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भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

BHARTIY SVIDHAAN KI VISHESTA -भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?

हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी लेकर आ रह हु इस लेख में हम आपको BHARTIY SVIDHAAN KI VISHESTA -भारतीय संविधान की मुख्य विशेषताएं क्या हैं? से सम्बंधित सभी जानकारी को आपके लिए लेकर आ रहा हु यह लेख आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है 

BHARTIY SVIDHAAN KI VISHESTA 


भारतीय संविधान की विशेषताएं


भारतीय संविधान की प्रमुख विशेषताएं

  • सबसे लंबा और लिखित संविधान
  • विभिन्न स्त्रोतों से निर्मित संविधान
  • कठोरता एवं नम्यता का मिश्रण 
  • एकात्मक झुकाव के साथ संघीय प्रणाली 
  • सरकार का संसदीय स्वरूप
  • संसदीय संप्रभुता एवं न्यायिक सर्वोच्चता का संश्लेषण
  • एकीकृत एवं स्वतंत्र न्यायपालिका
  • मौलिक अधिकार
  • एक धर्मनिरपेक्ष राज्य
  • सर्व भौमिक वयस्क मताधिकार
  • एकल नागरिकता
  • स्वतंत्र निकाल
  • आपातकालीन प्रावधान
  • त्रि स्तरीय सरकार 
  • सरकारी समितियां

संविधान की चार विशेषताएं लिखिए UPSE 


लिखित एवं विस्तृत संविधान

  1. भारतीय संविधान एक लिखित और मिश्र संविधान है।
  2. भारत का संविधान अमेरिका के संविधान के समतुल्य माना जाता है।
  3. यह सबसे बड़ा लिखित संविधान है।
  4. मूल संविधान में एक प्रस्तावना 395 अनुच्छेद 22 भाग और 8 अनुसूचियां थी।
  5. वर्तमान में इसमें एक प्रस्तावना 465 अनुच्छेद ( संख्यांक 395 ) 25 भाग ( संख्या 22  ही है )  इसमें और 12 अनुसूचियां हैं 
  6. Bhartiya sanvidhan ke jatilta ke Karan hi kuchh logon ne ise vakilon ka Swarg kahan hai।
  7. भारतीय संविधान की जटिलता के कारण कुछ लोगों ने इसे वकीलों का स्वर्ग कहा है।

भारतीय संविधान की विशेषताएं


भारतीय संविधान की प्रस्तावना


भारतीय संविधान का प्रारंभिक उत्कृष्ट प्रस्तावना से होता है जिसमें जनता की भावनाएं और आकांक्षाएं मुख्य रूप से समाविष्ट होती है संविधान निर्माताओं की विचारों को जानने के लिए प्रस्तावना एक पूंजी की तरह कार्य करती है।

संप्रभुता संपन्न राज्य


संप्रभुता संपन्न राज्य उसे कहते हैं जो अपनी आंतरिक कथा विदेशी की नीतियों को स्वयं निर्धारित करता है तथा बाहरी नियंत्रण से स्वार्थ मुक्त हो और इस संबंध में भारत पूर्णता स्वतंत्र है 
भारत की संप्रभुता किसी विदेशी सत्ता में नहीं अभी तो भारत की जनता में नहीं थे जनता के द्वारा ही सरकार का निर्माण होता है यद्यपि भारत आजादी के बाद भी राष्ट्रमंडल और संयुक्त राष्ट्र संघ का एक सदस्य है लेकिन उसकी यह सदस्यता अपनी इच्छा अनुसार है।

लोकतंत्रात्मक गणराज्य

लोकतंत्रात्मक शब्द का अर्थ यह है कि भारत में प्रतिनिधित्व मुल्क प्रजातंत्र की स्थापना की गई है भारत एक लोकतांत्रिक गणराज्य है और भारत का शासन भारतीय जनता द्वारा निर्वाचित प्रतिनिधियों से ही संचालित होता है 
गणराज्य से आशय यह है कि राज्य के सभी नागरिकों को अपनी योग्यता अनुसार सभी छोटे बड़े पदों पर पहुंचने का अधिकार है और साथ ही भारतीय गणराज्य का अध्यक्ष राष्ट्रपति एक निर्वाचित व्यक्ति होगा जो ब्रिटेन की तरह अनुवांशिक व्यक्ति नहीं होगा।



भारतीय संविधान की विशेषताएं



संसदीय सरकार

  1. भारतीय संविधान में संसदीय प्रणाली को अपनाया गया है।
  2. भारतीय संविधान में संसदीय प्रणाली जो वेस्टर्न मिस्टर मॉडल इंग्लैंड पर आधारित है।
  3. इस प्रणाली में वास्तविक कार्यपालिका की शक्ति जनता के निर्वाचित प्रतिनिधि मंत्री परिषद में नहीं होती है 
  4. मंत्रिपरिषद का प्रमुख प्रधानमंत्री होता है।
  5. यह सामूहिक रूप से संसद के प्रति उत्तरदाई होती है।
  6. वैसे संविधान के अनुसार समस्त कार्यपालिका शक्ति राष्ट्रपति में नहीं सोती है
  7. राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिपरिषद की सलाह पर करता है।


मूल अधिकार

भारतीय संविधान के भाग 3 में नागरिकों के मूल अधिकारों का वर्णन किया गया है लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था में मूल अधिकारों की घोषणा संविधान की एक प्रमुख विशेषता होती है अधिकारों को संविधान में शामिल करने की प्रेरणा अमेरिका संविधान से मिली है।

राज्य के नीति निर्देशक तत्व

  1. संविधान के भाग 4 में कुछ ऐसी निदेशक तत्वों का उल्लेख किया गया है जिनका पालन करना राज्य का कर्तव्य है
  2. निदेशक तत्व के माध्यम से देश में कल्याणकारी राज्य की स्थापना का प्रावधान किया गया है।
  3. इस नीति निदेशक तत्वों की अवधारणा को आयरलैंड के संविधान से लिया गया था।
  4. ग्रेनविले ऑस्टिन ने नीति निर्देशक तत्वों को संविधान की आत्मा कहा है

एकीकृत एवं स्वतंत्र न्यायपालिका।

  1. भारत का संविधान एकीकृत एवं स्वतंत्र न्यायपालिका की स्थापना करता है
  2. भारतीय न्यायपालिका में शीर्ष स्तर पर सर्वोच्च न्यायालय है।
  3. राज्य में उच्च न्यायालय एवं अधीनस्थ न्यायालय होते हैं
  4. सर्वोच्च न्यायालय संगी अदालत है।
  5. जो संविधान एवं मौलिक अधिकारों की संरक्षक है।
  6. इसे संविधान में न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं।
  7. न्यायपालिका की स्वतंत्रता के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति वेतन भत्ता तथा पद से हटाए जाने के संबंध में संविधान में स्पष्ट प्रावधान किया गया है जिससे सरकार उन पर दबाव नहीं डाल सकती है

भारतीय संविधान की विशेषताएं



संसदीय सर्वोच्चता और न्याय सर्वोच्चता का संबंध 

  1. भारतीय संविधान में संसदीय सर्वोच्च का और न्यायपालिका की सर्वोच्चता के बीच एक अद्भुत संबंध में है।
  2. भारतीय संसद ना तो इंग्लैंड की संसद की तरह सर्वोच्च है और ना ही यहां की न्यायपालिका को अमेरिका की न्यायपालिका की तरह असीमित शक्तियां प्राप्त है।

कठोर एवं लचीला संविधान।

  1. भारतीय संविधान एक साथ कठोर तथा लचीलापन दोनों हैं।
  2. या कठोर इसलिए है कि इसके कुछ प्रावधानों में संशोधन करना अत्यंत कठिन है।
  3. जबकि अधिकांश प्रावधानों को संसद द्वारा साधारण बहुमत से संशोधित किया जा सकता है जो कि एक संविधान के लचीलापन को दर्शाता है।
  4. हमारे संविधान में महत्वपूर्ण संशोधन हुए हैं जिनमें से सातवा 42 वा 73 वा 74 वा संविधान संशोधन किया गया है
  5. अंतिम 2 संसाधनों में क्रमशः भाग 9  और भाग 9 क ,  में जोड़े गए हैं जो पंचायतों  और न्यायपालिका से संबंधित है 

एकल नागरिकता 

संघात्मक संविधान में साधारण नेता दोहरी नागरिकता एक संघ की और दूसरी राज्यों की होती है जैसे कि अमेरिका संविधान में दोहरी नागरिकता का प्रावधान है किंतु भारतीय संविधान केवल एक नागरिक को मान्यता प्रदान करता है। भारत का प्रत्येक नागरिक केवल भारत का नागरिक है ना की किसी प्रांत का जिसमें वह रहता है।


भारतीय संविधान की विशेषताएं



वयस्क मताधिकार 
  1. भारत में संसदीय शासन प्रणाली की व्यवस्था है 
  2. जिसमें देश का प्रशासन जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा किया जाता है।
  3. अतः संविधान प्रत्येक वर्ष के नागरिक को मत देने का अधिकार प्रदान करता है।
  4. संविधान के लागू होने के समय मतदान का अधिकार केवल उन्हें प्राप्त था जो 21 वर्ष की आयु पूरी कर चुके होते थे।
  5. लेकिन संविधान के 61 वें संविधान संशोधन 1989 के द्वारा मतदान की आयु 21 वर्ष से घटाकर 18 वर्ष कर दी गई थी ।
  6. वयस्क मताधिकार लोकतंत्र को विस्तृत आधार प्रदान करता ही है साथ ही आम नागरिकों के स्वाभिमान में भी वृद्धि करता है और समानता के सिद्धांत को लागू करता है।

केंद्रीय मुख्य संविधान

भारतीय संविधान की महत्व सोचता है कि यह संघात्मक होते हुए भी उसमें केंद्रीकरण की प्रबल प्रवृत्तियां है आपातकालीन परिस्थितियों में संविधान पूर्णता एकात्मक स्वरूप धारण कर लेता है।


पंथनिरपेक्ष राज 

  1. पंथनिरपेक्ष राज्य का आधारभूत सिद्धांत दिया होता है कि राज्य की ओर से धार्मिक मामलों में तटसता की नीति का पालन किया जाता है ।
  2. भारत एक धर्मनिरपेक्ष राज्य है इसलिए संविधान किसी धर्म विशेष को भारत राष्ट्र के धर्म के तौर पर मान्यता नहीं देता है।
  3. धर्मनिरपेक्षता की पश्चिमी अवधारणा जो  धर्म और राजनीति के संघर्ष  से उपजी है वह भारत जैसे बहुत धर्म वादी देश में लागू नहीं होती है। 
  4. भारत में सभी धर्मों के आधार के साथ धर्मनिरपेक्षता के सकारात्मक पहलुओं को शामिल किया गया है।
  5. भारतीय संविधान में सभी नागरिकों को धर्म विश्वास और उपासना की स्वतंत्रता दी गई है।

समाजवादी राज्य

समाजवादी राज्य की स्थापना संविधान का मूल उद्देश्य है जिससे प्रस्तावना में वर्णित सभी नागरिकों को आर्थिक न्याय प्रतिष्ठा तथा अवसर की समानता दिलाने के संकल्प में मिलता है।
समाजवादी शब्द संविधान में 42वां संशोधन द्वारा वर्ष 1976 में जोड़ा गया भारत समाजवाद लोकतांत्रिक विचारधारा पर आधारित समाजवाद है जिसका उद्देश्य विभिन्न वर्गों में असमानता समाप्त करके आर्थिक व सामाजिक शोषण को समाप्त करना है।


भारतीय संविधान की विशेषताएं



Mul kartavya , मूल कर्तव्य

42 वें संविधान संशोधन द्वारा संविधान में एक नया भाग 4 का एवं अनुच्छेद 51 का जोड़कर नागरिकों के मूल कर्तव्य को शामिल किया गया था

अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा।

भारतीय संविधान इस अर्थ में भी विशिष्ट है कि इसमें अल्पसंख्यक समुदाय के हितों को सुरक्षा प्रदान की गई है इसके लिए अनुच्छेद 29 में अल्पसंख्यकों को भाषा लिपि या संस्कृति को बनाए रखने तथा अनुच्छेद 30 के द्वारा शिक्षण संस्थाओं की स्थापना और प्रशासन करने का अधिकार होगा ।

विधि का शासन

भारतीय संविधान विधि के शासन की स्थापना करता है इसके अंतर्गत विधि के समक्ष सभी नागरिक सम्मान है तथा राज्य के सभी अंग एवं प्राधिकारी विधि द्वारा नियमित एवं नियंत्रित होते हैं


अनेक देशों के संवैधानिक तत्वों का समावेश।


  1. भारतीय संविधान की विशेषता का एक अन्य कारण इसमें विभिन्न देशों के संविधान में निहित महत्वपूर्ण तत्वों का समावेश है।
  2. विदेशी संविधान ओके अनेक बंधुओं को भारतीय वातावरण के अनुरूप डालकर संविधान में शामिल किया गया है।
  3. डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के शब्दों में कोई भी संविधान कितना भी अच्छा क्यों ना हो यदि उसे क्रियान्वित करने वाले बुरे व्यक्ति है तो संविधान भी बुरा हो जाएगा।

त्रिस्तरीय शासन , विकेंद्रीकरण व्यवस्था 

शासन संचालन में सुगमता व पारदर्शिता हेतु 73 वें और 74 वें संविधान संशोधन के माध्यम से स्थानीय शासन का उपयोग किया गया इस प्रकार केंद्र राज्य एवं स्थानीय स्तर पर त्रिस्तरीय शासन व्यवस्था को ओपन किया गया जो विश्व के अन्य संविधान में नहीं है।


दोस्तों हमने इस लेख में भारतीय सविंधान की विशेषता से सम्बंधित सभी जानकारी को हमने इस लेख में लिखा है और इसकी सभी जानकारी को हमने इस लेख में रखा है - भारतीय संविधान की विशेषताएं BHARTIY SVIDHAAN KI VISHESTA
NOTES संविधान की चार विशेषताएं लिखिए UPSE लिखित एवं विस्तृत संविधान भारतीय संविधान की प्रस्तावना की सभी जानकारी को देखेंगे .

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