = पेट भरकर

·         आजीवन = जीवन भर

·         रातोरात = रात जी रात में

·         प्रतिदिन = प्रत्येक दिन

·         बेशक = शक के बिना

·         प्रतिवर्ष = हर वर्ष

Q – 5 तत्पुरुष समास किसे कहते है

ANS – जिस समास का उत्तरपद प्रधान होता है मतलब जिस पद का आखरी पद का अर्थ न्क्लता है बह तत्पुरुष समास कहलाता है

जैसे – तुलसीदासकृत = तुलसीदास दुवारा कृत

Q – 6 कर्मधार समास किसे कहते है

ANS – जिस समास का उत्तर पद प्रधान हो अथवा उपमान – उपमेय का सम्बन्ध हो बह कर्मधारय समास कहलाता है जैसे – चन्द्रमुख – चन्द्र जैसा मुख / सज्जन – सत जन / नीलकमल – नीला कमल

 

Q – 7 . दिगु समास – जिस समास का पहला पद संख्या वाचक हो उसे दिगु समाज कहते है –इसमें समूह और समाहार का बोद्ध होता है

·         जैसे – नवगृह = नों ग्रहों का समूह

·         त्रिलोक – तीनो लोको का समाराह .

·         नवरात्र – नो रात्रियो का समाराह

Q – 8 दुंदु समास =  जिस समास के दोनों पद प्रधान होता है और विग्रह करने पर [ और अथवा या ] एवं लगता है वह दुंदु समास कहलाता है

·         पाप –पुन्य = पाप और पूण्य .

·         सीता – राम = सीता और राम

·         उच्च –नीच = उच्च और नीच

Q – 9 बहुव्रीहि समास किसे कहते है

ANS – जिस पद समास के दोनों पद अप्रधान होते है और समस्त पद के अर्थ के अतिरिक्त कोई सांकेतिक अर्थ प्रधान हो उसे वाबुब्रही समास कहते है

·         दशानन – दश है आनन [ अर्थात रावण ]

·         नीलकंठ – नीला है कंठ जिसका अर्थात शिव

·         लम्बोदर – लम्बा है उदर जिसका [ गणेश ] पेट

 

इस तरह से यह तिन काल की सभी जानकारी है जिसमे हमने सभी जानकारी को रखा है यह जानकारी हमने अंग्रेजी को देखकर बनाया है जिससे के सभी को आसानी से  यद् हो सके .  

धन्याबाद 

अनिल कुमार पलाशिया 

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