हड़प्पा कालीन गेहूं भारत के किस राज्य में है - hadappa kalin gehu ki kheti
हडप्पा सभ्यता
हड़प्पा कालीन गेहूं भारत के किस राज्य में है
हड़प्पा कालीन सोना मोती गेहूं की तरह दिखाई देते हैं क्योंकि गेहूं की संज्ञा सोने चांदी से दी गई है उस समय यह फसल बहुत ही महत्वपूर्ण फसल मानी जाती थी और बड़े और विकसित लोग ही गेहूं का उपयोग करते थे इतिहास के अनुसार माना जाता है कि हड़प्पा काल में गेहूं की फसल सबसे महंगी फसल या व्यापारिक फसल मानी जाती थी।
हड़प्पा कालीन गेहूं की जो फसल है वह पूरे भारत में अब मध्य प्रदेश में देखी जा रही है हड़प्पा कालीन गेहूं की फसल सोना मोती के समान देखी गई है यह मध्य प्रदेश के सागर जिले में उत्पन्न हुई है
सागर सम शुगर अधिक खनिज और फोलिक एसिड व प्रोटीन से भरपूर सोना मोती गेहूं प्रदेश की कई शहरों को सागर की ओर आकर्षित कर रहा है क्योंकि गेहूं की फसल मोती की तरह गोल और चमकदार दिखाई दे रही है यह फसल सागर में उत्पादित हो रही है और यह गोल-गोल सोने की तरह दिखाई देती है।
हडप्पा कालीन फसल
यह फसल हड़प्पा कालीन फसल मानी जाती है यह एक ऐसी फसल है जिसमें रसायनों का प्रयोग नहीं होता है सिर्फ जैविक खाद्य पदार्थ से इसका उत्पादन किया जाता है गोबर की जैविक खाद का प्रयोग इसमें किया गया है।
और खास चोकाने वाली बात यह है कि सागर में यह ₹ 9000 प्रति कुंतल बिकने वाली फसल अब बाहर 15 से 30000 रुपए प्रति कुंतल बिक रही है इससे किसानों को 2 गुना लाभ हो रहा है
हड़प्पा कालीन फसल का उत्पादन मध्य प्रदेश के साथ-साथ पंजाब महाराष्ट्र और बिहार में भी हो रहा है इसकी शुरुआत 2021-22 से प्रारंभ की गई थी इसकी शुरुआत करने के लिए सबसे पहले पहल कपिल मलैया ने की थी।
हड़प्पा कालीन फसल के महत्वपूर्ण फायदे
40% से ज्यादा प्रोटीन प्राप्त होता है
इसमें तीन गुना फॉलिकल एसिड पाया जाता है
इसमें डायबिटीज और हृदय रोग में फायदेमंद या फायदा होता है
267 प्रतिशत अधिक खनिज तत्व इसमें पाया जाता है
इसमें चीनी की मात्रा सबसे कम पाई जाती है।
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