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My mother essay 1000 words

My mother essay 1000 words मेरी माता 

हेलो दोस्तोमे अनिल कुमार पलाशिया आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण लेख लेकर आ रहा हु इस लेख में हम माता क्या होती है माँ की क्या भूमिका होती होती है और माँ किस प्रकार से अपने बच्चो को अपनी जान से भी ज्यादा रखती है . उन्हें कोई परेशानी नहीं आने देती है 
कहते है माँ के बारे में सहाब माँ को गिनती नहीं आती है चार रोटी खिलाती है और कहती है बेटा तूने तो अभी तिन ही रोटी खाई है ऐसा है माँ का दिल तो आज हमारा यह लेख एक माँ के ऊपर है के किस प्रकार से एक माता अपने बच्चो के लिए कुर्वानी देती है लेकिन वेही बच्चे बड़े होकर अपनी माता से ही पुच्छ्ते है आखिर तुमने मेरे लिए किया ही क्या है 


My mother essay 1000 words


माँ क्या होती है 

माँ क्या होती है उसकी क्या एहमियत होती है है ये तो उनसे पूछो जिनकी कोई माता नहीं होती है जो बिन माँ के पले बड़े है ये उनसे पूछो उन्हें सबसे ज्यादा मालूम है के माँ की कीमत क्या होती है . लेकिन आज जिन के पास माँ है उन्हें अपनी माँ की कोई कीमत नहीं है लोग दिखावा करते है मदर डे पर माता के साथ फोटो खिचबाते है और फिर अगले दिन बापस उसे भूल जाते है सर एक दिन के लिए ही होती है माँ मदर डे इसके बाद माँ की कोई एह मीयत नहीं होती है , 

ऐसा क्यों होता है ऐ कोई नहीं जानता है सब दिखावा करके कहते है में अपनी माँ से बहुत प्यार करता हु , पर असल में ऐसा होता नहीं है अगर माँ नोकरी करती है तो बेटे पैसे के पीछे अपनी माँ की इज्जत करते है या फिर जब तक पिता है तब तक माता की इज्जत होती है फिर इसके बाद या तो माँ अंनाथ आलय में जाती है या फिर घार में नोकरानी बन कर रह जाती है पर असल में ऐसा कोयो होता है इसके बारे में कोई बात नहीं करता है 

माँ और ईश्वर की तुलना 

अक्सर लोग मंदिर जाते है माला जपते है खूब प्रसाद चडाते है लोगो को दान धर्म करते है अच्छी बात है करना भी चाहिए लेकिन घर में माँ तडप रही है भूखी है उसकी कोई फ़िक्र नहीं है लोगो को गुलाब जामुन दे रहे है लेकिन माँ से कोई खाने की भी नहीं पूछ रहा है ऐसा क्यों होता है 
अगर माने तो माँ इश्वर से भी बड़ी होती है इश्वर कोई नहीं होता हमारे घर में ही इश्वर है माँ के रूप में वो हमशे रूठी हुई है और हम मंदिर में बैठी माँ को मानाने जा रहे है जब घर की माँ उदास है तो आप उस माँ को कैसे मना सकते हो जो पुरे जग की माँ है 

मेरी माँ my mother story निबंध - My mother Essay 2000 words

 माँ  क्या है इसकी कल्पना कोइ भी नहीं कर सकता है बस उसी पर आज का विषय है मेरी  माँ  .माँ  जिसके पास है उसके पास खुदा है जिसके पास नहीं है उसके पास कुछ नहीं है 


My mother essay 1000 words


मेरी माँ प्रेमलता पलाशिया 

में माँ के लिए कुछ लिखू इतना  में ज्ञानी नहीं हु पर मेरी माँ जैसी कोई माँ नहीं हो सकती है दुनिया में सबसे अच्छी  माँ वैसे पिता जी तो सबके सख्त होते ही है पर मेरे पिताजी की तो बात ही निराली है पर हम जानते है के पिता का सख्त होना ही जरुरी है अपने बच्चो के  लिए। 
प्रारम्भिक  जीवन 
नौकरी का समय   
पत्थर  मिटटी का मकान 

मेरी माँ -my mother निबंध 

वैसे जेसी मेरी नानी जी थी वैसी ही मेरी माताजी।  मेरा नाम अनिल  पलाशिया है मेरी  माँ मेरे लिए आदर्श है ये समझलो इश्वर को तो नहीं देखा बस सब उनमे ही देख लिया।  उन्हें देख कर लगता है इश्वर कितना अच्छा है जब माँ और पापा अपने परिवार से अलग हुए उस समय हमारे पास रहने के लिए छत भी नहीं थी एक छोटी सी कुटिया घास पूस की करिव 1995 के दशक में दो तीन बर्तन लेकर घर से अलग हुए पापा मम्मी फिर दुबारा दादा दादी के पास नहीं लोटे। 

उस समय न पापा की नौकरी न मम्मी की नौकरी किसी के पास कुछ नहीं फिर भी हिम्मत नहीं हारी  और साथ में हम दो भाई में और मेरा छोटा भाई बहुत जिद करने वाले। 

मेरे पापा मजदूरी करते दिन रात और जैसे तैसे अपना घर चलाते पर उन्होंने मम्मी को कभी भी कोई काम नहीं करने दिया और हमारी हर जरुरत की पूर्ति करते गए।पर हर समय अच्छा रहे ऐसा कहा होता है पापा की वन विभाग में फारेस्ट आफिसर  की पोस्ट पे नौकरी लग गई।  कहते है जब व्यक्ति के पास कुछ नहीं होता है उस समय व्यक्ति बहुत कुछ मेहनत करता है वस्  वही  से मम्मी और हमारी लाइफ में विपरीत समय चालु हुआ जो 2015 तक रहा।  

my mother story 

पापा ने घर पर ध्यान देना बंद कर दिया । ये तो वो खुदा ही जनता है वैसे पापा घर पैसे तो देते पर उनके सारे पैसे न जाने कहा जाते .  रोज लड़ाई झगड़ा बस घर में यही काम हमारी हालत और जयादा खराव होने लगी। 

वहा से मेरी मम्मी का रोल चालु होता है हम संत राधास्वामी जी को बहुत मानते है मेरी मम्मी बस रोया करती और बाबाजी से प्राथना करती हमारी दसा कब सुधरेगी उस समय हम दोनों भाई की उम्र 10 /और 13 साल के करीब रही होगी। 

रोज मालिक से अजदाज करती हे बाबाजी अब हमारा क्या होगा।  मेरे बच्चे आगे कैसे बढ़ेंगे हमारे घर में तो दिन रात लड़ाई का ही काम है अब पापा जी ने नौकरी पे कभी  जाते कभी नहीं जाते  और एक दिन ऐसा भी आया।  


My mother essay 1000 words


जब 1999 में मम्मी की नौकरी टीचर में लग गई।  मम्मी को ऐसा लगा उस परमेश्वर ने उनके जीवन की तपस्या को स्वीकार कर लिया।  मम्मी की नौकरी हमारे नगर से 6 किलोंमीटर दूर गांव में लगी जहा पैदल जाना पड़ता था कभी पापा उन्हे साइकल से छोड़ते कभी में खुद उनके साथ जाता स्कूल उस समय में 5 वि में पड़ता था 

 नौकरी मिली साथ में अनेक चुनोतिया भी सामने आती गई।  रोज पैदल या साइकल से स्कुल घर में भी काम उस समय 500 रु महीना वेतन  मिलता था वेतन जो 10 दिन  चलता    पापा जी का खर्चा और  बढ़ता चला गया।  गलती उनकी नहीं संगति खराव थी उस समय पर मेरी  माँ जानती थी ये मेरी परीक्षा का दिन है समय वो भी न रहा तो ये भी न रहेगा।  बस उस मालिक को याद करके अपना काम करती चली जा रही थी 

मम्मी ने ठान लिया था अब घास पूस की झोपडी में नहीं रहना बस मम्मी घर के पिच्छे से गड्डा खोदना चालू कर दिया स्कुल से जब भी समय मिलता मट्टी आखेटी करना।  पापा ने पूछा ये किस लिए मम्मी का कहना बस अब मकान  बनाएंगे वो भी मट्टी पत्थर का  पापा ने देखा ये नहीं मानेगी फिर वो भी उनकी मदत करने लगे वो काम पे जाने से पहले खुद मट्टी खोद दे ते मम्मी को जब टाइम मिलता वो एक जगह आखेटा कर लेती। 

हम दोनों भाई तो मामा के  यहाँ गर्मी में चले जाते 2 महीने की गर्मी की छुट्टी से हम जब घर लौटते तो क्या देखते है के घास की झोपडी की जगह पर दो कच्चे कमरे पत्थर मिटटी के बने है हम दोनों भाई तो बहुत खुश पर बस यही  सोचते रहते इतनी गर्मी में मम्मी ने ये काम कैसे किया होगा वो भी अकेले।  जबकि पापाजी तो बस न जाने क्यों अपने कर्तव्य से भटक गए थे 

बैसे मेरे पापा जी मम्मी का ख्याल बहुत रखते   थे धीरे धीरे समय वितता गया हम तीन भाई अब बड़े भी होने लगे लेकिन वो समय जो वीता उस समय को जब भी हम याद करते  है तो आखो में आंसू आजाते सायद हमारी परीक्षा 2015 तक बहुत ही रही उस बिच में ऐसे कई समय आये जिसमे हमें कभी कभी भूखा भी सोना पड़ा मेरी माँ ने हिम्मत नहीं हारी । वो एक बार स्कुल  छुट्टी लेकर सोयाबीन काटने चली गई।  पापा  में भाई सब बहुत नाराज हुए पर नाराज होने से घर थोड़े चलता है नजाने पापा के लिए हमने उपबास किये , सरे ध्यान देवी देवता सब कोशिश कर ली पर पापा नहीं माने। 

और एक दिन पापा की तवियत बहुत खराव हो गई हमारे पास एक रूपए नहीं पर पापा का  इलाज करवाना भी है नजाने कितने रुपये उधार व्याज से लिए पापाजी को ठीक करा पर मेरे पापा भी पापा ही है कह दिया आज से में गलत रस्ते पे  नहीं जाऊँगा .  बस वो दिन के आज का दिन पापाजी कबी गलत रस्ते पे नहीं गए .अब तो बो इतना बदल गए के पूछो मत .

सायद ये मेरी माँ की तपस्या का ही फल है जो आज उन्हें मिला।  तो आज दुनिया की सारी  ख़ुशी उनके पास है आज हम तीनो भाइयो की सादी  हो गई सब साथ रहते है मेरी माँ एक कड़ी है जिनने सभी बहुओ को बहु नहीं बेटी बनाकर रखा।  

वो तो कहती है के मेरी बेटी नहीं है पर में बहु को अपनी बेटी बनाकर रखूंगी और मालिक ने तो ऐसी सुनी के उन्हें बहु नहीं बैटिया मिली जो उनके लड़को से भी ज्यादा   वो ध्यान रखती है हा में कहता हु ये उनकी तपस्या थी जिसका फल उन्हें मिला।  आज 15 /16 कमरे तीन मंजिलांजा मकान कही जाने के लिए कार , तीन मोटर साइकल जिस जिस चीज से हम तरसे थे वो सब आज हमारे पास है किसकी बजह से बस मेरी माँ  की बजह से उनकी तपस्या से .

बैसे इस मुकाम तक पहुंचने के लिए घर के सभी लोगो का बहुत ही योगदान है हर एक व्यक्ति ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत सहयोग किया है  

 सभी को धन्यबाद   

अनिल कुमार पलाशिया 

 जिसके होने से में खुद को मुकममल मानता  हु में खुदा से पहले मेरी माँ को जनता हु  

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दोस्तों हमने यह पोस्ट एक माँ के प्यार और प्रेम से सम्बंधित लिखी है के किस प्रकार वो अपने बच्चो से प्यार करती है और किस तरह से वो उन्हें पलती है My mother essay 1000 words My mother Essay 2000 words my mother essay 10 lines 10 lines on my mother in English मेरी माँ प्रेमलता पलाशिया my mother st

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