भारत निर्वाचन आयोग क्या है - Bharat ke chunav aayog
हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया आपका फिर palashiyaaclasses में स्वागत करता हु इस लेख में हम आपको भारत निर्वाचन आयोग क्या है - Bharat ke chunav aayog से सम्बंधित जानकारी को इस लेख में देखेंगे जिससे यह लेख आपको सभी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा हम निर्वाचन आयोग से सम्बंधित जानकारी को देखेंगे .
भारत निर्वाचन आयोग
निर्वाचन आयोग से सम्बंधित अनुच्छेद
गठन एवं संरचना
- निर्वाचन आयोग का गठन अनुच्छेद 324 के तहत किया जाता है
- मुख्य चुनाव आयुक्त तथा अन्य आयुक्तो को मिलाकर किया जाता है।
- निर्वाचन आयोग के सदस्यों की संख्या राष्ट्रपति निर्धारित करता है
- मुख्य निर्वाचन आयुक्त सहित सभी निर्वाचन आयुक्तो की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
- वर्तमान में तीन सदस्यीय आयोग हैं।
- सर्वप्रथम 1999 में चुनाव आयोग बहूसदस्यीय बनाया गया था
- 1991 में संसदीय अधिनियम द्वारा आयोग तीन सदस्यीय कर दिया गया जो बहुमत के आधार पर निर्णय करता है।
निर्वाचन आयोग का कार्यकाल
- निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से 6 वर्ष के लिए होता है।
- लेकिन कुछ परिस्थितियों में वह 6 वर्ष के पूर्व भी पदमुक्त किया जा सकता है
- 65 वर्ष उम्र पूरी कर ली हो ।
- यदि राष्ट्रपति को संबोधित त्याग - पत्र दे दिया हो ।
- उसके विरुद्ध संसद में महाभियोग पारित कर दिया हो,
वेतन तथा भत्ता :-
भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त को 2,50,000 रुपए प्रति माह तथा अन्य चुनाव आयुक्त को 2,25,000 प्रतिमा वेतन मिलता है।
जज को हटाने की विधि
1- सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने का आधार : सिद्ध कदाचार या अक्षमता
2;- सुप्रीम कोर्ट के जज को हटाने की विधि : संसद के दोनों सदनों द्वारा विशेष बहुमत से पारित प्रस्ताव पर राष्ट्रपति द्वारा जारी पद मुक्ति आदेश।
स्मरणीय तथ्य
चुनाव आयोग के सदस्यों की आहर्त कोई निश्चित संविधान में नहीं दी गई है यद्यपि यह आयुक्त सामान्यतः भारतीय प्रशासनिक सेवा से लिए जाते हैं।
मुख्य एवं अन्य चुनाव आयुक्त की सेवावधि एवं सेवा शर्तों का उल्लेख मूलतः संविधान में नहीं किया गया, अपितु राष्ट्रपति को अधिकृत किया गया है कि वह आदेश द्वारा इसका निर्धारण करें । सेवा शर्तों में मात्र पदमुक्ति के संबंध में संविधान का अनुच्छेद 324 (5) स्पष्ट उल्लेख करता है।
सेवानिवृत्ति परिषद मुख्य एवं अन्य आयुक्तों की अन्य पदों पर नियुक्ति के संबंध में कोई प्रतिबंध नहीं है।
निर्वाचन संबंधी अन्य प्रावधान :-
गुप्त मतदान :- भारत में गुप्त मतदान की प्रणाली अपनाई गई है । गुप्त मतदान से तात्पर्य है कि प्रत्येक नागरिक अपने प्रतिनिधि के चुनाव के लिए स्वतंत्र है । उसे यह बताने के लिए बात नहीं किया जा सकता कि उसने अपना मत किसे दिया।
नामांकन :- निर्वाचन दलों के उम्मीदवारों के बीच से एक का नामांकन होता है। दलों के अधिकृत उम्मीदवार और निर्दलीय उम्मीदवार अपने संबद्ध निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचन अधिकारी के समक्ष अपना नामांकन पत्र दाखिल करते हैं, जो उसे क्षेत्र के काम से कम दो मतदाताओं द्वारा प्रस्तावित और अनुमोदित होना चाहिए। यदि नामांकन पत्र में कोई त्रुटि हो या कोई व्यक्ति उम्मीदवारी के अयोग्य हो तो निर्वाचन अधिकारी उस नामांकन पत्र को खारिज कर सकता है।
चुनाव - प्रचार :- निर्वाचन के लिए मत - पत्र तैयार किया जाता है । उस पर प्रत्याशी के नाम के साथ-साथ उसका चुनाव - चिन्ह अंकित होता है । निर्वाचन आयोग विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए भिन्न-भिन्न चुनाव चिन्ह निर्धारित करता है । सामान्यतया राजनीतिक दलों को पसंदीदा चुनाव चिन्ह ही मिल जाते हैं।
परिसीमन आयोग :-
संसदीय क्षेत्र (लोकसभा, विधानसभा) का पुनः निर्धारण करने के लिए प्रत्येक जनगणना के बाद परिसीमन किया जाने का प्रावधान संविधान में किया गया है।
अनुच्छेद 82 :- सांसद लोकसभा के क्षेत्र का परिसीमन करने के लिए प्रत्येक जनगणना के बाद अधिनियम बनाएगी।
अनुच्छेद 170 :- संसद विधानसभाई क्षेत्र का परिसीमन करने के लिए प्रत्येक जनगणना के बाद अधिनियम बनाएगी।
परिसीमन आयोग :- संसद के उक्त कानून के प्रभाव में आते ही केंद्र द्वारा परिसीमन आयोग का गठन किया जाता है।
अब तक चार आयोग गठित हुए हैं 1952, 1963, 1973 एवं 2002 ।
अर्थात 1981, 1991 एवं 2011 की जनगणना के पश्चात परिसीमन आयोग गठित नहीं किए गए।
निर्वाचन आयोग के अध्यक्षों की सूची
निर्वाचन सुधार :-
1996 से पूर्व
राज्यसभा व विधान परिषद हेतु प्रस्तावकों की व्यवस्था करना।
मतदान आयु को कम करना 61 वा संशोधन 1988 के द्वारा 21 वर्ष से हटाकर 18 वर्ष उम्र करना।
मतदान केंद्र पर कब्जा होने पर चुनाव को रद्द करना 1989 में।
1989 में EVM का प्रावधान जिसे 1998 में प्रयोग में लाया गया । ( राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली के विधानसभा के चुनाव में )
जमानत राशि में वृद्धि, चुनाव समाप्त होने के 48 घंटे पूर्व से एल्कोहल पर प्रतिबंध लगाया गया।
1990 में वी. पी. सिंह सरकार द्वारा विधि मंत्री दिनेश गोस्वामी की अध्यक्षता में समिति बनाई गई जिसने अपनी रिपोर्ट 1990 में दी लेकिन इसे 1996 में लागू किया गया।
उम्मीदवार की मृत्यु हो जाने पर चुनाव रद्द नहीं होगा।
यदि कोई उम्मीदवार खड़ा होता है तो उसे 10 प्रस्ताव की आवश्यकता होती है। मान्यता प्राप्त दल के संदर्भ में ऐसा नहीं ।
चुनाव के दिन कर्मचारी का वेतन नहीं काटा जाएगा।
1996 के पश्चात्
डाक मत का प्रयोग 1991
2003 से उम्मीदवारों द्वारा आपराधिक मामलों व संपत्ति आदि का ब्योरा देना आवश्यक किया गया ।
यदि वह ब्योरा झूठा होता है तो 6 माह की जेल या जुर्माना या दोनों।
निर्वाचन कार्यो के लिए कर्मचारियों को लगाना।
1998 से इसके तहत स्थानीय निकाय, राष्ट्रीयकृत बैंक के कर्मचारियों को भी लगाया जा सकता है।
राज्यसभा में 2003 से गुप्त मतदान के स्थान पर खुले मतदान की व्यवस्था की गई ।
मनोनीत एजेंट के सामने मत का प्रयोग
इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का प्रयोग निर्वाचन आयोग के द्वारा आवंटित समय के अनुसार होगा।
दलों के द्वारा चंदे की स्वीकार्यता ₹ 20,000 तक यदि इससे अधिक चंदा लेते हैं तो निर्वाचन आयोग को सूचित करना पड़ता है।
हथियारों का प्रयोग निर्वाचन क्षेत्र के प्रांगण में निषेध।
कोई भी व्यक्ति दो से अधिक क्षेत्रों में चुनाव नहीं लड़ सकता।
उपचुनाव 6 माह के भीतर हो जाना चाहिए।
दोस्तों इस लेख में हम आपको भारत के निर्वाचन आयोग से सम्बंधित जानकारी को हम इस लेख में देखेंगे भारत निर्वाचन आयोग क्या है - Bharat ke chunav aayog निर्वाचन आयोग के चार कार्य निर्वाचन आयोग के कार्य एवं शक्तियां निर्वाचन आयोग का गठन निर्वाचन आयोग से सम्बंधित जानकारी को हम इस लेख में देखेंगे
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