मंत्री परिषद की संरचना से आप क्या समझते हैं? mantri parishad ki sarchna kya hai
हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया आज फिर आपके लिए एक महत्वपूर्ण जानकारी जो आपको किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है आप इस लेख में हम मंत्री परिषद की संरचना क्या है? mantri parishad की sarchna kya hai से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी को इस लेख में हम देखेंगे . जिससे आपको सभी परीक्षा में बहुत ही महत्वपूर्ण रहेगा .
मंत्री परिषद का गठन
मंत्री परिषद के गठन से हमारा आशय यह है कि प्रधानमंत्री सहित सभी मंत्री जैसे कैबिनेट राज्य एवं मंत्री इन सभी को मिलाकर मंत्री परिषद का गठन होता है
मंत्री परिषद का गठन कैसे होता है
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 74 के अनुसार राष्ट्रपति को उसके कर्तव्य के संपादन में सहायता एवं परामर्श के लिए एक मंत्री परिषद की आवश्यकता होती है जिसका प्रधानमंत्री मुखिया होता है अनुच्छेद 75 के अंतर्गत राष्ट्रपति सर्वप्रथम मंत्री परिषद के प्रमुख के रूप में प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है इसके बाद प्रधानमंत्री अपने दल के कुछ व्यक्तियों को राष्ट्रपति के माध्यम से मंत्रियों के रूप में नियुक्त करता है और फिर मंत्री राष्ट्रपति के प्रसाद पर्यांत अपना पद धारण करते हैं
सामूहिक रूप से मंत्री परिषद लोकसभा के प्रति उत्तरदाई होती है यदि कोई व्यक्ति 6 माह की अवधि तक संसद के किसी भी सदन का सदस्य नहीं रहता है तो उस अवधि की समाप्ति पर वह मंत्री नहीं रह सकता है।
प्रधानमंत्री की नियुक्ति -
- संविधान के अनुच्छेद 75 ( 1 ) के अनुसार प्रधानमंत्री की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा होती है और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह से करता है
- प्रधानमंत्री देश का मुखिया होता है वह विधायिका और कार्यपालिका दोनों का वास्तविक प्रधान होता है
- प्रधानमंत्री मंत्रियों और राष्ट्रपति के बीच संवाद के लिए एक मुख्य कड़ी होता है
- देखा जाए तो इन दोनों प्रकार की नियुक्तियों में राष्ट्रपति स्वतंत्र नहीं होता है लोकसभा में जिस दल का स्पष्ट बहुमत होगा उसी के नेता को राष्ट्रपति प्रधानमंत्री सुनेगा
- यदि लोकसभा में किसी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त नहीं होता है तब राष्ट्रपति अपने विवेक अनुसार उस व्यक्ति को प्रधानमंत्री बनने के लिए आमंत्रित करता है जिसको लोकसभा में बहुमत प्राप्त करने का विश्वास प्राप्त हो
मंत्रियों का चयन
- राष्ट्रपति प्रधानमंत्री के परामर्श पर मंत्रियों की नियुक्ति करता है
- अपने पद की शपथ लेने के पश्चात प्रधानमंत्री अन्य मंत्रियों के नामों और उनके विभागों की सूची राष्ट्रपति को देता है
- राष्ट्रपति उसी सूची को प्राथमिकता देकर अपनी स्वीकृति प्रदान करता है
मंत्रियों की योग्यताएं
- मंत्री परिषद का सदस्य बनने के लिए यह आवश्यक नहीं है कि कोई व्यक्ति संसद के किसी सदन का सदस्य हो
- लेकिन मंत्री बनने के बाद संसद का सदस्य ना होने पर उसे 6 महीने के अंदर संसद के किसी भी सदन का सदस्य बनाने वाली anuchchhed 75 ke anusar
- यदि उक्त अवधि में वह ऐसा करने में असफल रहता है तो उसे अपना पद छोड़ना पड़ेगा।
मंत्रियों द्वारा शपथ ग्रहण
मंत्रियों के पद ग्रहण से पूर्व प्रधानमंत्री सहित प्रत्येक मंत्री को अनुसूची 3 में दिए गए प्रारूप के अनुसार राष्ट्रपति के समक्ष पद और गोपनीयता की शपथ लेनी होती है
मंत्री परिषद का कार्यकाल
- मंत्री परिषद का कार्यकाल निश्चित नहीं होता है
- मंत्री परिषद तभी अपने पद पर रहते हैं जब तक लोकसभा का विश्वास प्राप्त होता है।
- लोकसभा का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है
- व्यक्तिगत रूप से किसी मंत्री का कार्यकाल प्रधानमंत्री का उसके प्रति विश्वास पर निर्भर करता है।
दोस्तों इस लेख में हमने आपको मंत्रिपरिषद से सम्बंधित जानकारी आपके सामने रखा है जिससे के यह लेख आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है इस लेख में आप मंत्री परिषद की संरचना से आप क्या समझते हैं? mantri parishad ki sarchna kya hai मंत्री परिषद का गठन मंत्री परिषद का गठन कैसे होता है प्रधानमंत्री की नियुक्ति से सम्बंधित सभी महत्वपूर्ण जानकारी आपको इस लेख में देखेंगे .
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