Classification of computer development कम्प्यूटर के विकास का वर्गीकरण
हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया एक बार फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण पोस्ट को लेकर आया हु इस पोस्ट में हम ,, कम्प्यूटर के विकास का वर्गीकरण Classification of computer development के बारे में जानकारी को पड़ेंगे .इस पोस्ट में हम कम्प्यूटर की सभी पीड़ियो की जानकारी को बहुत ही आसानी से समझेंगे .
कम्प्यूटर के विकास का वर्गीकरण
NOT - इस पोस्ट में हम कम्प्यूटर की सभी पीढियों की जानकारी को ध्यान से अध्यन करेंगे . और जानेंगे की किस प्रकार से कम्प्यूटर का विकास हुआ उन साड़ी जानकारी को हम इस पोस्ट में लेकर आये है .
कम्प्यूटर की पहली पीढ़ी 1942 - 1955
कम्प्यूटर की पहली पीढ़ी की शुरुआत सन 1946 में हुआ था इस कम्प्यूटर में निर्वात ट्यूब [ vacu um tubes ] का प्रयोग किया गया था जिसे वाल्व भी कहा जाता था इस साफ्टवेयर को मशीनी भाषा तथा निम् स्तर प्रोग्रामिंग भाषा [ LOW LEVE PROGRAM MING LANGUAGE ] में तेयार किया जाता है .
इसके उपयोग के लिए डाटा तथा साफ्टवेयर के भण्डार [ STOREG ] के लिए पंचकार्ड तथा पेपर टेप का प्रयोग किया गया . यहाँ पर कम्प्यूटर की गणना समय या गति मीली सेंकेड मे थी पहली पीढ़ी के कम्प्यूटर का उपयोग मुख्यता ; वैज्ञानिक अनुसन्धान तथा सैन्य कार्यो में किया गया .
ये कम्प्यूटर आकर में बड़े और अधिक उर्जा खपत करने वाले थी इनकी भण्डार क्षमता कम और गति भी कम थी .
इनका उपयोग करना बहुत ही त्रुटी भरा काम था और बहुत खर्चीला भी था इस लिए बहुत ही कम लोग इसका उपयोग करते थे . निर्वात ट्यूव दुवारा अधिक ऊष्मा उत्पन्न करने के कारण इन्हें वातानुकुल वातावरण में रखना पढता था इस समय के प्रमुख कम्प्यूटर में एनिएक [ ENIAC ] युनिबैक [ UNIVAC ] तथा आईबीएम [ IBM ] के मार्क - 1 इसके प्रमुख उदहारण है इसको आसान और सरल करने के लिए कम्प्यूटर में 1952 में ग्रेस हापर दुवारा असेम्बली भाषा के आविष्कार से प्रोग्राम लिखना और अब आसन हो गया था .
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर 1955 - 64
दूसरी पीढ़ी के कम्प्यूटर में निर्वात ट्यूव का प्रयोग नहीं किया गया उसकी जगह पर सेमिकन्डेकटर् का प्रयोग किया गया . सेमिकंदेक्टर ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया जो आपेक्षाकृत हलके , छोटे और कम विधुत खपत करने वाले थे .
कम्प्यूटर के लिए साफ्टवेयर उच्च स्तरीय असेम्बली भाषा [ HIGE LEVEL ASSEMBLE LANGUAGE ] मे तैयार किया गया असेम्बली भाषा में प्रोग्राम लिखने के लिए निमानिक्स कोड का प्रयोग किया जाता है जो याद रखने में सरल होते है अत ; असेम्बली भाषा में साफ्टवेयर तैयार करना आसान होता है .
डाटा साफ्टवेयर के भण्डार के लिए मेमोरी के रूप में चुम्बकीय भण्डार उपकरणों जैसे - मैग्नेटिक टेप तथा मैग्नेटिक डिस्क आदि का प्रयोग आरम्भ हुआ . इससे भण्डार क्षमता तथा कम्प्यूटर की गति में वृधि हुई .
कम्प्यूटर के प्रोसेसर करने की गति तिर्व हुई जसे अब माइक्रो सेकेंड में मापा जाता था यह व्यवसाई तथा उद्योग में कम्प्यूटर का प्रयोग आरम्भ हुआ साफ्टवेयर में कोबोल और FORTRAN जैसे - उच्च स्तरीय भाषा का विकास आईबीएम [ IBM ] दुवारा किया गया . इससे प्रोग्राम लिखना आसान हुआ
महत्वपूर्ण टिप्स
- ट्रांजिस्टर का आविष्कार 1947 में बैल लैबोरेट्रीज के जान वारडीन , विलियम शाक्ले तथा वाल्टर ब्रेटेन ने किया आर्ध्चालक पधार्थ सिलिकन [ SI ] जम्रेनियम [ GE ] का बना ट्रांजिस्टर एक तीव्र सिविचिंग डिवाइस है
तीसरी पीढ़ी का कम्प्यूटर
तीसरी पीढ़ी का कम्प्यूटर में ट्रांजिस्टर की जगह अब एंट्रीग्रैड सर्किट चिप का प्रयोग आरम्भ हुआ जिससे कम्प्यूटर का लघुरूपण संभव हो सका . SSI [ SMAAL SCALE INTEGRATION ] तथा बाद में MSI [ MEDIUM SCALE INTEGRATION का विकास हुआ जिस्म एक इंटीग्रेड सर्किट चिप में सैकड़ो इलेक्ट्रानिक उपकरणों , जैसे ट्रांजिस्टर , प्रतिरिधक तथा संधारित का निर्माण संभव हुआ
तीसरी पीढ़ी में इनपुट तथा आउटपुट उपकरण के रूप में क्रमश ; की - बोर्ड तथा मानिटर का प्रयोग प्रचलित हुआ . की बोर्ड के प्रयोग से कम्प्यूटर में डाटा तथा निर्देश डालना आसान हुआ . इसके साथ मैग्नेटिक टेप तथा डिस्क भण्डार क्षमता में वृधि हुई सेमीकंडकटर भंडारण उपकरण का विकास हुआ . रैम [ RAM - RAM DOM ACCESS MEMORY ] के कारण कम्प्यूटर की गति में वृधि हुई .
कम्प्यूटर का गणना समय नैनो सेकेंड में मापा जाने लगा . इससे कम्प्यूटर के कार्य क्षमता में एजी आई और इसके बाद कम्प्यूटर का व्यवसाई व व्यक्तियों के लिए उपयोग में लाया जाने लगा .
इसमें उच्च स्तरीय भाषा में पीएल - 1 [ PL/1 ] , पास्कल [PAS - CAL ] तथा बेसिक [ BASIC ] का विकास हुआ . इसी समय टाइम शेयरिंग आपरेटिंग सिस्टम का विकास हुआ . हार्डवेयर और साफ्टवेयर की अलग -अलग बिक्री प्रारंभ हुई . इससे उपयोगकर्ता आवश्यकता अनुसार साफ्टवेयर ले सकता है
नोट -
इंट्रीग्रेट सर्किट [IC ] का विकास 1958 में जेक किल्वी तथा रावर्ट नोयी दुवारा किया गया . सिलिकान की सतह पर बने इस प्रोद्योगिक को माइक्रो इलेक्ट्रानिक का नाम दिया गया ये चिप अर्ध चालक पदार्थ सिलिकान [ SI ] या जमेर्नियम [ GE ] के बने होते है .
चोथी पीढ़ी के कम्प्यूटर
इस पीढ़ी के कम्प्यूटर में माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया गया है LSI तथा VLSI से माइक्रो प्रोसेसर की क्षमता में वृद्दि हुई . उस समय कम्प्यूटर की गणना पिको समय सेकेंड में मापा जाता था अब वे कम्प्यूटर का भी विकास हुआ , जो हाथ में रखकर भी चलाया ला सकता था
अव मल्टीतासकिंग के कारन कम्प्यूटर का प्रयोग एकसाथ कई कार्यो को संपन्न करने में किया गया . माइक्रो प्रोसेसर का विकास 19 71 में एम ई हिफ़ ने किया . इससे व्यक्तिगत कम्प्यूटर का विकास हुआ . इस काल में RAM का विकास हुआ
- इस काल में उच्च गति के कम्प्यूटर LAN और WAN का विकास हुआ .
- 1981 में IBM कम्पनी के दुवारा माइक्रो कम्प्यूटर का विकास किया गया .जिसे PC कहा गया .
- आपरेटिंग सिस्टम में ऍम . एस [ MS - DOS ] माइक्रोसॉफ्ट विंडोज [ MS - WINDOS ] तथा एप्पल आपरेटिंग सिस्टम [ APPLE OS ] का विकास किया गया .
- उच्च स्तरीय भाषा में C भाषा का विकास हुआ जिसमे प्रोग्रामिंग सरल था .
- उच्च स्तरीय भाषा का मानकीकरण किया गया ताकि किसी प्रोग्राम को सभी कम्प्यूटर में चलाया जा सके .
पांचवी पीढ़ी के कम्प्यूटर
इस पीढ़ी के कंप्यूटर मे ULSI [ ULTRA LARGE SCALE INTEGRATION ] तथा SLSI [ SUPER LARGE SCALE INTEGRATION ] से करोड़ो इलेक्ट्रानिक उपकरण से युक्त माइक्रो प्रोसेसर चिप केए विकास हुआ । इस काल में अत्यंत छोटे कंप्यूटर जो हाथ मे रखे जा सकते हे उस का विकास हुआ ।
- मल्टीमीडिया तथा ऐनिमेशन के कारण कंप्यूटर का प्रयोग शिक्षा ओर मनोरंजन दोनों क्षेत्रो मे किया गया ।
- इन्टरनेट ओर मीडिया के कारण सूचना का आधान प्रदान तथा एक दूसरे से संपर्क करने के तरीके मे परिवर्तन हुआ ।
- भंडारण मे भी व्रद्धि हुई । जिसमे आप्टिकल डिस्क , CD , DVD , या व्लु रे डिस्क का विकास हुआ जिससे उनकी भंडारण क्षमता बड़ी ।
- नेटवर्किंग के क्षेत्र मे भी विकास हुआ - इन्टरनेट , ई - मेल , तथा वल्र्ड़ वाइड वेव [ WWW - WORLD WIDE WEB ] का विकास हुआ ।
- आलू के चिप्स के आकार के होने के कारण इंटीग्रेट सर्किट को चिप नाम दिया गया ।
धन्यबाद
अनिल कुमार पलाशिया
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