मध्य प्रदेश के प्रमुख राजवंश - madhya pradesh ke rajvansh
हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया palashiyaclasses आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण पोस्ट को लेकर आया हु इस पोस्ट इ हम मध्यप्रदेश के प्रमुख राजवंश madhya pradesh ke rajvansh से सम्बंधित सभी जानकारी को लेकर आया हु इस पोस्ट में हम मध्यप्रदेश के सभी राज्य वंश और उससे सम्बंधित सभी जानकारी इस पोस्ट में रखेंगे . इस पोस्ट में हम सभी राज्य वंश और उससे सम्बंधित सभी राज्य की जानकारी को देखेंगे .
मध्य प्रदेश के प्रमुख राजवंश कौन कौन से हैं?
- मोर्य वंश
- परमार वंश चंदेल वंश
- हैहय वंश
- गुप्त वंश
- शुंग वंश
- वाकाटक वंश
- कलचुरी वंश
- चंदेल वंश
- बुन्देल वंश
- बघेल वंश
- होल्कर वंश -उज्जैन
- सिंधिया वंश जीवाजीराव सिंधिया
मध्यप्रदेश के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाएं
मौर्य काल - मौर्य काल के भारतीय इतिहास का सबसे प्राचीन राजवंश है।
- इसकी स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके प्रधान मंत्री चाणक्य ने की थी।
- चंद्रगुप्त ने घनान्द की हत्त्या [ नन्द वंश ] करके मौर्य वंश की स्थापना की थी।
- इसकी राजधानी पाटलिपुत्र [ पटना ] थी।
- मौर्य वंश का अंतिम शाशक बृहद्रहथ 185 था।
- मौर्य वंश का शाशन 321 से 185 ईस्वी तक रहा था।
- मौर्य वंश का शाशन 137 वर्ष तक रहा था।
- मगध सम्राज्य गंगा नदी के मैदान है।
- सम्राट अशोक के शाशन में मौर्य वंश का बहुत विकास हुआ।
- चाणक्य के दुवारा अर्धशास्त्र की रचना की गई थी।
- सेल्युकेटस ने अपनी पुत्री हेलना से चन्द्रगुप्त का विबाह कराया था।
- मौर्य काल के भारतीय इतिहास का सबसे प्राचीन राजवंश है।
- इसकी स्थापना चन्द्रगुप्त मौर्य और उसके प्रधान मंत्री चाणक्य ने की थी।
- चंद्रगुप्त ने घनान्द की हत्त्या [ नन्द वंश ] करके मौर्य वंश की स्थापना की थी।
- इसकी राजधानी पाटलिपुत्र [ पटना ] थी।
- मौर्य वंश का अंतिम शाशक बृहद्रहथ 185 था।
- मौर्य वंश का शाशन 321 से 185 ईस्वी तक रहा था।
- मौर्य वंश का शाशन 137 वर्ष तक रहा था।
- मगध सम्राज्य गंगा नदी के मैदान है।
- सम्राट अशोक के शाशन में मौर्य वंश का बहुत विकास हुआ।
- चाणक्य के दुवारा अर्धशास्त्र की रचना की गई थी।
- सेल्युकेटस ने अपनी पुत्री हेलना से चन्द्रगुप्त का विबाह कराया था।
- पुष्प मित्र सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य का राज्य पाल था
- उसने सुदर्शन झील की स्थापना की थी।
- अंतिम समय में चन्द्रगुप्त जैन मुनि भद्रबाहु के साथ श्रवणबेला चले गए
- उपवास करके अपने प्राण त्याग दिए।
- बिन्दुसार को वायु पुराण में भद्रसार और जैन साहित्य में सिंहसेन कहा गया है।
- यूनानी लेखकों ने इसे अमित्रघात कहा है
- बिन्दुसार ब्रह्माण्ड धर्म को मानने बाले था
- बिन्दुसार के दरवार में सीरिया के राजा एण्टियोकस प्रथम ने डाइमेकस नामक राजदूतः को भेजा था।
- दिव्यदान के अनुसार बिन्दुसार के शाशन काल में दो विद्रोह हुऐ।
- दिव्यदान के अनुसार अशोक उज्जैन के अपराजा थे।
- सम्राट अशोक 273 ईस्वी राजगद्दी पर बैठे।
- सम्राट अशोक को देवनप्रिय , राजा आदि की उपादि दी थी।
- सम्राट अशोक के पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका बोध्य धर्म के प्रचार के भेजा था।
- अशोक ने उज्जैन और तक्षशिला के विद्रोह दबाया था।
- सम्राट अशोक बोध्य धर्म दीक्षा उपगुप्त ने दी थी।
- अशोक को देवनाप्रिय और प्रियदर्शी भी कहा गया है
- अशोक ने अपना विवाह विदिशा की नगर सेठ MAHADEVI देवी से किया था।
मौर्य कालीन अभिलेख
- रुपनाथ -जवलपुर के सिहोर तहसील का एक गांव।
- गुर्जरा [दतिया ]
- सारोमारो [शहडोल ]
- पानगुराड़िया [सीहोर ]
- साँची [रायसेन ]
मौर्यकालीन स्मारक
- सम्राट अशोक ने अपनी पत्नी देवी के कहने से उज्जैन में एक विशाल स्तूप निर्माण कराया। उसे वैश्य टेकरी के नाम जाना जाता है।
- साँची के स्तूप में महावीर मोगलियान एवं सारिपुत्र की अस्थिया रखी है।
- सर्वप्रथम 1818 ईस्वी में जनरल टेलर के इसकी खोज की।
- सर्वप्रथम 1912 -1920 में सर जान मार्शल ने साँची स्तूप का पुनरुद्धार करवाया।
- सतधारा स्तूप को सबसे पहले - कनिंघम ने 1853 में खोज की।
- स्तूप न, 3 कनिघम को हरिस्तिपुटस के अवशेष।
- भोजपुर स्तूप [ विदिशा ] में में 37 स्तूपों के अवशेष पाए गए है
- भरहुत स्तूप की खोज सर्वप्रथम कनिंघम ने 1873 ईस्वी में थी
- देउरकोठार के स्तूप रीवा जिले।
- तुमेन के स्तूप [ तूमैन ] जिला गुना विदिशा तथा मथुरा को जोड़ने वाले व्यपारिक मार्ग पर स्थित है
- कसरावद का स्तूप खरगोन जिले है।
- महेश्वर और नावदा टोली नर्मदा नदी के उत्तरी एवं दक्षिण तटों खरगोन है।
- पानगुराड़िया का स्तूप ;- मौर्यकालीन स्तूप है
- मध्यप्रदेश मौर्य कालीन नगर है ;- त्रिपुरी ,ऐरन ,महिस्मती।,भागिल ,विदिशा ,उज्जैनीय ,एवं पदमावती प्रमुख थे।
- महाभारत काल में उज्जैन को सांदीपनि अक्षम भी कहा है
शुंग वंश ;-
- हर्षचरित तथा पुराणों पुष्पमित्र शुंक जिसने 185 ई ,मगध पर शुंग वंश नीव डाली
- मालविकाग्निमित्रम से पता चलता है पुष्प मित्र शुंग का पुत्रअग्निमित्र विदिशा [भिलसा ] का राज्य पाल था।
- कालिदास रचित संस्कृत नाटक [मालविकानिगमित्राम ] का नायक अग्निमित्राम है
- शुंग काल में भरहुत स्तूप के आकार बढ़ाया गया था।
- शुंग काल के 8 वे शाशक भागवत [ काशीपुत्र भागभद ] के काल में ऐंटिएलिक्सड़स के यूनानी राजदूत हेलियोडोरस ने बेसनगर [विदिशा में भगवान विष्णु को समर्पित एक गरुणध्वज स्थम्ब को स्थापित गया।
- शुंग का शाशन काल मोर्यो के बाद का शाशन मन जाता है
- हेलियोडोरस ने बेसनगर [बिदिशा इनका शाशन 185 ई ,से 73 ई तक का शाशन 112 वर्षो तक का रहा था .
- पुष्पमित्र शुंग इस वंश के प्रथम शाशक थे
- शुंग उज्जैन के माने जातें थे
- पुष्पमित्र शुंग अंतिम मोर्य सम्राट ब्रहाद्रथ का सेनापति था
- शुंग वंश के शाशन में पाटलिपुत्र , अयोध्या , विदिशा प्रमुख नगर थे
- दिव्य्दान एवं तारानाथ के अनुसार जलंधर और साकल नगर था।
- पतंजलि के महाभाष्य से पता चला है की पतंजलि ने पुष्पमित्र शुंग अशुवमेघ यज्ञ करवाया।
- पुष्पमित्र ने पशु वली को पुनर्जीवित किया था।
- पुष्पमित्र एक ब्राम्मण राजा था किन्तु उसने भरहुत स्तूप का निर्माण और साँची स्तूप की रेलिंग बनवाई थी
- वसुमित्र के शाशन काल में यवन नरेश एण्टियलकीड्स का राजदूत हेलियोडोरस विदिशा में आया था।
- पुष्प मित्र शुंग के पुरोहित वसुमित्र थे।
सातवाहन वंश
- मध्यप्रदेश के कुछ क्षेत्रो में सातवाहनों के अवशेष भी प्राप्त हुऐ है
- सातवाहन वंश स्थापना सिमुख ने की थी।
- सातवाहनों में प्रमुख राजा थे - सिमुक ,शातकर्णि प्रथम ,गौतमी पुत्र शातकर्णि ,वसिष्ठपुत्र ,पुलुमावी।
- प्रतिष्ठान [औरंगाबाद ] सातवाहन वंश की राजधानी रही है।
- सातवाहन वंश की राजकीय भाषा प्रकृत भाषा व् ब्राम्ही लिपि हैसातवाहन राजवंश मातृसत्तात्मक था
- सातवंश के राजाओ के दुवारा अजंता और एलोरा की गुफा का निर्माण किया था।
- ब्रामणो को भूमि दान देने की प्रथा सर्वप्रथम सातवाहनों ने किया था।
- साँची के अभिलेख वेदिका पर उत्कर्ण लेख में सातवाहन शाशक शातकर्णि प्रथम के बारे में लिखा है की मालवा के क्षेत्र में उनका राज्य था।
- सातवाहनों के सिक्के राजा सिरि सात उज्जैन ,देवास ,होशंगावाद ,जवलपुर मिले है
- अंतिम सातवाहन शाशक यज्ञ श्री शातकर्णि के सिक्के बेसनगर तेवर और देवास प्राप्त हुए है त्रिपुरी के उत्खनन से सातवाहनों के सीसे के सिक्के प्राप्त हुये है
शक वंश
- मध्यप्रदेश पर पश्चिम भारत के शक झात्रो का योगदान रहा था
- सबसे प्रतापी शाशक का नह्पान का राज्य मंदसोर तथा उज्जैन थी
- चाष्टान - वंश काठियावाडा एवम उज्जैन में शाशन करता था
- शंक क्षत्रपो का अभिलेख उज्जैन से मिला है
कुषाण
- कुषाण प्राचीन भारत के राजवंशो में से एक था .
- ये लोग चीन से आये हुये माने जाते थे .
- इसी कारण कनिष्क ने अपना नाम और राजकीय भाषा को बदलकर बैक्टीरिया आर्य भाषा रख दिया था .
- कुषाण वंश का प्रथम शाशक कडफ़ीस या कुजुल कडफिसेस प्रथम थे .
- वासुदेव प्रथम के सिक्के तेवर [ जवलपुर ] से प्राप्त है
- कुषाण कालीन अभिलेख वसिश्क का साँची अभिलेख तथा जवलपुर के भेडाघाट से प्राप्त दो मूर्ति अभिलेख है।
- कनिष्क के राजदरबार में विध्वान अश्वघोष [ राजयकवी रचना - बुध्य्चरित्र ,सारिपुत्र प्रकरण। आचार्य नागार्जुन पार्श्व ,वसुमित्र ,चरक।
उज्जेनीय के विक्रमादित्य -
- वराहपुराण एवम अन्य ब्रम्हाण ग्रन्थ में प्रमुख साथ स्थानों को देव भूमि कहा है
- अयोध्या , मथुरा ,माया ,काशी कांची ,अवन्तिका तथा पूरी है
- शिप्रा नदी के किनारे वसा उज्जैन नगर को प्रथ्वी का नाभि स्थल भी कहा गया है
- उज्जैन के राजा विक्रमादित्य ने 58 ई में विक्रम संवत चलाया .
- विक्रमादित्य की राज्य भाषा में नवरत्न थे - धन्वन्तरी , अमर सिह , वेताल भट्ट ,कालिदास , वरामिहिर , वररुचि
नाग वंश
- दूसरी शताव्दी में विदिशा -ग्वालियर क्षेत्र में नागवंश की स्थापना की थी
- गुप्त सम्राट समुद्रगुप्त के इलाहाबाद स्तम्ब लेख में नाग वंश के अंतिम शशक गणपति नाग का शाशन आया है
- भीमनग शाशक ने अपनी राजधानी विदिशा से पद्मबती स्तान्तरित की . नागवंश के अधिकतर सिक्के पवाया [ पदमावती ] से मिले है।
बाकाटक वंश
गुप्त काल की एक समकालीन शक्ति वाकाटक वंश थी पुराणों के अनुसार वाकाटक वंश का संस्थापक विंध्यशक्ति था जिसने विदिशा पर आक्रमण करके नागो को भगाया था। प्रवेशन प्रथम ने अश्वमेघ यज्ञ करवाया था।
गुप्त काल [ स्वर्ण युग ]
- गुप्त काल का उदय 3 री शताब्दी में हुआ था।
- इनकी राजधानी कौशाम्बी थी
- इस काल का प्रारम्भ 3 री शताब्दी के अंत में माना जाता है
- गुप्त वंश के संस्थापक श्रीगुप्त थे
- [ 240 -280 ] गुप्त वंश में समुद्रगुप्त ऐसा शाशक था
- जिसके साक्ष्य [ सिक्के ] मध्यप्रदेश से प्राप्त हुये है।
- प्रयाग प्रशक्ति के अनुसार समुद्रगुप्त ने नाग वंश के गणपतिनाग / और नागसेन को पराजित किया था
- सागर [ MP ] में ऐरण अभिलेख से समुद्रगुप्त का अभिलेख के साक्ष्य मिले है।
- ऐरण का नाम समुद्रगुप्त के काल के समय स्वभोग नगर था
- समुद्रगुप्त का बनमाला और सकोर अभिलेख से यह पता चलता है के समुद्रगुप्त के सिक्के मध्यप्रदेश के अधिकांश भाग नर्मदा नदी के उत्तर सिमा तक फैले थे।
- गुप्त काल के कुछ सिक्के [कांस्य ] विदिशा और सकोर से प्राप्त हुये है।
- रामगुप्त शाशक के कुछ सिक्के तांबे के [ सिंह और गरुण ] के ऐरण और विदिशा से प्राप्त हुए है।
- मन्दसौर अभिलेख से भी गुप्त काल के शाशक कुमार गुप्त के शाशान की जानकारी मिली है
- सुपिया अभिलेख से [ रीवा ] में स्वाकंद गुप्त के शाशन का उल्लेख है
- उसका शाशन विंध्य प्रदेश पर भी था।
- मन्दसौर में ऐरण अभिलेख से भानुगुप्त के शाशन की जानकारी मिलती है।
- गुप्त वंश के प्रतापी शाशक चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य ने उज्जैन को अपनी राजधानी बनाई।
- बाघ की गुफा का निर्माण धार जिले में गुप्त शाशक ने किया था।
FCQ ;-
1 ;- मध्य प्रदेश के प्रमुख राजवंश कोन कोन से है
ANS ;- मध्य प्रदेश के प्रमुख राजवंश
- बुंदेलखंड - राजा रूद्र प्रताप सिंह
- बघेल वंश - व्याघ्र देव
- होलकर वश - मल्हार राव होलकर
- सिंधिया वंश - राणा जी सिंधिया
2 ;- मध्य प्रदेश का सबसे पुराना नाम क्या है
ANS ;- मध्य भारत
3 ;- मध्य प्रदेश को कितने भागो में वाटा गया है
ANS ;- 6 भागो में
4 ;- प्रमुख राजवश कोन कोन है
ANS ;- प्रमुख राजवंश
- सूर्य वंश - इक्शावुक
- चंद्रवंशी - पुरुष
- मगध - राजवंश
5;- सबसे बड़ा राज्य वंश कोन सा है
ANS ;- अशोक का मोर्य साम्राज्य
6 ;- पहला राजवंश कोन सा है
ANS ;- शिशुनाग वंश
7 ;- सबसे शक्ति शाली वंश कोन है
ANS ;- मोर्य साम्राज्य
8 ;- सबसे पुराना राज्य वंश कोन था
ANS ;- मोर्य वंश
9 ;- भारत का सबसे बुद्दिमान राजा कोन था
ANS ;- उजैन के राजा विक्रमादित्य
10 ;- भारत में कितने राजवंश है
ANS ;- भारत में राज्य वंश मोर्य , हर्यक , शिशुनाग , नन्द वंश , चोल वंश , चालुक्य वंश
11 ;- भारत का आखरी राजा कोन है
ANS ;- हेमू अथवा हेमचन्द्र विक्रमादित्य
12 ;- चन्द्रगुप्त मोर्य कोन से वंश के थे
ANS ;- मोर्य वंश
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