Header Ads Widget

रस के प्रकार उदाहरण सहित

रस के प्रकार उदाहरण सहित - RAS KE PRAKAR UDAHARAN 

हेलो दोस्तों में अनिल कुमार palashiya आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण पोस्ट को लेकर जा रहा हु इस पोस्ट में हम रस की सभी जानकारी [रस के  उदाहरण -RAS KE PRAKAR OR UDAHRAN ] को हम इस पोस्ट में देखेंगे . जिससे आपको यह पोस्ट बहुत ही सरल लगेगी  यह पोस्ट mp  police , mp forest , mp पटवारी . mp SI और अनेक सभी परीक्षा के लिए यह टोपिक बहुत ही महत्वपूर्ण है आप इस पोस्ट का अध्यन करे  

रस के  उदाहरण 


रस के प्रकार उदाहरण सहित


रस की परिभाषा :-  RAS KI PARIBHASHA

रस किसे कहते है


रस का शाब्दिक अर्थ है ‘आनंद’। काव्‍य के पढ़ने या सुनने से जिस आनंद की अनुभूति होती है,

उसे रस कहते है। रस को ‘काव्‍य की आत्‍मा’ माना जाता या यु कहे के किसी काव्य को पढ़ कर

या सुन कर हमारे मन में जो भाव उत्पन्न होते है या किसी द्रश्य को देखकर हमारा मन उसमे लग

जाता है वह रस कहलाता है ।


रस के चार अवयव या रस के अंग  होते है-या प्रकार .? रस के प्रकार


1. स्‍थायी भाव

2. विभाव

3. अनुभाव

4. व्‍याभिचारी भाव


1. स्‍थायी भाव :-

                       स्‍थायी भाव मन की उस स्थिति को कहा जाता है जो किसी वस्‍तु अथवा व्‍यक्ति के प्रति किसी विशिष्‍ट

दशा में  उत्‍पन्‍न हो।

स्‍थायी भाव ह्रदय के वे भाव हुये जिन्‍हें सहायक अथवा विरोधी भाव दबा नहीं सकते और जो

अंत:स्‍थल में सर्वदा छिपे रहते हैं व समय पाकर जागृत होते हैं।


स्थायी भाव 9 प्रकार के होते हैं जो कि निम्न प्रकार दर्शाए गए हैं - रस की विशेषता


    स्थायी भाव                    रस 

  1. रति                      श्रृंगार

  2. हास                      हास्य 

  3. शोक                     करुण

  4. उत्साह                   वीर

  5. क्रोध                      रौद्र

  6. भय                       भयानक

  7. जुगुप्सा                   वीभत्स

  8. विस्मय                  अदभुत( आश्चर्य)

  9. निर्वेद                    शान्त


2. विभाव :-

                  स्‍थायी भावों को जागृत करने वाले भाव विभाव कहे जाते हैं। विभाव

3 प्रकार के हेाते हैं-जो निम्न हैं —


(i) आलम्‍बन विभाव :

                             स्‍थायी भाव उत्‍पन्‍न करने वाली वस्‍तु को 'आलम्‍बन' कहते हैं- 

जैसे ‘शेर’ को देखकर स्‍थायी भाव ‘भय’ उत्‍पन्‍न होता है इस प्रकार ‘शेर’ आलम्‍बन विभाव 

कहलायेगा।


(ii) आश्रय विभाव:-

                        स्‍थायी भाव जिस व्‍यक्ति में उत्‍पन्‍न होता है उसे 'आश्रय' कहते हैं। 

जैसे – शेर को देखकर भयभीत होने वाला ‘व्‍यक्ति’ आश्रय विभाव कहलायेगा।


(iii) उद्दीपन विभाव :-

                          स्‍थायी भाव को उत्‍तेजना देने वाले देश काल को 'उद्दीपन' कहा जाता है।

उदाहरण के लिए ‘शेर’ का गर्जन करना (दहाड़ना) उद्दीपन विभाव  कहलायेगा।


3. अनुभाव :-

                   स्‍थायी भाव का अनुभव (ज्ञान) कराने वाली आश्रय की चेष्‍टाओं को अनुभाव

कहते हैं। जैसे- शेर को देखकर ‘कॉंपने लगना’ स्‍थायी भाव का अनुभाव है। जैसे- भय स्‍थाई

भाव के आने पर कम्पन , स्‍वर भंग, मूर्च्‍छा, रोमांच, पसीना आदि का आना।


अनुभाव दो प्रकार के होते हैं जो निम्न हैं –


1. कायिक

2. सात्विक


1. कायिक : 

                 जो विकार या व्यापार शरीर के अंगों की चेष्‍टाओं के रूप में होते हैं वे '

कायिक अनुभाव' कहे जाते हैं। जैसे- कटाक्षपात हाथ से इशारा करना आदि।


2. सात्विक : 

  जो विकार या व्‍यापार मन की विभिन्‍न स्थितियों के कारण उत्‍पन्‍न हो उसे 'सात्विक अनुभाव' कहते हैं। इनका रूप स्‍वाभाविक होता है एवं आश्रय का इन पर कोई वश नहीं होता। सात्विक

अनुभाव आठ श्रेणियों में विभक्‍त किए गए हैं। स्‍तम्‍भ, स्‍वेद, रोमांच, स्‍वर-भंग, कम्‍प,  रंग उड़ना,

अश्रु, प्रलय आदि।


4. व्‍याभिचारी या संचारी भाव:–

                                          स्‍थायी भाव के जागृत होने पर जिन भावों का उदय होता है

उन्‍हें व्‍यभिचारी या संचारी भाव कहते हें। ये भाव स्‍थायी भावों को पुष्‍ट करते हैं तथा उत्‍पन्‍न

होकर विनष्‍ट होते रहते हैं ये भाव संख्‍या में कुल 33 होते हैं जो निम्‍न हैं- निर्वेद, आवेग, दैनय

(हीनता), श्रम, मद, जड़ता, उग्रता, मोह, शंका, चिन्‍ता, ग्‍लानि, विषाद्, व्‍याधि, आलस्‍य, अमर्ष,

हर्ष, गर्व, असूया (ईर्ष्‍या), धृति (धैर्य), मति (ज्ञानी), चपलता, बीड़ा अवहित्‍था, निद्रा, स्‍वप्‍न, विबोध

(ज्ञान प्राप्ति), उन्‍माद, अपस्‍मार (मानसिक दु:ख), स्‍मृति, औत्‍सुक्‍य, त्रास, वितर्क मरण।


रस 9 प्रकार के होते हैं


रस के 9 भेद है। जिन्‍हें ‘नवरस’ कहा जाता है, जिनमें श्रृंगार, हास्‍य, करूण, वीर, रोद्र,

भयानक, वीभत्‍स, अद्भूत, शांत रस आते है ये रस के प्रकार होते है जो अपने आपको

विशेष रूप प्रदान करते है


  1. श्रृंगार रस :- श्रृंगार रस के उदाहरण


रस के प्रकार उदाहरण सहित

यह रस राज अर्थात् रसों का राजा कहलाता है। इसमें प्रेमियों के पवित्र प्रेम का उल्‍लेख होता

है। श्रृंगार रस का स्‍थायी भाव ‘रति’ होता है। 


श्रृंगार रस में नायक और नायिका के मन में संस्‍कार रूप से स्थित रति या प्रेम जब रस के

अवस्‍था में पहुंच जाता है तो वह ‘श्रृंगार रस’ कहलाता है। श्रृंगार रस को ‘रसराज’ या ‘रसपति’ भी कहा जाता है। श्रृंगार रस के दो भेद होते है-


1. संयोग श्रृंगार

2. वियोग श्रृंगार


1. संयोग श्रृंगार – संयोग श्रृंगार वह अवस्‍था होती है, जहां नायक-नायिका, पति-पत्नि का संयोग होता है अर्थात्

इसमें प्रेमी-प्रमिकाओं के परस्‍पर मिलन, संलाप, स्‍पर्श आदि से उत्‍पन्‍न भावों का वर्णन होता है। 


उदाहरण :


''बतरस लालच लाल की मुरली धरी लुकाई।

  सौंह करें भौहनु हंसे, दैन कहैं नटि जाई।।''


2. वियोग श्रृंगार – वियोग श्रृंगार की अवस्‍था वहां होती है, जहां नायक-नायिका, पति-पत्नि का वियोग होता है।

दोनों मिलने के लिए व्‍याकुल होते हैं, यह बिरह इतनी तीव्र होती है कि सबकुछ जलाकर भस्‍म

करने को सदैव आतुर होती है। 


उदाहरण :


''हे खगमृग! हे मधुकर श्रेनी।

देखी तुम सीता मृगनयनी।।''


  1. हास्‍य रस :-


रस के प्रकार उदाहरण सहित


विचित्र आकृति, विचित्र प्रकार की वेशभुषा आदि को देखकर या इनका वर्णन पढ़कर या

सुनकर ह्रदय में विनोद तथा हँसी का भाव उत्‍पन्‍न हो जाता है, तब 'हास्‍य रस' की निष्‍पत्ति होती है। हास्‍य रस का स्‍थायी भाव हास है।


दूसरे शब्‍दों में, किसी असाधारण व्‍यक्ति की असाधारण आकृति, विचित्र वेशभूषा, अनोखी

बातें सुनने या देखने से मन मे जो भाव उत्‍पन्‍न होता है उस स्‍थायी भाव को ‘हास्‍य रस’ कहते है।


उदाहरण :


''कानो ते कानो मत कहो, कानो जायगो रूठ।

    होले-होले पुछलै, तेरी कैसे गई है फूट।।''


3.करूण रस :- करुण रस के उदाहरण

रस के प्रकार उदाहरण सहित

किसी प्रिय व्‍यक्ति की मृत्‍यु या इष्‍ट वस्‍तु की हानि आदि से जहॉं शोक भाव की परिपुष्टि

होती है या शोक भाव जागृत होता है, वहॉं 'करूण रस' की व्‍यंजना होती है। करूण रस

का स्‍थायी भाव ‘शोक’ होता है। 


उदाहरण :- 


''कैसा अभाग्‍य। अपने हाथों ही

हाथ। स्‍वयं हम छले गये।

यह भी पूँछ न सकते बापू

क्‍यों हमें छोड़ तुम चले गये?''

4. वीर रस - वीर रस के उदाहरण

रस के प्रकार उदाहरण सहित

वीर रस का स्‍थायी भाव ‘उत्‍साह’ है। ह्रदय में तीव्र वेग से जब उत्‍साह उमड़ता तब 'वीर रस' की उत्‍पत्ति होती है। यह उत्‍साह कभी युद्ध के लिए कभी दान के लिए है। वीर रस के

चार भेद है- दानवीर, धर्मवीर, युद्ध्‍वीर, दयावीर।


दूसरे शब्‍दो में, शत्रु का उत्‍कर्ष, दीनों की दुर्दशा, धर्म की हानि आदि को देखकर इनको

मिटाने के लिए किसी के ह्रदय में उत्‍साह नामक भाव जागृत हो, वहॉं 'वीर रस' होता है। वीर रस का स्‍थायी भाव ‘उत्‍साह’ है।


उदाहरण :


''वीर तुम बढ़े चलो, धीर तुम बढ़े चलो।

सामने पहाड़ हो कि सिंह की दहाड़ हो।

तुम कभी रुको नहीं, तुम कभी झुको नहीं।।''


5. रौद्र रस


रस के प्रकार उदाहरण सहित


अनिष्‍ट, अपकार, निंदा आदि होने पर जहॉं क्रोध की व्‍यंजना होती है वहॉं 'रौद्र रस' होता है रौद्र रस का स्‍थायी भाव ‘क्रोध’ होता है। 


दूसरे शब्‍दों में, जब किसी एक पक्ष या व्‍यक्ति या द्वारा दूसरे पक्ष या दूसरे व्‍यक्ति का

अपमान करने अथवा अपने गुरूजन आदि की निन्‍दा से जो क्रोध उत्‍पन्‍न होता है उसे

रौद्र रस’ कहते हैं।


उदाहरण :


''श्रीकृष्‍ण के सुन वचन अर्जुन क्षोभ से जलने लगे।

सब शील अपना भूल कर करतल युगल मलने लगे।।''


6. भयानक रस - भयानक रस के उदाहरण 


रस के प्रकार उदाहरण सहित


किसी भयानक वस्‍तु को देखने या उसका वर्णन सुनने आदि से 'भयानक रस' की

उत्‍पत्ति होती है। भयानक रस का स्‍थायी भाव ‘भय’ होता है।


उदाहरण :


''एक ओर अजगरहिं लखि, एक ओर मृगराज।

बिकल बटोही बीच में परयों मूर्च्‍छा खाय।।''


7. वीभत्‍स रस 


घृणित वस्‍तुओं के देखने व सुनने से ह्रदय में जो ग्‍लानि (घृणा) उत्‍पन्‍न होती है, वही 'वीभत्‍स रस' का रूप ग्रहण कर लेती है। इस रस का स्‍थायी भाव ‘जुगुप्‍सा’ होता है। 


उदाहरण :


''सिर पर बैठ्यो काग ऑंख दोउ खात निकारत।

खींचत जीभहिं स्‍यार अतिहि आनंद उर धारत।।''


8. अद्भुत रस :-


रस के प्रकार उदाहरण सहित


जहां पर किसी आलौरिक क्रिया कलाप आश्चर्य चकित वस्तुओं को देखकर या उन से

सम्बंधित घटनाओं को देखकर मन में जो भाव उत्पन्न होते हैं वहाँ पर अद्भुत रस होता हैं।


जब विस्मय भाव अपने अनुकूल, आलंबन, उद्दीपन, अनुभाव और संचारी भाव का सहयोग

पाकर अस्वाद का रूप धारण कर लेता है तो उसे अद्भुत रस कहते हैं।


उदाहरण :-


बिनू पद चलै सुने बिनु काना।

कर बिनु कर्म करै विधि नाना।।


9. शांत रस - शांत रस के उदाहरण


रस के प्रकार उदाहरण सहित


वह काव्य रचना जिसमें श्रोता के मन में निर्वेद के भाव उत्पन्न होते हैं उसे शांत रस कहते हैं।

शांत रस का स्थाई भाव – निर्वेद होता हैं।


उदाहरण :-


मन रे तन कागज का पुतला,

लगे बुद विनसि जाए झण में,

गरब करै क्यों इतना।

रस से MCQ

अत्यंत महत्वपूर्ण रस से सम्बंधित प्रश्न उत्तर :- 


प्रश्न 1) प्रिय पति वह मेरा प्राण प्यारा कहाँ है, दुःख-जलनिधि-डूबी सहारा कहाँ है ?

इन पंक्तियों में कौन सा स्थायी भाव है ?

  1. विस्मय 

  2. रति 

  3. शोक 

  4. क्रोध 

उत्तर :- शोक 


प्रश्न 2) किस रस का स्थायी भाव निर्वेद हैं ?

  1. भक्ति 

  2. शान्त 

  3. वात्सल्य 

  4. श्रृंगार 

उत्तर :- शान्त 


प्रश्न 3) मन रे तन कागद का पुतला |

          लागै बूंद बिनसि जाय छिन में,

गरब करे क्या इतना ||

इन पंक्तियों में कौन सा रस हैं ?

  1. भक्ति रस 

  2. श्रृंगार रस 

  3. करूण रस 

  4. शान्त रस 

उत्तर :- शान्त रस 

प्रश्न 4) कवि बिहारी मुख्यतः किस रस के कवि हैं

  1. करुण

  2. भक्ति

  3. श्रृंगार

  4. वीर रस

उत्तर :- श्रृंगार

प्रश्न 5) शांत रस का स्थायी भाव क्या है

  1.  जुगुप्सा

  2. क्रोध

  3. शोक

  4. निर्वेद

उत्तर :- निर्वेद 

प्रश्न 6)  पड़ी थी बिजली-सी विकराल, लपेटे थे घन जैसे बाल। कौन छेड़े ये काले साँप, अवनिपति        

           उठे अचानक काँप।

  1.  शांत रस

  2. वात्सल्य रस

  3. भक्ति रस

  4. अद्भुत रस

उत्तर :- अद्भुत रस

प्रश्न 7)  बुरे समय को देख कर गंजे तू क्यों रोय। किसी भी हालत में तेरा बाल

न बाँका होय ?

  1. वीर रस

  2. संयोग रस

  3. शांत रस

  4. हास्य

उत्तर :- हास्य

प्रश्न 8) बुंदेले हर बोलो के मुख हमने सुनी कहानी थी।  खूब लड़ी मर्दानी वो

तो झाँसी वाली रानी थी।।

  1. वीर रस

  2. संयोग रस

  3. शांत रस

  4. करुण रस

उत्तर :- वीर रस 

प्रश्न 9)  जब मै था तब हरि नाहिं अब हरि है मै नाहिं | सब अँधियारा मिट गया

जब दीपक देख्या माहिं ||

  1. शांत रस

  2. वात्सल्य रस

  3. भक्ति रस

  4. अद्भुत रस

उत्तर :- शांत रस 

प्रश्न 10) मैया मोरी चंद्र खिलौना लाऊ हो | जैहयो कोटि घस पर अबहि तेरे

गोद न अइहो |

  1. वीभत्स रस

  2. वात्सल्य रस

  3. संयोग रस

  4. वियोग रस

उत्तर :- वात्सल्य रस

प्रश्न 11)  सर्वश्रेष्ठ रस किसे माना जाता है ?

  1. रौद्र रस

  2. श्रृंगार रस

  3. करुण रस

  4.  वीर रस

उत्तर :- श्रृंगार रस

प्रश्न 12) मेरे तो गिरिधर गोपाल दुसरो न कोई , जाके सिर मोर मुकुट मेरो

पति सोई, इन पंक्तियों में कौन -सा रस है ?

  1. शांत रस 

  2. श्रृंगार रस 

  3. करुण रस

  4. हास्य

उत्तर :- श्रृंगार रस 

प्रश्न 13) रसोपति में आश्रय की चेष्टाएं क्या कही जाती ?

  1. विभाव

  2. आलम्बन

  3. अनुभाव

  4. उद्दीपन

उत्तर :- अनुभाव

प्रश्न 14)  श्रृंगार रस का स्थायी भाव क्या है ?

  1. उत्साह

  2. शोक

  3. हास

  4. रति

उत्तर :- रति

प्रश्न 15) शोभित कर नवनीत लिए घुटरूनी चलत रेनु तन मण्डित मुख

दधि लेप किए | इन पंक्तियों में कौन सा रस है ?

  1. श्रृंगार

  2. हास्य

  3. करुण रस

  4. वत्सल रस

उत्तर :- वत्सल रस

प्रश्न 16) माधुर्य गुण का किस रस में प्रयोग होता है ?

  1. शांत

  2. श्रृंगार रस

  3. भयानक

  4. रौद्र

उत्तर :- श्रृंगार रस

प्रश्न 17) कवि बिहारी मुख्यतः किस रस के कवि हैं ?

  1. करुण

  2. भक्ति

  3. श्रृंगार

  4. वीर रस

उत्तर :- श्रृंगार

प्रश्न 18) शोभित कर नवनीत लिये घटुरुअनि चलत रेनु तनु मण्डित मुख

दधि लेप किये।

  1. शांत 

  2. हास्य 

  3. करुण 

  4. वात्सल्य 

उत्तर :- वात्सल्य 

प्रश्न 19) जिसका सहारा पाकर स्थायीभाव जागते हैं उस विभाव को कहते हैं ?

  1. आलंबन विभाव 

  2. उद्दीपन विभाव 

  3. अनुभाव 

  4. कोई नहीं 

उत्तर :- आलंबन विभाव 

प्रश्न 20) आलंबन विभाव होते हैं ?

  1. दो प्रकार के

  2. चार प्रकार के

  3. छह प्रकार के

  4. सात प्रकार के

उत्तर :- दो प्रकार के

प्रश्न 21) जिन वस्तुओ या परिस्थितियों को देखकर स्थायी भाव उद्दीप्त

होते हैं वह विभाव होता हैं ?

  1.  आलंबन विभाव 

  2. उद्दीपन विभाव

  3. संचारी भाव 

  4. स्थायी भाव 

उत्तर :- उद्दीपन विभाव 

प्रश्न 22) मनोगत भाव को व्यक्त करने वाले सरीरिक विकार कहलाते हैं ?

  1. विभाव 

  2. संचारी भाव 

  3. अनुभाव 

  4. स्थायी भाव 

उत्तर :- अनुभाव 

प्रश्न 23) अनुभाव की संख्या मानी गयी हैं ?

  1. आठ प्रकार 

  2. सात प्रकार 

  3. छह प्रकार 

  4. चार प्रकार 

उत्तर :- आठ प्रकार 

प्रश्न 24) मन में संचरण करने वाले ( आने जाने वाले भाव ) को कहते हैं ?

  1. संचारी भाव 

  2. व्यभिचारी भाव 

  3. दोनों भाव 

  4. दोनों नहीं 

उत्तर :- दोनों भाव 

प्रश्न 25) व्यभिचारी भाव की संख्या मानी गयी हैं ?

  1. 34

  2. 35

  3. 33

  4. 32

उत्तर :- 33 

प्रश्न 26) रसराज की संज्ञा दी गयी हैं ?

  1. भक्ति रस

  2. श्रृंगार रस 

  3. वात्सल्य रस 

  4. शांत रस 

उत्तर :- श्रृंगार रस

प्रश्न 27) स्वान आगुरिन काटि - काटि के खात विदारत ?

  1. वीभत्स 

  2. रौद्र

  3. करुण 

  4. भयानक 

उत्तर :- वीभत्स 

प्रश्न 28) देखि रूप लोचन ललचाने |

            हरवे जनु निज पहचाने |

  1. श्रृंगार 

  2. करुण 

  3. रोद्र 

  4. अद्भुत 

उत्तर :- श्रृंगार 

प्रश्न 29) पुनि - पुनि उकसहिं अकुलाही |

देखि उसा हर गन मुसकाहीं |

  1. वियोग 

  2. अद्भुत 

  3. हास्य 

  4. रौद्र

उत्तर :- हास्य 

प्रश्न 30) साजी चतुरंग सेन अंग में उमंग धारी 

सरसा शिवाजी जंग जीतन चलत हैं ||

  1. रोद्र 

  2. वीभत्स 

  3. वीर रस 

  4. उक्त सभी 

उत्तर :- वीर रस 

प्रश्न 31) राम को रूप निहारित जानकी , कंचन के नग की परीछाँही ||

  1. हास्य 

  2. करुण 

  3. शान्त 

  4. श्रृंगार 

उत्तर :- श्रृंगार 

प्रश्न 32) अब लौ नसानी अब न नसैहों में कौन सा रस हैं ?

  1. शांत रस 

  2. करुण रस 

  3. भक्ति रस 

  4. अद्भुत रस 

उत्तर :- शांत रस 

प्रश्न 33) भरत मुनि के अनुसार रसों की संख्या कितनी हैं ?

  1. आठ 

  2. नौ

  3. दस 

  4. ग्यारह 

उत्तर :- आठ 

प्रश्न 34) जहं - तहँ मज्जा मांस रचिर लखि परत बगारे |

  जित - जित छिटके हाड़ , सेत कंहू , कंहू रतनारे ||

  1. वीभत्स रस 

  2. अद्भुत रस 

  3. भयानक रस 

  4. हास्य रस 

उत्तर :- वीभत्स रस 

प्रश्न 35) वीभत्स रस का स्थायी भाव हैं :- 

  1. भय 

  2. निर्वेद 

  3. जुगुप्सा 

  4. घृणा 

उत्तर :- घृणा 

प्रश्न 36) आधा पात बबूल का, तनिक पिसान |

लाला जी करने लगे छठे समासे दान ||

  1. श्रृंगार 

  2. वीर 

  3. करुण 

  4. हास्य 

उत्तर :- हास्य 

प्रश्न 37) गुरु गोविन्द तो एक हैं, दूजा यह आकार |

  आप मेटी जीवित मरे , तो पावै करतार ||

  1. श्रृंगार रस 

  2. करुण रस 

  3. अद्भुत रस 

  4. शान्त रस 

उत्तर :- शान्त रस 

प्रश्न 38) शोभित कर नवनीत लिए, घुटरूनि चलत रेनू तन मण्डित मुख

दधि लेप किए ||

  1. श्रृंगार 

  2. हास्य 

  3. करुण 

  4. वत्सल 

उत्तर :- वत्सल 

प्रश्न 39) कवि बिहारी मुख्यतः किस रस के कवि हैं ?

  1. करुण 

  2. भक्ति 

  3. श्रृंगार 

  4. वीर 

उत्तर :- श्रृंगार 

प्रश्न 40) उस काल मारे क्रोध के, तन काँपने उसका लगा |

  मानो हवा के जोर से , सोता हुआ सागर जगा ||

  1. वीर रस 

  2. रौद्र रस 

  3. अद्भुत रस 

  4. करुण रस 

उत्तर :- रौद्र रस 

प्रश्न 41) किस रस का संचारी उद्दीपन विभाव बादल की घटाएँ , कोयल

का बोलना , बसंत आदि                               

              होते हैं ?

  1. श्रृंगार रस 

  2. वात्सल्य 

  3. अद्भुत 

  4. शान्त 

उत्तर :- श्रृंगार रस 

प्रश्न 42) किस रस का संचारी भाव उग्रता, गर्व, हर्ष आदि हैं ?

  1. श्रृंगार 

  2. वीर 

  3. वात्सल्य 

  4. रौद्र 

उत्तर :- वीर 

प्रश्न 43) इनमे से कौन सा स्थायी भाव नहीं हैं ?

  1. शोक 

  2. उत्साह 

  3. भय 

  4. हर्ष 

उत्तर :- हर्ष 

प्रश्न 44) इनमे से कौन सा अनुभाव के अंतर्गत नहीं आता हैं ?

  1. स्वेद 

  2. ग्लानि 

  3. रोमांच 

  4. अश्रु 

उत्तर :- ग्लानि 

प्रश्न 45) भय किस रस का स्थायी भाव हैं ?

  1. क्रोध 

  2. भयानक 

  3. करुण 

  4. वीर 

उत्तर :- भयानक 

प्रश्न 46) मुझे फूल मत मरो, मैं अबला बाला वियोगिनी, कुछ तो दया विचारो ||

  1. वियोग श्रृंगार रस 

  2. भयानक रस 

  3. करुण रस 

  4. वीभत्स रस 

उत्तर :- करुण रस 

प्रश्न 47) रस सिद्धांत के आदि प्रवर्तक कौन हैं ?

  1. भरतमुनि 

  2. भानुदत्त 

  3. विश्वनाथ 

  4. भामह 

उत्तर :- भरतमुनि 

प्रश्न 48) अमर्ष क्या हैं ?

  1. काव्य दोष 

  2. संचारी भाव 

  3. काव्य गुण 

  4. अलंकर 

उत्तर :- संचारी भाव 

प्रश्न 49) हिन्दी साहित्य का नौवां रस कौन-सा है ?

  1. भक्ति

  2. वत्सल

  3. शांत

  4.  करुण रस

उत्तर :- शांत 

प्रश्न 50)  किलक अरे मैं नेह निहारूं | इन दाँतो पर मोती वारूँ| इन पंक्तियों

में कौन-सा रस है ?

  1. वीर

  2. शांत

  3. वात्सल्य

  4. हास्य 

उत्तर :- वात्सल्य 


FCQ ;-


Q ;- 1 श्रृंगार रस का उदहारण क्या है ?

ANS ;- अपने प्रियतम को रिझाने के लिए प्रियतमा के दुवारा अपने रूप को सवारना और सजाना ही श्रृंगार रस कहलाता है

उदहारण ;- गोपिया कहती है मन तो मारो गिरधर में लागो . दुसरो कोई ना भावे .


Q ;- 2 वीर रस का उदहारण लिखे

ANS ;- किसी काव्य को पढ़ कर सुनकर या देख कर हमारे मन में जो भाव उत्पन होते है किसी काव्य को पढ़ कर अपने मन में वीरता के भाव उत्पन होते है वह वीर रस है

उदहारण ;-

बुन्देलो हर बोलो के मुह से हमने सुनी कहानी थी खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी बाली रानी थी


Q ;- 3 संचारी भाव कितने प्रकार के होते है

ANS ;- संचारी भाव 33 प्रकार के होते है


Q ;- 4 वीभत्स रस का उदहारण क्या है 

ANS ;- वह कभी विष्टा , खून , बाल और हड्डिया बरसाता था और कभी बहुत सारे पत्थर फेकने लगता था 


रस के प्रकार MCQ






हेलो दोस्तों में अनिल कुमार palashiya आज फिर आपके लिए महत्वपूर्ण पोस्ट को लेकर आ रहा हु इस पोस्ट में हम हिंदी व्याकरण में हास्य रस के उदाहरण श्रृंगार रस के उदाहरण रस के उदाहरण -RAS KE PRAKAR OR UDAHRAN वीर रस के उदाहरण करुण रस के उदाहरण भयानक रस के उदाहरण शांत रस के उदाहरण से सम्बंधित सभी जानकारी .

Post a Comment

0 Comments

hindi thoughts for students