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भारत में कितने प्रायद्वीपीय पठार हैं

भारत में कितने प्रायद्वीपीय पठार हैं? - bharat me kitne praydvipiya pathar hai

हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया एक बार फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण पोस्ट को लेकर आ रहा हु इस पोस्ट में हम भारत में कितने प्रायद्वीपीय पठार हैं? - bharat me kitne praydvipiya pathar hai की सभी चोटी की महत्वपूर्ण जानकारी को लेकर आ रहा हु इस टोपिक के माध्यम से हम इसकी सारी चोटिया और पठार सभी के बारे में चर्चा करेंगे . जिससे के यह टोपिक आपको बहुत ही सरल लगेगा . 

प्रायद्वीपीय भारत का पठार

praydeep pathar ka mahatva

प्रायद्वीपीय भारत का पठार map

  • प्रायद्वीप भारत में दक्षिण भारत के विविध सामयिक और जलवायु पेटर्न शामिल है 
  • प्रायद्वीपीय एक विशाल उलटे त्रिकोंण  के आकार का है 
  • पश्चिम में अरव् सागर दुवारा , पूर्व में बंगाल की खाड़ी और उत्तर में विन्ध्य और सतपुड़ा पर्वत माला दुवारा घिरा है 
  • लाल मिटटी प्रायद्वीप भारत की महत्वपूर्ण मिटटी है 
  • यह मिटटी नर्मदा और महानदी दुवारा बनाई गई रेखा उत्तरी और दक्षिणी भारत के बिच पारंपरिक सीमा बनती है 
  • यह उत्तरीय पश्चिम में अरावली , उत्तर में हजारी बाग़ और राजमहल पहाडियों , पश्चिम घाट [ सहयद्री पर्वत ] और पूर्व में पूर्वी घाटो से घिरा है 
  • प्रयदिपीय भारत की सबसे ऊँची चोटी अनामुड़ी है जो समुद्र ताल से 2695 मीटर है 

प्रायद्वीपीय पठार कहां से कहां तक फैला है

  • दक्षिण भारत के प्रायद्वीपीय पठार प्रदेश का क्षेत्रफल करिव 9 लाख वर्ग km है 
  • इसकी ओसत उचाई 500 - 700 मी के के मध्य है 
  • यह विश्व का सबसे बड़ा प्रय्दिविपीय पठार है 
  • यह विश्व के प्राचीनतम पर्वतो से एक है इसे पठारों का भी पठार कहते है 
  • यहाँ पर अनेक पठार  है 
  • अरावली पर्वत - [ उत्तरीय - पश्चिम सीमांत ] 
  • बिन्ध्य पर्वत - [ उत्तरी सीमांत ] 
  • राजमहल की पहाड़िया -[ उत्तर पूर्वी सीमांत ] 
  • गिर की पहाड़िया -[ काथियावाडा पठार ] 
  • पश्चिमी घाट पर्वत ,निलगिरी ,अन्नामलाई , कार्डमम तथा नागर कोल की पहाड़िया 
  • आंतरिक भागो में सतपुड़ा , महादेव , मेकाल , अजंता , पार्स्वनाथ और पालनी की पहाड़िया है 


प्रायद्वीपीय पठार की विशेषताएं

  • दक्कन का पठार ,
  • पूर्वी पठार ,
  • मध्यवर्ती पठार ,
  • काथियावाडा का पठार 

भारत के पर्वत 

दक्कन का पठार - प्रायद्वीपीय पठार का वर्णन कीजिए

  • दक्कन का पठार जिसे विशाल प्राय्दिपीय पठार के नाम से भी जाना जाता है 
  • भारत का विशालतम पठार है 
  • दक्षिण भारत का मुख्य भू भाग इस ही पठार त्रिभुजाकार है 
  • इसकी उत्तर की सीमा सतपुड़ा और विन्ध्याचल है पर्वत  दुवारा है 
  • पूर्व और पश्चिम की सीमा क्रमशा पूर्वी घाट एवं पश्चिम घाट दुवारा निर्धारित होती है 
  • यह भारत के लगभग 8 राज्यों में फैले है .दक्कन का पठार सतपुड़ा , महादेव तथा मेकाल से लेकर निलगिरी पर्वत के विच अवस्थित है 
  • इसकी ओसत उचाई 300- 900 मी के बिच है इसे पुनह तिन भागो में वाटा गया है .
  • महाराष्ट्र का पठार [ काली मृदा ] 
  • आंद्रप्रदेश का पठार , जिसे आन्द्रा प्लेटो कहते है इसे दो भागो में वाटा गया है 
  • [ तेलंगाना का पठार / रायसिमा का पठार [ आर्कियन्न चट्टानों की प्रधानता ] कर्नाटक पठार मैसूर का पठार . यह धात्विक खनिजो के लिए प्रसिद्ध है 
  • दक्खन का पठार कठोर आग्रेय चट्टानों से बना है  

   अरावली पर्वत की जानकारी - प्रायद्वीपीय पठार का महत्व

प्रायद्वीपीय भारत का पठार


अरावली पर्वत की महत्वपूर्ण जानकारी -

  • अरावली पर्वत  भारत  के पश्चिम भाग में राजस्थान में स्थित है 
  • जिसे राजस्थान में आदवाला पर्वत के नाम से भी जाना जाता है 
  • अरावली प्राचीनतम पर्वत क्षेणी है जो गोंडवाना लेंड का भाग है 
  • यह संसार की सबसे प्राचीनतम पर्वत माला है 
  • अरावली का सर्वोच्च पर्वत शिखर सिरोही जिले में गुरुशिखर 1722 / 1727 मिटर है 
  • जो माउन्ट आबू सिरोही में है 
  • अरावली पर्वतमाला के आस पास सदियों से भील जनजाति निवास करती है 
  • यह एक अवशिष्ट पर्वत है जिसकी कुल लम्बाई गुजरात से दिल्ली तक लगभग 692 km है  
  • दिल्ली में स्थित राष्ट्रियपति भवन रायसीना की पहाड़ी पर बना है जो अरावली पर्वत का श्रंखला का ही भाग है . 
  • यह पर्वत श्रंखला गुजरात राज्य से दिल्ली होते हुये भारतीय पर्वत माला है 
  • अरावली पर्वत माला से प्रमुख नदिया बहती है - बनास , लूनी , साखी , एवं साबरमती का उदगमन हुआ है 

अरावली की प्रमुख चोटी -

  • गुरु शिखर - सिरोह [ 1722 मिटर ] 
  • सेर चोटी - सिरोही [ 1597 ] 
  • दिलवाडा - सिरोही [ इसी पर्वत पर प्रसिद्ध जैन मंदिर है 1442 मिटर ] 
  • आबू पर्वत - सिरोही [ 1380 मिटर ] 
  • कुम्भाल्गड़ - राजसमंद [ 1224 मिटर ] 
  • सांभर - जयपुर [ 900 मिटर ] 

विन्ध्याचल पर्वत माला ;-


प्रायद्वीपीय भारत का पठार


प्रायद्वीपीय पठार की विशेषताएं - प्रायद्वीपीय पठार UPSC


  • विन्ध्याचल पर्वत - भारत के पश्चिम - मध्य भाग में एक प्राचीन गोलाकार पर्वत माला है 
  • सही रूप से देखा जाए तो यह उत्तर भारत और दक्षिण भारत को अलग करने वाला पर्वत है 
  • यह पर्वत गुजरात ,उत्तर प्रदेश , मध्यप्रदेश ,विहार पूर्व में छ्तिस्गड़ ,और झारखण्ड तक फैला है 
  • विन्ध्याचल का वर्णन रामायण और महाभारत में भी बताया है 
  • यह पर्वत की चोटिया उत्तर में गंगा नदी तक जाती है 
  • विन्ध्याचल पर्वत से चम्बल , बेतवा , केन ,और टोन्स , तमसा ,काली सिंध , सोन , पार्वती नदिया बहती है 
  • इसका सबसे उचतम विन्दु अमरकंटक है जिसकी उचाई 1077 मिटर है 
  • यह गुजरात से झारखण्ड तक 1086 km तक फैली हुई है .
  • विन्ध्याचल पर्वत मालवा पठार का दक्षिण छोर बनाते हुये दो भाग में वट जाती है 
  • एक कैमूर श्रेणी जो सोन नदी के उत्तर से पश्चिम विहार राज्य तक फैली है 
  • दक्षिण शाखा जो सोन और नर्मदा नदी के उपरी क्षेत्र के बिच [ मेकाल श्रेणी ] जो सतपुड़ा से मिलती है 
  • इसके उत्तर में क्रमश [ मालवा का पठार , बुंदेलखंड का पठार , भांडेर का पठार , बघेलखंड का पठार है 
  • अमरकंटक , विन्ध्याचल पर्वत और सतपुड़ा पर्वत श्रेणी के मिलन विन्दु पर है 
  • अमरकंटक भारत के मध्य प्रदेश राज्य में अनुपपुर जिले में है ] 
  • विन्ध्याचल पर्वत का सबसे उचतम शिखर सद्भावना शिखर [ गुडविल पिक /कलुमार 752 मिटर  ] को माना जाता है यह भांडेर क्षेणी में है यह रीवा पन्ना के पठार में माना जाता है ] 

मालवा का पठार;मध्य भारत का पठार

  • विन्ध्याचल का ही भाग है यह अरावली और विन्ध्याचल के विच में है 
  • इस पठार का निर्माण ग्रेनाईट जैसे कठोर चट्टान से हुआ है 
  • इस पठार की ओसत उचाई 800 मिटर है बेतवा , कालीसिंध , चम्बल , पार्वती ये नदिया बहती है 
  • मालवा का पठार लावा बाला पठार है 
  • इसके पूर्व में बुंदेलखंड और उत्तर पश्चिम में अरावली पहाड़िया है . 
  • इसकी ढाल उत्तर मुखी है 
  • इसके दक्षिण में द्क्क्खन का पठार है 
  • यहाँ पर सागोन के वन पाये जाते है इस पठार पर 25 इंच वर्षा होती है 
  • मालवा मध्यप्रदेश के 28 % भाग पर फैला है
  •  इसका विस्तार भोपाल , गुना,  रायसेन,  सागर, देवास,  सीहोर,  उज्जैन,  इन्दोर , रतलाम,  क्षाबुआ,  एवं मंदसोर ,जिले तक फैला है 

प्रायद्वीपीय भारत का पठार

  • मालवा पठार का निर्माण दक्कन ट्रेप की वैसाल्ट व लावा चट्टानों से बना है 
  • यहाँ पर वर्षा 75 से 125 cm वर्षा होती है 
  • यहाँ पर काली मिटटी का विस्तार है 
  • गेंहू [ मध्यप्रदेश का गेहू का डलिया ] सोयाविन , कपास , अफीम [ मंदसोर -नीमच ] मूंगफली , ज्वार आदि . मालवा के पठार में एस्बेस्टास , राक्फस्फेट डोलोमाइट , स्लेट [ मंदसोर ] 
  • मालवा के पठार की सर्वोच चोटी [  सिगार-881 मिटर इसे मालवा का मुकुट  ] 
  • जनापाव -854 मिटर  
  • हजारी चोटी - 810 मिटर मुख्य है 
  • यहाँ की मुख्य जनजाति भील ,गोंड़ , पटलीया है 
  • मालवा के पठार में कृतिम रेशा बनाने का कारखाना - नागदा में है
  • मध्यप्रदेश सूती वस्त्र उद्योग - इंदोर में है 
  • मध्यप्रदेश भेल कारखाना है - भोपाल
  • नोट प्रेस और लेदर काम्प्लेक्स - देवास 
  • आप्टिकल फाइबर मंडीदीप - रायसेन 
  • मध्यप्रदेश आटोमोबाइल उद्योग - पीतमपुर भारत का ड्रेट्राईट भी कहा जाता है 
  • मेघनगर और पिल्लू खेडी प्रमुख उद्योगिक केंद्र है   


बुंदेलखंड का पठार;- मध्य भारत का पठार की भौगोलिक स्थिति

  • बुंदेलखंड मध्य भारत का एक प्राचीन क्षेत्र है 
  • इसका प्राचीन नाम जेजकुभुक्ति था इसका विस्तार उत्तर पदेश से मध्यप्रदेश में है 
  • बुन्देली इस क्षेत्र की मुख्य भाषा है 
  • यहाँ के प्रमुख राजवंश चंदेल - [ 831 - 1182 ] महोबा , कालिंजर , खजुराहो , खंगार [ 1182 - 1337 ] तक बुंदेलखंड अपनी ख्याति के कारण ही प्रसिद्ध है 
  • क्योकि यहाँ पर महान चंदेल शाशक विद्याधर , आलाहउदल , खेतसिहखंगार , महाराजा छत्रसाल , बुंदेला , राजा भोज , ईसुरी , कवी पाद्धाकर ,झाँसी की रानी , हरी सिह गोर , मेथ्लिचरण गुप्त , मेजर धयांचंद्र , गोस्वामी तुलसीदास ,माधव प्रसाद तिवारी महोवा आदि अनेक महान विभूतियो का सम्बंद रहा है 
  • बुंदेलखंड में ही पन्ना , खजुराहो , झाँसी , और सागर विश्व प्रसिद्ध है  
  • बुंदेलखंड का पठार [ मध्यभारत के पठार के पूर्व में तथा रीवा पन्ना के उत्तर में 23737 वर्ग km 7.7  है 
  • पठार आर्कियान क्रम की ग्रेनाईट की चट्टान से बना है 
  • मध्य भाग जलोढ़ मृदा से बना है [ यहाँ की जलवायु महाद्वीपीय है गर्मी में ज्यादा गर्मी और ठंड में ज्यादा ठंड है 
  • यहाँ पर वर्षा दक्षिण पश्चिम मानसून की बंगाल की खाड़ी से 75 से 100 sm वर्षा होती है 
  • यहाँ पर काली व लाल मिटटी के मिक्षण से बनी दोमट मिटटी से निर्माण हुआ है यहाँ की मुख्य फसल गेहू , ज्वार , दलहन , तिलहन , सरसों , अलसी . 
  • बुंदेलखंड की प्रमुख नदिया - बेतवा , केन [ बुंदेलखंड की जीवन रेखा ] धसान प्रमुख नदिया है केन बेतवा लिंक परियोजना , माताटीला बेतवा परियोजना यही पर है बुंदेलखंड के पठार की सर्वोच्च चोटी -सिद्ध बाबा 1172 मिटर  है 
  • मध्यप्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थल खजुराहो [ विश्व प्रसिद्ध विरासत ] ओरछा [ प्रसिद्ध तीर्थ ] पीताम्बर पीठ चंदेरी , ओरछा किले सोनगिरी , छत्रसाल संग्रहालय . 
  • बुंदेलखंड के प्रमुख खनिज - हिरा [ पन्ना ] रोकफारेस्ट [ सागर ] 
  • यहाँ के प्रसिद्ध लोकगीत आलाउदल [  जगनिक ] हरदोली की मनोती 
  • प्रमुख लोक नृत्य - बधाई , राई खजुराहो उतसव . हाल ही में बुंदेलखंड क्षेत्र में छतरपुर जिले में हीरा संग्रहालय केंद्र बनाया गया है जो की भारत का पहला एवं एकमात्र संग्राहलय है 

   

प्रायद्वीपीय भारत का पठार


राजमहल की पहाड़िया;-

  • भारत के झारखण्ड राज्य के संथान परगना विभाग में स्थित एक पर्वतमाला है 
  • इनका नाम साहिबगंज जिले ; के राजमहल  नगर पर पड़ा है  
  • 200 -300 [उची पहाड़िया है यह भूवैज्ञानिक द्रष्टि से प्राचीनतम गोंडवाना लैंड का भाग था .
  • कुछ महत्वपूर्ण टिप्स - 19 वि शताव्दी के प्रारंभ वर्ष में बुनकर ने राजमहल की पहाडियों का दोरा किया था 
  • उसके वर्णन के अनुसार ये पहाड़िया अभेद लगती थी
  • बुनकर जहा भी गया वहा के लोगो का व्यवहार शत्रुतापूर्ण पाया था वे 
  • पहाड़ी बाले लोग कम्पनी के लोगो से बात करने को तेयार नहीं थे 
  • बहा पर संथाल विद्रोह हुआ झारखण्ड जिसके प्रमुख नेता सिधु मांझी प्रमुख नेता 

छोटा नागपुर का पठार ;

  • यह पठार झारखण्ड राज्य के पलामू धनबाद , हजरिबाद ,व राची जिलो में विस्तृत है
  • महानदी ,सोन स्वर्ण रेखा , दामोदर इस पठार की प्रमुख नदिया है 
  • राजमहल पहाड़िया इस पठार की उत्तरीय सीमा बनाती है 
  • यह पठार कई भागो में वाटा गया है 
  • इसमें हजारी बाग़ का पठार , कोरोमंडल का पठार एवं राची का पठार शामिल है 
  • यहाँ पर ग्रेनाईट व नीस की चट्टान पाई जाती है 
  • यह पठार खनिज पदार्थ में बनी है 
  • यहा भारत के प्रमुख खनिज बाक्साइट , अभ्रक व कोयला भारी मात्रा में पाये जाते है 
  • वन सम्पदा में इसका विशेष महत्त्व है 

पश्चिमी घाट पर्वत ,निलगिरी ,अन्नामलाई , कार्डमम तथा नागर कोल की पहाड़ी 

  • पश्चिम घाट हिमालय के बाद भारत की दूसरी सबसे लम्बी पर्वत श्रेणी है , 
  • जिसका विस्तार ताप्ती नदी घाटी से निलगिरी की पहाडियों तक है 
  • इसे सहद्री के नाम से जाना जाता है 
  • पश्चिम घाट दक्षिण के पठार के पश्चिम में स्थित है 
  • जो अवशिष्ट पर्वत है तथा लगातार न होकर बिच - बिच में टुटा है 
  • अफ्रीका से भारत के अलग होने के क्रम में अरव सागर के रूप भ्रंश घाटी का निर्माण हुआ 
  • भ्रंश कगार के रूप में पश्चिम घाट रह गया है 
  • इस कारण पश्चिम घाट का पश्चिम ढाल तीव्र है 
  • इसके दक्षिण में निलगिरी की पहाड़िया है 
  • जिसे पूर्वी तथा पश्चिमी घाट का मिलन स्थल कहा जाता है 
  • दक्षिण भारत का सर्वोच्च शिखर अन्नैमुदी है जो अन्नामलाई पर्वत की चोटी है 
  • पश्चिम घाट पर्वत में कुछ दर्रो का विकास हुआ है 
  • जिसमे थाल घाट तथा भोर घाट महाराष्ट में है 
  • थाल घाट नासिक को मुम्बई से तथा भोर घाट पुणे को मुंबई से जोड़ता है 
  • एक अन्य दर्रा पाल घाट केरल राज्य में स्थित है 
  • जो दक्षिण भारत के दो प्रमुख शहर कोंची व चेन्नई को जोड़ता है 
  • भारत के पश्चिम तट पर स्थित पर्वत श्रंखला को पश्चिम घाट या सह्याद्री कहते है 
  • यह पठार दक्खन के पश्चिम किनारे के साथ - साथ यह पर्वतीय श्रंखला उत्तर से दक्षिण की तरह 1600 km लम्बी है 
  • यह गुजरात और महाराष्ट्र की सीमा से शुरू होती है और महाराष्ट , गोवा , कर्णाटक , तमिल्नांडू , तथा केरल से होते हुये कन्याकुमारी में समाप्त हो जाती है 
  • वर्ष 2012 में यूनेस्को ने पश्चिम घाट क्षेत्र के 39 स्थान को विश्व धरोहर स्थल घोषित किया है पश्चिम घाट का संस्कृत नाम सह्याद्री पर्वत है 
  • इस घाट पर थाल घाट , भोर घाट , पाल घाट तीन प्रसिद्ध दर्रे है थाल घाट से होकर बम्बई - आगरा - मार्ग जाता है इस पठार की सबसे उची चोटी कल्सुबाई चोटी है भोर घाट से बम्बई -पूना मार्ग गुजरात है 
  • अंत में दक्षिण में जाकर यह श्रेणी पूर्वी घाट पहाड़ से निलगिरी के पठार के रूप में मिल जाती है 
  • निलगिरी पठार के दक्षिण में प्रसिद्ध प्रसिद्ध दर्रा पालघाट है दक्षिण में ही यह क्षेणी अन्नामलाई पहाड़ी के रूप में चलती है 

     प्रायद्वीपीय पठार का महत्व drishti ias

प्रायद्वीपीय भारत का पठार


अरावली पर्वत श्रेणी ;- 

  • ये गुजरात से लेकर राजस्थान , हरियाणा तक 800 km तक फैली है 
  • ये पर्वत 570 मिलियन वर्ष पुराणी है 
  • ये विश्व की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखला है 
  • अरावली पर्वत की सबसे उची चोटी गुरुशिखर है 
  • जिसकी उचाई 1722 मी है जो राजस्थान में है 

विन्ध्याचल पर्वत - 

  • ये पर्वत बहुत पुराना और मोडदार है 
  • जो की गुजरात , मध्यप्रदेश , उत्तर प्रदेश , झारखण्ड में है 
  • मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले इसके कुछ हिस्से को भारनेर के नाम से जाना जाता है 
  • मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश की सीमा पर फैले इसके कुछ भाग को कैमूर के नाम से जाना जाता है 
  • झारखण्ड के फैले कुछ हिस्से को पारसनाथ के नाम से भी जाना जाता है 

सतपुड़ा पर्वत

  • यह  श्रेणी दक्कन के पठार का ही भाग है 
  • जो तिन भागो में वाटा गया है पश्चिम में इसे राजपीपळा की पहाड़ी के नाम से जाना जाता है 
  • मध्यप्रदेश में इसके भाग को महादेव पहाड़ी के नाम से भी और पूर्व में छतिस्गड स्थित है 
  • इसके भाग को मेकाल पर्वत के नाम से जाना जाता है 
  • सतपुड़ा पर्वत की सबसे उची चोटी धुपगड है 
  • जो 1350 मी है जो महादेव पहाड़ी का हिस्सा है 
  • इस श्रेणी के उतरिय भाग पर नर्मदा नदी और दक्षिणी भाग पर ताप्ती नदी बहती है  

प्रायद्वीपीय पठार का महत्व

प्रायद्वीपीय भारत का पठार
   

अजंता पर्वत श्रेणी - 

  • ये पूरी तरह से महाराष्ट में है 
  • इस पर्वत में स्थित गुफाये गुप्तकालीन चित्रकला के लिए प्रसिद्ध है सतमाला पहाड़ी और हरिश्चंद्र पर्वत महारास्ट में ही है 
  • बालाघाट पर्वत श्रेन्ख्ला महाराष्ट्र , कर्नाटक तक फैली है 
  • ये गोदावरी नदी और भीमा नदी के विच जल विभाजन का कार्य करती है  

पूर्वी घाट एवं पश्चिम घाट की पहाड़िया;- 

  • नाल्लामलाई की पहाड़िया - ये पहाड़िया आंद्रप्रदेश में कृष्ण नदी के दक्षिण में है जो की उत्तर से दक्षिण तक फैली है 
  • जावदी पहाड़ी - ये पहाड़ी तमिल्नांडू राज्य मे है 
  • निलगिरी की पहाड़ी - जहा पर पूर्वी घाट और पश्चिमी घाट मिलते है वहा पर ये पहाड़ी स्थित है ये पहाड़ी केरल ,तमिल्नांडू , कर्नाटक राज्य में फैली है इसे ही पहाडियों की रानी के नाम से जाना जाता है इसकी सर्वोच्च चोटी डोडाबेटा है जो 2637 मी दक्षिण भारत की दूसरी सबसे उची पर्वत चोटी है प्रसिद्ध टोडा जनजाति यही निवास करती है 
  • अन्नामलाई की पहाड़ी - केरल एवं तमिल्नांडू राज्य की सीमा पर स्थित पहाड़ी है जिसकी सबसे उची चोटी अन्नामुदी 2695 मी है ये दक्षिण भारत के सबसे ऊँची चोटी है   
  • कार्डमम की पहाड़ी - ये पहाड़ी केरल और तमिल्नांडू में विस्त्रत है ये भारत की अंतिम पहाड़िया है ये पहाड़िया इलायची की पहाडियों के लिए भी जानि जाती है 
  • पूर्वी घाट पर्वत श्रेणी का सर्वोच्च शिखर महेंद्र गिरी है जबकि पश्चिमी घाट का सर्वोच्च पर्वत शिखर अन्नामुदी है 
FCQ ;- 

1 ;- प्रायद्वीपीय पठार की क्या विशेषता है 

ANS ;- यह एक त्रिभुजाकार भूभाग है जो उत्तर में चोडा तथा दक्षिणी भाग में पतला होता है इसका निर्माण लावा प्रवाह से हुआ है . ज्वालामुखी उद भेदन के कारण इसका बड़ा भाग बेशाल्ट के शेल से बना है 

2 ;- प्रायद्वीपीय पठारका अर्थ क्या है 

ANS ;- गंगा व यमुना के दक्षिण उभरता हुआ विशाल भूखंड भारत का प्रायद्वीपीय पठार कहलाता है जिसक आकार मोटे तोर पर त्रिभुजाकार है 

3;-  प्रायद्वीपीय पठार की उचाई क्या है 

ANS ;-  प्रायद्वीपीय पठार की ओसत उचाई 300 से 900 मीटर के मध्य है यह पठार गोंडवाना भूमि के भारतीय भूभाग पर अव्स्तिथ है 

4 ;-  प्रायद्वीपीय पठार में कोन से वन पाए जाते है 

ANS ;- शुष्क पर्वपाती वन 70 cm से 100 cm के बिच वर्षा वाले क्षेत्रो में पाई जाती है ये पठार विहार तथा उत्तर प्रदेश के मैदानी भागो में पाए जाते है 

5 ;- क्या  भारत एक प्रायद्वीपीय पठार है 

ANS ;- प्रायद्वीपीय पठार भारत के 8 राज्यों में फैला हुआ है रजस्थान , महाराष्ट्र , गुजरात तेलंगाना , कर्णाटक , तमिल्नांडू , केरल और ओडिशा में फैला हुआ है 

6 ;- प्रायद्वीपीय पठार को कितने बागो में वाटा गया था 

ANS ;- तिन भागो में वाटा गया था 

7;- विश्व का  सबसे बड़ा प्रायद्वीपीय पठार कोन सा है 

ANS ;- अरब प्रायद्वीपीय 

8 ;-  प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण कैसे हुआ 

ANS ;-  प्रायद्वीपीय पठार पुराने क्रिस्टलीय ,आग्रेय और रूपांतरित चट्टानों से बनी एक मेज्भूमि है इसका निर्माण गोंडवाना भूमि के टूटने और खिसकने से हुआ है 

9 ;- भारत का प्रायद्वीपीय पठार कब बना था 

ANS ;- गोंडवाना भूमि के विखंडन के बाद बने ये घाट लगभग 150 मिलियन वर्ष पुराना है 

10 ;- भारत का  सबसे बड़ा पठार कोन सा है 

ANS ;- भारत का  सबसे बड़ा पठार दक्कन का पठार है 

11 ;- प्रायद्वीपीय पठार को देश का सबसे प्राचीनतम भू भाग क्यों कहा जाता है 

ANS ;-  प्रायद्वीपीय पठार को प्राचीनतम भूभाग माना जाता है  प्रायद्वीपीय पठार की रचना पुराने क्रिस्टलीय , आग्रेय तथा कायांतरित चट्टानों से की गई है गोंडवाना भूमि के टूटने तथा बहने के कारण प्रायद्वीपीय पठार का निर्माण हुआ है 

12 ;- भारत में कितने पठार है 

ANS ;- भारत में कुल 7 पठार है साथ पठारों को मारवाड़ पठार , मध्य उच्भूमि , बुंदेलखंड , उच्च भूमि , मालवा पठार , बघेलखंड , छोटानागपुर , पठार , मेघालय पठार ,दक्कन का पठार और महाराष्ट्र पठार के रूप में जाना जाता है 

13 ;   प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी कोन सी है 

ANS ;- गोदावरी नदी 

14 ;- भारतीय प्रायद्वीपीय का नाम क्या है 

ANS ;- भारतीय प्रायद्वीपी गोंडवाना भूमि का एक हिस्सा था यह सबसे पुराना भू भाग था 

15 ;- एशिया का सबसे बड़ा पठार कोनसा है 

ANS ;- किंघाई - तिब्बत पठार [ यह दुनिया की छत दक्षिण - पश्चिम चीन के ऊपर स्तिथ है ] 

16 ;- भारत की प्रय्दिपीय नदी कोन सी है 

ANS ;- भारत की प्रायद्वीपीय नदी - महानदी , गोदावरी , कृष्णा तथा कावेरी पूर्व की और बहती है 

17 ;- praydvipiya pathar kya hote hain likhiye 

ANS ;- प्रायद्वीपीय पठार , भारत का एक भूभाग है जो तीन और से जल से घिरा हुआ है यह भारत का सबसे बड़ा और सबसे पुराना भोतिक विभाजन है इसकी ओसत उचाई 600 से 900 मीटर है यह त्रिभुजाकार कार है 

18 ;- प्रायद्वीपीय पठार का महत्व drishti ias

ANS ;- यह भारत के सबसे मूल्यवान धातु भण्डार का घर है इसमें लोहा , बाक्साईट , अभ्रक , सोना , तम्बा आदि शामिल है . यह एक अत्यंत उपजाऊ क्षेत्र है . यह उत्तरीय भारत और प्रायद्वीपीय भारत की मुख्यजल विभाजक है 

19 ;- praydeep pathar kya hote hain 

ANS ;- 

प्रयादिव्पीय पठार तिन और से पानी से घिरा हुआ है यह एक पठारी क्षेत्र है यह एक अनियमित त्रिभुजा कार भूखंड है इसकी ओसत उंचाई 600 से 900 मीटर है 


दोस्तों ये पोस्ट  प्रायद्वीप भारत का पठार MAP  बनाने में बहुत मेहनत लगी है और अक्सर इससे कही न कही प्रश्न MPPSC में पूछ ही लेते है आप एक बार जरुर इसे देखले आपलोगों को इससे बहुत से टोपिक याद हो जायेंगे और समझने में आसानी होगी . प्रायद्वीपीय भारत का पठार praydeep pathar ka mahatva भारतीय प्रायद्वीपीय का पठार प्रायद्वीपीय पठार का महत्व मालवा का पठार बुंदेलखंड का पठार राजमहल की 

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