क्रिया की परिभाषा और भेद - Kriya kise kehte hai
हेलो दोस्तों मैं अनिल कुमार पलासिया आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण टॉपिक लेकर आ रहा हूं इसमें हम हिंदी व्याकरण क्रिया की परिभाषा और भेद - Kriya kise kehte hai से संबंधित क्रिया की संपूर्ण जानकारी को इस पोस्ट में हम देखेंगे और। क्रिया से संबंधित सभी जानकारी को हम इस लेख में देखेंगे। इस लेख के माध्यम से हम आपको क्रिया की परिभाषा और उसके उदहारण से सम्बन्धित सभी जानकारी को आप इस लेख में देखेंगे .
क्रिया की परिभाषा और उसके भेद [ verb ]
जिन शब्दों से क्रिया का होना या करना समझाया जाए उन्हें क्रिया कहते हैं। जिन शब्दों के माध्यम से हम कोई कार्य करते हैं इसे खाना पीना पढ़ना लिखना चलना दौड़ना यह सब क्रिया के अंतर्गत आता है। हिंदी में क्रिया के रूप लिंग वचन और पुरुष के अनुसार बदलते हैं।
क्रिया के रूप को धातु कहते हैं धातु के आगे ना जोड़ने से क्रिया का सामान्य रूप बन जाता है जैसे पढ़ धातु में ना जोड ने से पढ़ना बन जाता है इसी प्रकार लिख + ना बराबर लिखना चल + ना बराबर चलना आदि बन जाता है ।
क्रिया के भेद होते हैं
- सकर्मक क्रिया
- अकर्मक क्रिया
1;- सकर्मक क्रिया [ सकर्मक क्रिया की परिभाषा ]
ऐसी क्रिया जिनके कार्य का फल कर्ता को छोड़कर कर्म पर पड़ता है उन्हें सकर्मक क्रिया कहते हैं जैसे - अध्यापक ने लड़के को पीटा इस वाक्य में अध्यापक कर्ता द्वारा पीटने के कार्य का फल लड़के पर पड़ा अतः यह वाक्य में सकर्मक क्रिया है
कुत्ते ने पकड़कर बिल्ली को मारा। इस वाक्य मैं भी कुत्ता एक कर्ता है जिसके द्वारा उसने बिल्ली को पकड़कर मारा है तो यह भी एक सकर्मक क्रिया के अंतर्गत आता है।
अपूर्ण सकर्मक क्रिया :- जिस सकर्मक क्रिया का पूरा आशय स्पष्ट करने के लिए वाक्य में कर्म के साथ अन्य संज्ञा या विशेषण का प्रयोग पूर्ति के रूप में होता है उसे अपूर्ण सकर्मक क्रिया कहते हैं।
जैसे:- राजा ने गंगाधर को मंत्री बनाया वाक्य में बताया सकर्मक क्रिया का कर्म गंगाधर है किंतु इतने मात्र से इस कर्म का आशय स्पष्ट नहीं होता है उसका आशय स्पष्ट करने के लिए उनके साथ मंत्री संज्ञा भी प्रयुक्त होता है इस वाक्य बनाया अपूर्णांक सकर्मक है गंगाधर कर्म है और मंत्री शब्द कर्म - पूर्ति है
2:- अकर्मक क्रिया - अकर्मक क्रिया की परिभाषा
जिन क्रियाओं के कार्य का फल कर्ता में ही रहता है उन्हें अकर्मक क्रिया कहते हैं जैसे विद्यार्थी पड़ता है इस वाक्य में पढ़ना क्रिया का फल विद्यार्थी कर्ता पर ही पड़ता है अतः इन वाक्यों में अकर्मक क्रिया होती है।
अकर्मक क्रिया का सीधा अर्थ यह है कि ऐसी क्रिया जिन का फल केवल कर्ता को ही प्राप्त होता है वह अकर्मक क्रिया कहलाती है ।
जिन धातुओं का प्रयोग आक्रमक और सकर्मक दोनों रूपों में होता है उन्हें उभयविध धातु कहते हैं ।
अपूर्ण अकर्मक क्रिया :- जिस क्रिया से पूर्ण अर्थ का बोध कराने के लिए करता के अतिरिक्त अन्य संज्ञा य विश्लेषण की आवश्यकता पड़ती है उसे अपूर्ण अकर्मक क्रिया कहते हैं।
इसका सीधा अर्थ यह है कि किसी करता की विशेषता को बताने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है
जैसे: -
वह मनुष्य बुद्धिमान है।
वाक्य में वह मनुष्य है से अभीष्ट अर्थ नहीं स्पष्ट होता है विस्तार से जानने के लिए यदि पूछा जाए वह मनुष्य क्या है तो उत्तर मिलेगा बुद्धिमान इस प्रकार उपरोक्त वाक्य मनुष्य पूर्ण अकर्मक क्रिया है तथा बुद्धिमान पूर्ति है।
उदाहरण :-
- मोहन बहुत चालाक है।
- राधा बहुत अच्छा गाती है।
- तुम अच्छे अध्यापक हो।
रचना के आधार पर क्रिया के भेद।
1:- मूल ( रूढ़ ) क्रिया जो क्रिया मूल धातु से बनती है उसे मूल रूप क्रिया कहते हैं जिसे लिखना , हंसना , रोना , आदि यह सभी क्रियाएं लिख , हंस , रो , आदि मूल धातुओं से बनी होती है
2:- योगी क्रियाएं: - योगी का अर्थ है कई तत्वों के लोगों से बनी या मूल क्रिया में प्रयुक्त लगाकर कई क्रियाओं को संयुक्त करके अथवा संज्ञा और विशेषण में प्रयुक्त लगाकर बनाई जाती है योगी क्रिया के चार भेद होते हैं।
- नामधातु क्रिया: - जो क्रिया है संज्ञा या विशेषण बनाती है उन्हें नामधातु क्रिया कहते हैं जैसे संज्ञा से बात से बतिया ना हास्य हथियाना दुख से दुखाना लाज ले लजाना आदि।
- प्रेरणार्थक क्रिया:- जिन क्रियाओं से यह बोध होता है कि करता स्वयं कार्य न करके किसी दूसरे को कार्य कराने के लिए प्रेरित करता है उन्हें प्रेरणार्थक क्रिया कहते हैं जैसे लिखना से लिखवाना, पड़ना से पढ़वाना , करना से करवाना , जितना से जितवाना ।
- संयुक्त क्रिया :- दो या दो से अधिक क्रियाओं के योग से जो पूर्ण क्रिया बनती है उससे संयुक्त क्रिया कहते है । जैसे राम खाना खा चुका है इस वाक्य में खाना और झुकना दो क्रियाओं के योग से पूर्ण क्रिया बनी है अतः यहां संयुक्त क्रिया है संयुक्त क्रिया अभ्यास अनीता अनुमति अवकाश आरंभ आवश्यकता इच्छा निरंतर पूर्णता समाप्ति इत्यादि अर्थ में प्रयुक्त होती है।
- अनुकरणत्मक क्रिया :- किसी वास्तु किया कल्पित ध्वनि के अनुकरण से बनने वाली क्रियाओं को अनुकरण आत्मा क्रियाएं कहते हैं जैसे खट खट से खटखटाना भन भन से भानभनाना थप थप से थपथपाना आदि ।
- वह खाना खाकर सो गया।
- अपना पाठ पढ़कर खेलो।
- वह एक पेज नकल लिख कर सो गया।
- वह अपना काम करके बैठ गया।
Q ;- 1 क्रिया के कितने भेद होते है
Q ;- 2 क्रिया किसे कहते है इसके कितने भेद है उदहारण सहित
Q ;- 3 क्रिया भेद क्या है
Q ;- 4 सकर्मक और अकर्मक क्रिया के उदहारण लिखो ?
Q ;- 5 क्रिया के 4 प्रकार कोन से है
- अकर्मक क्रिया
- सकर्मक क्रिया
- योजना
- अकर्मक
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