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महात्मा गांधी की जीवनी

महात्मा गांधी की जीवनी - MAHATMA GANDHI KI JIVNI 

हेलो दोस्तों अनिल कुमार पलासिया आज फिर आपके सामने एक ऐसा लेख लेकर आ रहा हूं जिसके बारे में आप सभी जानते हैं क्योंकि ऐसा  ना हो सकता है की गांधीजी [ महात्मा गाँधी की जीवनी  ]  के बारे में कोई नहीं जानते है  आज हम ऐसे महापुरुष के बारे में बात करने वाले हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश की सेवा के लिए समर्पण कर दिया था जिनकी नीति यूनी भारत को परा तंत्र से स्वतंत्रता की ओर लेकर आई थी । जिन्होंने देश में सत्य और अहिंसा का पाठ पढ़ाया मानव को एक साथ मिलजुल कर रहने की शिक्षा और प्रेरणा दी आज हम ऐसे ही महापुरुष जी के जीवन के कुछ अंश को देखेंगे और समझेंगे कि इन्होंने किस प्रकार से देश सेवा में अपना पूरा जीवन समर्पण कर दिया था।

महात्मा गांधी का निबंध

 

महात्मा गांधी की जीवनी

           

आज हम अपने इस लेख में हमारे देश के राष्ट्रपिता मोहनदास जी करमचंद गांधी के बारे में संक्षिप्त जानकारी को देखेंगे जिससे कि आप हो उनके व्यक्तित्व को पहचानने में बहुत ही सहायता मिलेगी।


प्रारंभिक जीवन - महात्मा गांधी का जीवन परिचय पर निबंध

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर एक समृद्ध परिवार में हुआ था उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था वह पोरबंदर के दीवान थे उनकी माता का नाम पुतलीबाई था उनकी माता अत्यंत धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थी उनके घर में शुरू से ही धार्मिक परिवेश का माहौल बना हुआ था इसलिए गांधीजी भी इस चीज से नहीं छूटे वे भी धर्म-कर्म पर बहुत विश्वास करते थे ।


गांधीजी की प्रारंभिक शिक्षा

गांधीजी की प्रारंभिक शिक्षा पोरबंदर के ही एक स्कूल में हुई थी इसके बाद प्रवेश परीक्षा में सफल होने के बाद उन्हें उच्च शिक्षा के लिए भावनगर की श्यामल दास कॉलेज में भेजा गया। लेकिन वहां उनका मन बिल्कुल भी नहीं लगा बाद में उनके भाई लक्ष्मी दास ने उन्हें बैरिस्टर की शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया। इंग्लैंड जाने से पहले ही मात्र 13 वर्ष की आयु में उनका विवाह कस्तूरबा गांधी से हो गया था। 1891 ईसवी में गांधीजी इंग्लैंड से बैरिस्टर पास कर स्वदेश आए और मुंबई में वकालत प्रारंभ कर दी।

इंग्लैंड में गांधीजी की पढ़ाई

गांधी जी  को पढ़ने के लिए इंग्लैंड में उनके भाई ने भेजा था गांधीजी बहुत सीमित साधन में अपने जीवन को जीना अच्छा समझते थे जब वह इंग्लैंड जाने लगे थे उस समय उन्होंने अपनी मां को वचन दिया था कि वह विदेश में रहकर कभी भी वहां की सभ्यता का अनुसरण नहीं करेंगे वह कभी भी मांस मदिरा का उपयोग नहीं करेंगे इसके लिए उन्होंने अपने कमरे में ही भोजन पकाना प्रारंभ करा ज्यादा रुपए खर्च ना हो इसके लिए उन्होंने वे अपने कॉलेज में पैदल जाते थे घर में ही खाना पकाते थे और अपने जूते को खुद ही पॉलिश करते थे इस तरीके से इंग्लैंड में रहकर भी वह अपनी सभ्यता को नहीं भूले थे।


गांधीजी का बैरिस्टर जीवन

गांधीजी के सामाजिक क्रांतिकारी जी जीवन का शुभारंभ 1893 में तब हुआ जब उन्हें एक मुकदमे के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ा वहां उन्होंने अंग्रेजों को भारतीय एवं वहां के मूल निवासियों के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते देखा वहां अंग्रेजों ने कई बार गांधी जी को भी अपमानित किया उन्होंने अंग्रेजों के अपमान के विरुद्ध मोर्चा संभालते हुए अपने विरोध के लिए सत्याग्रह एवं अहिंसा का रास्ता चुन। और वही से गांधी जी ने सत्य और अहिंसा पर चलना अपने जीवन का एक लक्ष्य बना लिया।

गांधीजी जब दक्षिण अफ्रीका में रहे वहां बसे भारतीयों एवं अवशेषों को उनके मानव सुलभ अधिकार दिलाने का प्रयत्न करते रहे , अपने उद्देश्य की पूर्ति हेतु उन्होंने अफ्रीका प्रवास के दौरान लोगों को शिक्षित करने के लिए अध्यापन के रूप में गरीबों की सेवा के लिए चिकित्सा के रूप में कानूनी अधिकार के लिए अधिवक्ता के रूप में एवं जनता को जागरूक करने के लिए पत्रकार के रूप में बहुत ही महत्वपूर्ण अपनी भूमिका निभाई।

गांधीजी ने जो दक्षिण अफ्रीका में कार्य किया था उसकी ख्याति भारत ने भी धीरे-धीरे फैलने लगी थी इसलिए जब भी स्वदेश लौटे तो उनका गोपाल कृष्ण गोखले और  लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक जैसे नेताओं ने भव्यता  के साथ स्वागत किया।

भारत में गांधीजी का पहला आंदोलन

भारत में गांधी जी ने जो पहला महत्वपूर्ण कार्य किया था वह बिहार के चंपारण जिले के नील क्रांति से सम्बंधित है  किसानों को अंग्रेजों से मुक्ति दिलाना वर्ष 1917 में गांधीजी के सत्याग्रह के फल स्वरुप ही चंपारण के किसानों का शोषण समाप्त हो सका था और यही से गांधी जी ने भारत में अपने कैरियर प्रारंभ किया था उनका पहला आंदोलन चंपारण में 1917 में हुआ था। 

  

अहमदाबाद में आश्रम की स्थापना।

 

गांधी जी ने अपने आंदोलन को मूल रूप देने के लिए और शांति से सत्याग्रह करने के लिए गुजरात के अहमदाबाद में एक आश्रम की स्थापना की और इसके बाद अंग्रेज सरकार के विरुद्ध उनका संघर्ष प्रारंभ हुआ और भारतीय राजनीति की बागडोर एक तरह से उनके हाथों में आ गई।

गांधी जी यह बात जानते थे के लाठी , तलवार ,लड़ाई ,से देश को आजादी नहीं दिला सकते हैं इसलिए उन्होंने अहिंसा का मार्ग अपनाया और इसके लिए वे कई बार जेल भी गए , अंग्रेजों के विरुद्ध वर्ष 1920 में उन्होंने असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया . अंग्रेजों ने जब नमक पर कर लगाया तो गांधीजी ने 13 मार्च 1930 को अपनी दांडी यात्रा आरंभ की और 24 दिनों की यात्रा के पश्चात अपने हाथों से डांडी में नमक बनाया इस तरह उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया  . इस बीच वे गांधी इवनिंग समझौते के लिए इंग्लैंड भी गए किंतु यह समझौता अंग्रेजों की नियति की वजह से टूट गया परिणाम स्वरूप यह आंदोलन वर्ष 1934 तक चलता रह। 


गांधी जी के द्वारा चलाए गए आंदोलन

  1. गांधी जी ने  1917 में कृषक के लिए चंपारण बिहार में सत्याग्रह किया था यह  भारत में उनका पहला आन्दोलन रहा था।
  2. अंग्रेजो के खिलाफ नमक कानून को तोड़ने के लिए 13 मार्च 1930 को दांडी यात्रा 24 दिन के लिए गांधीजी ने की थी
  3. गांधी जी ने गांधी इरविन समझौता के लिए इंग्लैंड भी गए थे लेकिन अंग्रेजों की अनियती के वजह से या समझौता टूट गया था
  4.  1920 में गांधी जी ने असहयोग आंदोलन प्रारंभ किया था
  5. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गांधीजी ने करो या मरो का नारा दिया था।
  6. गांधीजी के  परिश्रम से 15 अगस्त 1947 को भारत स्वतंत्र हुआ था इसलिए 1920 से 1947 तक भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में गांधीज की भूमिका के कारण इसको गांधी की संज्ञा दी गई है।
असहयोग आन्दोलन का चित्र 

महात्मा गांधी की जीवनी

           

एक समाज सुधारक के रूप में गांधीजी की भूमिका।

गांधीजी एक राज्यनेता  के रूप में , एक समाज सुधारक के रूप ,  में भी लोगों के सामने घूम रहे थे वह जातिवाद , छुआछूत ,नशाखोरी ,बहु विवाह ,पर्दा प्रथा ,तथा सांप्रदायिक भेदभाव ,को समाप्त करने के लिए अथक प्रयास करते थे गांधीजी ने जीवन भर हिंदू मस्लिम एकता के लिए प्रयास किया था।

बड़ी दुख की बात है कि गांधीजी को कोई भी ठीक से समझ नहीं पाया पाकिस्तान बनने के बाद भी गांधीजी पाकिस्तान की आर्थिक मदद करना चाहते थे लेकिन कट्टर बंदी हिंदू संगठनों ने गांधी जी की इस नीति का विरोध किया था 30 जनवरी 1948 को जब वे प्रार्थना सभा में जा रहे थे तब  नाथूराम गोडसे नामक व्यक्ति ने गोली मारकर उनकी निर्मम हत्या कर दी थी इस महान पुजारी का दुखद अंत हो गया ।


गांधीजी के बारे में संक्षिप्त जानकारी 

आज गांधीजी हमारे साथ नहीं है किंतु उनके विचार पूरी दुनिया में फैले हुए हैं और विचार ही आज हमें सही रास्ता दिखाते हैं सत्य और अहिंसा पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं गांधी जी ने दर्शन के रूप में आधारभूत सिद्धांत बताए थे

  1. सत्यम
  2. अहिंसा
  3. प्रेम
  4. सद्भावना
गांधीजी का मानना था कि सत्य ही परमेश्वर है उन्होंने शक्ति की आराधना को ही अपनी भक्ति माना था मुंडकउपनिषद से लिए गए राष्ट्रीय वाक्य सत्यमेव जयते के प्रेरणा स्त्रोत गांधी जी ही थे। गांधीजी की अहिंसा का अर्थ मन वाणी तथा कर्म से किसी को आहत ना करना उनका विचार था कि अहिंसा के बिना सत्य की खोज असंभव है अहिंसा साधन है और सत्य साध्य है । 

महत्वपूर्ण सार 

  1. गांधी जी को प्यार से बापू कहकर पुकारते थे ।
  2. गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 कर दो राजकोट पोरबंदर नामक ग्राम में हुआ था 
  3. गांधी जी के पिता का नाम करमचंद गांधी था उनके पिता दीवान थे
  4. गांधी जी की माता का नाम पुतलीबाई था उनकी माता धार्मिक प्रवृत्ति वाली महिला थी ।
  5. गांधी जी का विवाह बचपन में ही कस्तूरबा गांधी से हो गया था
  6. गांधीजी ने अपनी प्रारंभिक पढ़ाई पोरबंदर में ही की थी
  7. गांधीजी उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए इंग्लैंड गए थे।
  8. इंग्लैंड में गांधी जी ने स्वावलंबी जीवन जिया था।
  9. भारत में गांधीजी का पहला आंदोलन चंपारण में हुआ था।
  10. गांधी जी के अथक प्रयास से ही 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ था।


महात्मा गांधी के आंदोलन list

गांधी जी द्वारा चलाए गए प्रमुख आंदोलन 

चंपारण सत्याग्रह

चंपारण आंदोलन भारत का पहला नागरिक अवज्ञा आंदोलन था जो बिहार जिले में महात्मा गांधी के द्वारा 1917 में चलाया गया था इस आंदोलन के माध्यम से गांधीजी ने लोगों में ब्रिटिश शासन के खिलाफ जागरूकता फैलाने का प्रयास किया था उनके अधिकारों के लिए उन्हें जागरूक किया था।


महात्मा गांधी की जीवनी

          

असहयोग आंदोलन

गांधीजी ने 1920 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया गया था इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य यह था कि ब्रिटिश प्रशासन का किसी भी रूप में सहयोग नहीं करना है उन्हें मालूम था कि ब्रिटिश शासन से और उनकी न्याय प्रणाली से किसी को भी न्याय नहीं मिल सकता है इसलिए शांति रूप से हम ब्रिटिश शासन कोई मदत  धीरे-धीरे मदद नहीं करेंगे।


नमक सत्याग्रह।

 

महात्मा गांधी की जीवनी

 

महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए आंदोलन में नमक सत्याग्रह  एक महत्वपूर्ण आंदोलन था 13 मार्च 1930 को साबरमती आश्रम से दांडी गांव तक 24 दिन पैदल चलने के बाद उन्होंने नमक बनाकर नमक कानून को तोड़ा था 


दलित आंदोलन।

गांधी जी ने 8 मई 1933 से छुआछूत विरोधी आंदोलन की शुरुआत की थी और इसके साथ ही अखिल भारतीय युवा छात्र विरोधी नीति स्थापना 1932 में गांधी जी के द्वारा ही की गई थी


भारत छोड़ो आंदोलन

अगस्त 1942 में गांधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की और भारत को छोड़कर जाने के लिए अंग्रेजों को मजबूर करने के लिए सामूहिक रूप से सविनय अवज्ञा आंदोलन या करो या मरो का नारा दिया।

दोस्तों हमने इस लेख में कुछ सार जानकारी को आपके सामने रखना का प्रयास किया है गांधीजी का जीवन तो एक आदर्श है उनके बारे में लिखना अनन्त है फिर भी हमने कुछ तथ्य इसमें रखे है महात्मा गांधी की जीवनी MAHATMA GANDHI KI JIVNI महात्मा गांधी का निबंध महात्मा गांधी का जीवन परिचय पर निबंध महात्मा गांधी के आंदोलन list महात्मा गांधी आप एक बार इसका अध्यन करे यह तथ्य परीक्षा की द्रष्ट्री से बनाया गया है 

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