BHARAT KE PRAMUKH BHOGOLIK SARCHNA - भारत की भौगोलिक संरचना
भारत की भौगोलिक विशेषताएं नोट्स
- भारत की भौगोलिक संरचना सभी प्रकार से स्थल रूप में पाई जाती है।
- भारत के उत्तर में विशाल हिमालय की पर्वत माला है
- दक्षिण में विस्तृत हिंद महासागर स्थित है।
- और इसके साथ ऊंचा नीचा कटा फटा दक्कन का पठार है
- विशाल और समतल सिंधु गंगा ब्रह्मपुत्र का मैदान भी यहीं पर है।
- थार के मिश्रित मरुस्थल में जहां विविध मरुस्थली स्थल रूप भी यही पाए जाते हैं
- और समुद्री भाग भी पाए जाते हैं
- कर्क रेखा इसके लगभग बीच से होकर गुजरती है
- यहां पर हर प्रकार की जलवायु पाई जाती है।
- मिट्टी वनस्पति और प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से भी भारत में काफी भौगोलिक विविधता पाई जाती है।
भारत के प्रमुख भौगोलिक संरचना
भारत के भूगर्भ शास्त्री पहलू है और उनकी जानकारी।
- भारत पूरी तरह से भारतीय फ्लैट के ऊपर स्थित है
- या भारतीय ऑस्ट्रेलियाई प्लेट का उपखंड है।
- प्राचीन काल में यहां प्लेट गोंडवाना लैंड का हिस्सा था
- यह अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के साथ जुड़ी हुई थी
भारत में कितने भौगोलिक क्षेत्र है
- उत्तर का पर्वतीय क्षेत्र
- उत्तर भारत का विशाल मैदान
- प्रय्दिपीय पठारी भाग
- तटीय मैदान एवं द्वीप समूह
भारत के प्रमुख भोगोलिक सरचना
उतरिय हिमालय की सम्पूर्ण जानकारी;-
भारत के उत्तरीय मैदान का निर्माण सिन्धु , गंगा एवं इनकी सहायक नदियों के द्वारा हुआ है यह मैदान जलोड़ मृदा से बना है यह बहुत ही उपजाऊ मैदान भी होता है उत्तरीय पर्वतों से आने वाली नदियों निक्षेपण कार्य में लगी है नदी के निचले भागो में ढाल कम होने के कारण नदी की गति कम हो जाती है जिसके परिणाम स्वरूप नदिया दीपों का निर्माण करती है
हिमालय पर्वत श्रंखलायें दो भागो में वाटा है
- उत्तर से दक्षिण की और विभाजन .
- पश्चिम से पूर्व की और विभाजन
हिमालय पर्वत श्रंखलायें-
- 1 ] उत्तर से दक्षिण की और विभाजन .- ट्रांस हिमालय , ब्रह्द हिमालय लघु हिमालय , शिवालिक हिमालय .
- काराकोरम पर्वत - 1 ] यह भारत की सबसे उत्तरीय पर्वतीय क्षेणी है तिब्बत में इसे कैलाश पर्वत के नाम से भी जानते है इस पर्वत क्षेणी में k2 [ गाडविन अस्टिन ] पर्वत चोटी है जो विश्व में दुसरे स्थान की सबसे उची चोटी है , वर्तमान में ये पाक अधिकृत कश्मीर में है भारत की सबसे ऊँची छोटी कंचनजंघा सिक्किम मे है
इस पर्वत के महत्वपूर्ण ग्लेशियर है
- सियाचिन ग्लेशियर
- यारकंद रिमो ग्लेशियर
- बाल्तोरो ग्लेशियर
- फेद्चेंको ग्लेशियर
- लद्दाख पर्वत क्षेणी ;-दोनों तरफ से नदी बहती है श्योक नदी व् सिन्धु नदी लद्दाख क्षेणी के पास लेह है जोकि सिन्धु नदी के किनारे बसा है राका कोशी [ सबसे तीव्र ढलान वाला पर्वत यही है जासकर पर्वत क्षेणी भी ट्रांस हिमालय का ही भाग है
- वृहद हिमालय - 2]- ट्रांस और वृहद हिमालय के विच की जगह को सहचर जों कहते है वृहद हिमालय , मध्य हिमालय एवं शिवालिक हिमालय में से वृहद हिमालय सबसे ऊँचा है पश्चिम में नागा पर्वत [ पाकिस्तान ] से पूर्व में नाम्चाबरवा पर्वत [ तिब्बत ] तक फैला है और काफी सरे उचे पर्वत बृहद हिमालय में ही आते है
बृहद हिमालय के प्रमुख पर्वत ;-
- माउंट एवरेष्ट - नेपाल - 8848 मी
- k2 गाड़विन अस्टिन - भारत pok 8611 मी
- कंचनजंघा - सिक्किम और नेपाल की सीमा पर है - 8586
- मकालू - नेपाल - 8462 मी
- धोलागिरी - भारत - 8167 मी
- नंगा पर्वत - पाकिस्तान - 8125 मी
- अनपूर्णा - नेपाल - 8091
- त्रिशूल - भारत - 8091 मी
- नंदा देवी - भारत - 7816 मी
- बन्दर पूंछ -- भारत 6316
- बद्रीनाथ - भारत - 3300 मी
नोट - माउंट एवरेस्ट को अलग अलग देशो में अलग स्थानीय नामो से भी जाना जाता है नेपाल में इसे सागर माथा कहा जाता है , म्यामार में अरकान योमा कहा जाता है , तिब्बत में चोमोलुंग्मा कहा जाता है इसके अन्दर दो ग्लेशियर आते है [ गंगोत्री ग्लेशियर / यमुनोत्री ग्लेशियर ]
- 3] - लघु हिमालय या मध्य हिमालय ;-इसकी चोडाई 80 km से 100 km है इसका अस्तित्व नेपाल तक ही है क्योकि हिमालय पर्वत की मोटाई पश्चिम में अधिक और पूर्व में कम है इसे पांच पर्वतो में वाटा गया है -
- पीरपंजाल पर्वत क्षेणी - jk
- धोला गिरी - हिमाचल प्रदेश
- मसूरी - उत्तराखंड
- महाभारत क्षेणी - नेपाल
- नाग्तिब्बा क्षेणी - नेपाल
नोट - श्रीनगर एक घाटी है जो बृहद हिमालय और मध्य हिमालय के बिच में है बुलर झील और डल झील इन्ही घाटियों मे है हिमाचल प्रदेश के प्रमुख पर्यटन - शिमला , मनाली , डलहोजी /उत्तराखंड के पर्यटन स्थल - मसूरी , रानीखेत , नेनीताल , विडसर .
- यह हिमालय सबसे बाहरी और नविन हिमालय है इसकी उचाई 900 से 1200 मी तक फैला है मध्म हिमालय और शिवालिक हिमालय के बिच पाई जाने घाटियों को दुनं या दुवार कहा जाता है जैसे - देहरादून , हरिदुवार
2 ] पश्चिम से पूर्व की और विभाजन ;-चार भाग
- पंजाब या कश्मीर हिमालय
- कुमाऊ हिमालय
- नेपाल हिमालय
- असम हिमालय
1 . पंजाव हिमालय - [ कश्मीरी हिमालय ] -
सिन्धु नदी व् सतलज नदी के विच का भाग या पंजाब या कश्मीर हिमालय कहा जाता है पंजाब , हिमालय एवं कश्मीर का भाग इसके अन्तरगत आता है मानसरोवर का राकसताल [ जहा से सतलुज नदी निकलती है ]
2 . कुमायु हिमालय;-
सतलुज नदी से काली नदी [ उत्तराखंड व नेपाल बोर्डर पर ] तक का हिस्सा कुमायु हिमालय कहलाता है
3] नेपाल हिमालय;- सिक्किम और दार्जलिंग इसी के अन्तरगत आता है और काठमांडू घाटी इसी के अंतर्गत आता है काली नदी से तीस्ता नदी तक का हिस्सा नेपाल हिमालय कहलाता है
4] असम हिमालय - तीस्ता नदी से लेकर दिबांग नदी तक के हिस्से को असम हिमालय कहा जाता है नागा पहाड़िया इसके अन्तरगत आती है इसकी लम्बाई 750km खांसी , जयंती ,झाफ्ला ,आदि के अंतर्गत आती है
उत्तर भारत का विशाल मैदान।
हिमालय के दक्षिण में एक विस्तृत समतल मैदान है इसे उत्तर भारत का मैदान कहा जाता है जो लगभग सारे उत्तर भारत में फैला हुआ है इसका निर्माण क्वार्टरनरी या नियोजोइक महाकल्प के plostitisin एवं होलोसीन युग से हुआ है
यह ganga-brahmaputra तथा सिंधु और इसकी सहायक नदियों द्वारा बनाया गया है इसका अधिकतर भाग गंगा नदी के क्षेत्र में पड़ता है सिंधु और उसकी सहायक नदियों के मैदान का आधे से अधिक भाग अब पश्चिमी पाकिस्तान में पड़ता है और इसके बाद भारत में सतलुज राधा और व्यास का ही मैदान रह गया है।
भारत की भौगोलिक संरचना पर प्रकाश डालिए
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इसी प्रकार पूर्व में गंगा नदी के डेल्टा पर अधिकांश भाग बांग्लादेश में पड़ता है उत्तर का यह विशाल मैदान पूर्व से पश्चिम भारत की सीमा के अंदर लगभग 1500 मिल लंबा है। इस मैदान में दूर-दूर तक कोई पहाड़ नहीं है भूमि समतल है और समुद्र की सरकार से धीरे-धीरे पश्चिम की ओर उड़ती गई है।
अंबाला के आसपास की भूमि इस मैदान में जल विभाजन का कार्य करती है क्योंकि इसके पूर्व की नदियां बंगाल की खाड़ी में और पश्चिम की नदी अरब सागर में गिरती है इस क्षेत्र में नदियों द्वारा जमा की गई जलोढ़ मिट्टी के जमाव से यहां की भूमिका होती है इसलिए इस क्षेत्र को भारत का नाच का कटोरा भी कहा जाता है।
प्रायद्वीपीय पठारी भाग
देखा जाए तो उत्तरी भारत की मैदान के दक्षिणी का पूरा भाग एक विस्तृत पठार है जो दुनिया के सबसे पुराने अस्थल खंड का अवशेष है या मुख्य तक गाड़ी और दानेदार कारीअंतरित से चट्टानों से बना होता है
प्राचीन भारत की भौगोलिक स्थिति
यह पठार तीनों और पहाड़ियों से घिरा हुआ है उत्तर में विंध्याचल तथा सतपुड़ा की पहाड़ियां है जिनके बीच नर्मदा नदी पश्चिम की ओर बहती है नर्मदा घाटी के उत्तर विंध्याचल चपाती ढाल बनाता है सतपुड़ा की पर्वत श्रेणी उत्तर भारत को दक्षिण भारत से अलग करती है और पूर्व की ओर महादेव पहाड़ी तथा मैकाल पहाड़ी के नाम से भी जानी जाती है सतपुड़ा के दक्षिणी अजंता की पहाड़ियां है प्रदीप के पश्चिमी किनारे पर पश्चिम घाट और पूर्वी किनारे पर पूर्वी घाट नामक पहाड़ियां है
भारत की भौगोलिक संरचना को समझाइए
पश्चिमी घाट पूर्वी घाट की अपेक्षा अधिक ऊंचा है और लगातार कई शामिल होकर 3500 फुट की ऊंचाई तक चला गया है और उसके साथ बंगाल की खाड़ी में गिरने वाली नदियों ने इसे कई स्थानों में काट डाला है यहां पर उत्तर से दक्षिण में महानदी गोदावरी कृष्णा कावेरी मुख्य नदियां प्रवाहित होती है। दक्षिण में पूर्वी और पश्चिमी घाट नीलगिरी की पहाड़ी में मिल जाते हैं जहां दोदाबेट्टा की 8760 फुट ऊंची चोटियां है
- दक्षिण में पूर्व और पश्चिम घाट नीलगिरी की पहाड़ियों में मिल जाते हैं
- दोदाबेट्टा की पहाड़ी 8760 फुट ऊंची चोटी है।
- नीलगिरी के दक्षिण अन्नामलाई तथा कारडैमोम इलायची की पहाड़ियां है
- अन्नामलाई पहाड़ी पर आने मूवी पठार की सबसे ऊंची चोटी 8840 फुट है ।
तटीय मैदान
- पठार के पश्चिमी भाग पूर्वी किनारों पर उपजाऊ 30 में दान मिलते हैं
- पश्चिमी तटीय मैदान संकृण है ।
- इस के उत्तरी भाग को कोकोनट और दक्षिणी भाग को मालाबार तट भी कहते हैं
- पूर्वी तटीय मैदान अपेक्षाकृत छोटा है और उत्तर में उड़ीसा से दक्षिण में कन्याकुमारी आंतरिक तक फैला हुआ है।
- महानदी गोदावरी कृष्णा कावेरी नदी का डेल्टा बनाती है वहां यह मैदान और भी अधिक सोडा हो गया है।
- मैदान का उत्तरी भाग उत्तरी सरकार का कहलाता है।
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