MP OF CLIMATE - मध्य प्रदेश की जलवायु
हेलो दोस्तों में अनिल कुमार पलाशिया palashiyaclasses एक बार आपके लिए एक बहुत ही महत्वपूर्ण पोस्ट लेकर आया हु .MP. OF CLIMATE मध्य प्रदेश की जलवायु को लेकर आया हु . यह पोस्ट आपलोगो को बहुत पसंद आएगी . इस पोस्ट में हम मध्यप्रदेश का एक महत्वपूर्ण पोस्ट को लेकर आ रहे है . इस पोस्ट में जलवायु से सम्बंधित सभी जानकारी को देखेंगे .
M.P. OF CLIMATE [ मध्य प्रदेश की जलवायु ]
इस टोपिक में हम
- मध्य प्रदेश की जलवायु ,
- जलवायु से सम्बन्धित सभी तथ्य ,
- प्राकृतिक विभाग ,
- मोसम परिवर्तन ,
- किस मोसम में कैसी खेती होती है
जलवायु मोसम की दशाओ का सामान्यी कृत स्वरूप है इसमें वर्ष भर या इससे भी लम्बे काल की ओसत दशाओ को महत्त्व दिया जाता है मोसम की दशा के अन्तरगत तापमान , वर्षा , आद्रता , वायुदाब , वयुदिशा , वायु विक्षोप ,आदि तत्वों की ओसत दिशा ज्ञात की जाती है मोसम के अन्तरगत अल्पकालीन और जलवायु में दीर्घकालीन दशाओ के सामान्यीकरण काक समग्र स्वरूप होता है .
मध्य प्रदेश में मानसून :-
- मध्य प्रदेश भारत का दूसरा बड़ा राज्य है
- इसकी विशालता के कारण राज्य के विभिन्न भागो में भिन्न - भिन्न प्रकार की जलवायु दशाये पाया जाना है
- मध्यप्रदेश की जलवायु मानसूनी है
- कर्क रेखा प्रदेश के लगभग मध्य भाग से गुजरती है
- अत : 21 मार्च के बाद सूर्य उत्तरायण होने लगता है
- अत : प्रदेश गर्म होने लगता है सूर्य की क्षेतिज किरणे लंभबत होती जाती है तथा 21 जून को कर्क रेखा के निकट सूर्य लम्बत होता है . तेज धुप से राज्य का तापमान बढ़ता है जिसे उत्तर - पश्चिम भाग में न्यून वायुदाव का केंद्र स्थापित होता है
इस काल में हिन्द महासागर .पर आपेक्षाकृत तापमान कम और वायुदाव अधिक होता है वायुदाव का ढाल दक्षिण से पश्चिम की और होता है और वायु भी उसी दिशा में बहती है जून तक उत्तर - पश्चिम का न्यून वायुदाव केंद्र इतना तीव्र हो जाता है की न केवल समीपावर्ती समुदरो की हवाए स्थल की और आने लगती है बल्कि हिन्द महासागर के दक्षिणी भाग में हवाए आकर्षित होने लगती है समुद्रो से आने वाली इन मानसूनी हवाओ से मध्य प्रदेश में वर्षा होती है 21 सितम्बर के उपरांत सूर्य दक्षिणयान होने लगता है सूर्य की किरणे तिरछी होने लगती है .
जिसके फलस्वरूप प्रदेश का तापमान गिरने लगता है हिन्द महासागर पर सूर्य की किरने अपेक्षाकृत सीधी पड़ती है व तापमान अधिक होता है इसके फलस्वरूप न्यून वायुदाव पाया जाता है .
जनवरी माह में लगभग 1025 मिलिबार की समदाब रेखा भारत के बिलकुल दक्षिण भाग में तथा हिन्द महासागर से गुजरती है अत : पवनो की दिशा स्थल से जल की और अर्थात उत्तर - पूर्व से दक्षिण - पश्चिम की और हो जाती है यह शुष्क मानसून होता है जो केवल कही - कही स्थानीय वर्षा प्रदान करता है इन दिनों उत्तर - पश्चिम भारत में जाड़े के मोसम में चक्रवात से कुछ वर्षा अवश्य हो जाती है जाड़े और गर्मी दोनों ही मोसम में वायुदाव की रेखाए पूर्व से पश्चिम की और जाती है मध्यप्रदेश समुद्र से दूर होने के कारण यहाँ पर समुद्री प्रभाव नहीं पहुचता इस कारण यहाँ पर वर्षा भी कम होती है और वार्षिक और देनिक तापान्तर भी अधिक होता है .
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य :-
- मध्यप्रदेश की जलवायु मानसूनी जलवायु है .
- वायुदाव का ढाल किस और है - दक्षिण से पश्चिम की और .
- कर्क रेखा लगभग मध्यप्रदेश में गुजरती है - मध्य भाग .
- मार्च में उत्तरायण होने के बाद तापमान बड़ने लगता है .
- मार्च के महीने में ग्वालियर में तापमान 32.9 डिग्री होता है .
- मई के महीने में मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा गर्म होता है .
- मार्च से मई के महीने में सबसे जयादा गर्म होता है .
तापमान का विवरण :-
मध्यप्रदेश में तापमान का सीधा संबध समुद्र की निकटता तथा समुद्र तल की उचाई से होता है मार्च में सूर्य के उत्तराय होते ही सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में तापमान बढता है . ग्वालियर नगर में मार्च में तापमान 32.9 डिग्री होता है सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में मई के महीने में सबसे गर्म होता है . मध्यप्रदेश में मार्च से मई के महीने में सबसे ज्यादा गर्म होता है . राज्य में मई के महीने में सबसे कम तापमान पंचमणि में मापा गया है . मध्यप्रदेश में जून के महीने की अपेक्षा जुलाई में तापमान कम हो जाता है राज्य में सितम्बर तक तापमान में भिन्ता नहीं देखि जाती है सितम्बर -अक्तूबर माह में कुछ तापमान में कमी होती है .
वर्षा का विवरण :-
मध्यप्रदेश मानसून से वर्षा प्राप्त करता है अधिकांश वर्षा जून से सितम्बर के मध्य होती है इन चार महीनो में 80 / से 90 % तक वर्षा होती है यह वर्षा उन हवाओ दुवारा होती है जिन्हें दक्षिण - पश्चिम मानसून कहते है दिसम्बर जनबरी में कुछ वर्षा चक्रवात से होता है अन्य महीनो में बहुत कम वर्षा होती है मध्यप्रदेश में मानसून की वर्षा बंगाल की खाड़ी और अरब सागर दोनों क्षेत्रो से उठाने वाली हवाओ से होती है पश्चिमी भाग जव अरव सागर की तुलना से जल उठाने वाली हवाओ से पूर्वी भाग तक पहुचते - पहुचते बहुत कम जल रह जाता है अत : ग्वालियर और चम्बल सम्भाग में ओसत वार्षिक वर्षा बहुत कम होती है भिंड में 55 cm वर्षा अंकित की गई थी .
मध्यप्रदेश में ओसत वार्षिक वर्षा में स्थानीय भिन्ताये बहुत अधिक पाई जाती है भिन्ता का मुख्य कारण प्रदेश की भोतिक बनावट है 60 cm की सम्व्रष्टि रेखा मध्यप्रदेश को पूर्वी व पश्चिमी दो भागो में विभाजित करती है यह रेखा सतना , पन्ना , दमोह , सागर , रायसेन , होशंगाबाद , और बैतूल तक जाती है इसमें पूर्वी भाग मुख्यता चावल , व पश्चिम भाग गेहू व ज्वार के प्रदेश है
पश्चिमी मध्यप्रदेश की अपेक्षा कम वर्षा वाले भाग के मध्य महादेव की पहाड़ी पर लगभग 200 cm वर्षा होती है .
मध्यप्रदेश की ऋतूये .:- MADHYPRADESH KI JALVAYU
मध्यप्रदेश में सामान्यता 3 प्रकार की ऋतू पाई जाती है . ग्रीष्म ऋतू , वर्षा ऋतू , शीत ऋतू .
ग्रीष्म ऋतू :- MP RITU
मध्यप्रदेश में ग्रीष्म ऋतू मार्च के मध्य तक रहती है यह साधारण : शुष्क प्रकार की होती है . ग्रीष्म ऋतू में मार्च के बाद तापमान में निरंतर वृधि होती जाती है तथा मई में लगभग सम्पूर्ण मध्यप्रदेश का तापमान 29.40 cm से ऊपर हो जाता है . मई में उत्तर - पश्चिम मध्यप्रदेश अपेक्षाकृत सुखा रहता है तथा जहा वनस्पति भी कम है अधिकतम तापमान का केंद्र होता है , ग्वालियर , मुरेना , दतिया को घेरती हुई 42.50 cm की समताप रेखा मिलती है इतना ही तापमान दक्षिणी बालाघाट में रहता है सम्पूर्ण पश्चिम मध्यप्रदेश में अप्रेल - मई में 2.5 cm से अधिक वर्षा नहीं होती है पूर्वी मध्यप्रदेश में ओसत वर्षा 2.5 -से 12.5 cm हो जाती है इस ऋतू में आद्रता बहुत कम रहती है आकाश स्वच्छ रहता है वे तेज धुल भरी हवाए चलती है .
वर्षा ऋतू :-
मध्यप्रदेश में जून के मध्य तक वर्षा प्रारम्भ हो जाती है जून से वायु में आद्रता बढने लगती है क्योकि सागर के ऊपर से आने वाली अवय उत्तर - पश्चिम मध्यप्रदेश में हवाओ की और आकर्षित होने लगती है सम्पूर्ण पश्चिमी मध्यप्रदेश में हवाओ की दिशा पश्चिम व दक्षिण में पेंच नदी की घाटी में प्रवेश करती है जिनसे निकटवर्ती पर्वतीय व ऊँचे पठारीय व ऊँचे पठारी प्रदेशो में अधिक वर्षा होती है यहाँ पर जून और जुलाई के तापमान मे अतर दिखाई देता है
शीत ऋतू :-
सितम्बर में सूर्य के दक्षिणयान होने के साथ ही ओसत तापमान में गिरावट आने लगती है वर्षा तथा आद्रता की अधिकता के कारण भी ऐसा होता है अक्तूबर में सम्पूर्ण मध्य प्रदेश का तापमान 20.9 डिग्री से 26.6 cm के मध्य रहता है सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में जनवरी में तापमान 21.1 डिग्री cm की रेखा मध्यप्रदेश को उत्तरीय व दक्षिणी दो भागो में वाटा गया है सम्पूर्ण उत्तरीय मध्यप्रदेश में तापमान 15 डिग्री cm से 18 डिग्री cm के मध्य रहता है जबकि दक्षिणी भाग में तापमान बढता जाता है बालाघाट , शिवनी , छिंदवाडा , बैतूल , खण्डवा व खरगोन में तापमान 18 डिग्री से 20 डिग्री cm के मध्य रहता है .
शुष्क मोसम स्वच्छ आकाश एम मंद हवाए , शीत ऋतू की मुख्य विशेषता है . रात्रि का तापमान गिरने से ऊँचे पठारी व पहाड़ी भागो में स्थानीय रूप से पला व कुहरा पड़ता है . दिसम्बर व जनवरी में उत्तर - पश्चिम मध्यप्रदेश में हाली वर्षा चक्रवात से हो जाती है . ये चक्रवात अधिकतर पश्चिम क्षेत्र से आते है .
महत्वपूर्ण जानकारी :-
- मध्यप्रदेश में ऋतू सम्बंधित बैद्शाला कहा पर है - इंदोर
- मध्यप्रदेश में सर्वाधिक वर्षा कहा रिकार्ड की गई है - पंचमणि .
- प्रदेश की सर्वाधिक तापान्तर किस माह में पाया जाता है - मई
- प्रदेश में शीतकालीन में पश्चिम विक्षोभ में होने वाली वर्षा को क्या कहते है - सिथाला .
- पंचमणि में ओसत वर्षा मापी गई है 212.3 cm
- मालवा का पठार सबसे गर्म महीना कोन -सा होता है - मई
- मध्यप्रदेश में सबसे कम वर्षा कहा होती है - भिंड
- मध्यप्रदेश में सर्वाधिक वर्षा कहा होती है - पंचमणि .
- मध्यप्रदेश की जलवायु सामान्यता है - उष्णकटिबंधीय मानसूनी जलवायु .
- मध्यप्रदेश की जलवायु को उष्णकटिबंधीय स्वरूप प्रदान करने में कोन - सा कारक प्रमुख रूप से उत्तर दाई है - कर्क रेखा .
- मध्यप्रदेश में नियुनतम वर्षा वाले जिले है - भिंड - मुरेना .
- राज्य में न्यूनतम तापमान होता है - जनवरी .
- मध्यप्रदेश की ओसत वार्षिक वर्षा कितनी है - 112 cm .
- किस तारिक में सूर्य उत्तरियान् होने लगते है - 21 मार्च .
- मध्यप्रदेश में वर्षा जून से अक्टूबर में मानी जाती है .
- मध्यप्रदेश में जून के मध्य से वर्षा प्रारम्भ हो जाती है .
- मध्यप्रदेश की ओसत वर्षा 112 cm है .
- मध्यप्रदेश के पूर्वी भाग में 140 cm से 165 cm वर्षा होती है
- पश्चिमी एवं उत्तरीय- पश्चिमी में वर्षा घटती रहती है .
- पश्चिम क्षेत्र में 50 cm तक वर्षा होती है .
- जबकि उत्तरीय -पश्चिमी भाग में 62 cm वर्षा होती है .
- संवर्षा की 125 की रेखा पूर्वी तथा पश्चिमी भागो विभाजित करती है यह समवर्षा रेखा सीधी , जबलपुर तथा सिवनी होकर गुजरती हे .
- निम्न वर्षा वाले क्षेत्र होते है - प्रदेश का उत्तर तथा उत्तर -पश्चिमी क्षेत्र आता है यहाँ वर्षा 75 cm वर्षा होती है इसके अंतर्गत भिंड , मुरेना ,शिवपुरी , ग्वालियर , मंदसोर ,नीमच जिले आते है
- ओसत से कम वर्षा वाले क्षेत्र उत्तर तथा उत्तरीय पूर्वी क्षेत्र आता है इस क्षेत्र में वर्षा 75 से 100 cm है इसके अन्तरगत छतरपुर , टीकमगड , पन्ना , सतना तथा सीधी जिले शामिल है
- प्रदेश में ओसत से अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में मध्यप्रदेश के जिले आते है - सागर , जबलपुर , कटनी , नरसिंहपुर , होशंगाबाद , रायसेन ,सीहोर , देवास ,इंदोर ,आदि जिले आते है इस क्षेत्र में 100 cm से 125 cm तक वर्षा होती है .
- प्रदेश में सर्वाधिक वर्षा का क्षेत्र दक्षिण तथा दक्षिणी -पूर्वी क्षेत्र है जिसमे 125 cm से 150 cm तक वर्षा आती है इसके अंतर्गत शहडोल , डिंडोरी , बैतूल , बालाघाट , छिंदवाडा , आदि जिले आते है .
तापमान :- मध्य प्रदेश की जलवायु MCQ
- 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बत चमकता है इस समय उत्तरी गोलार्द्ध पर ताप बढ़ जाता है .
- सर्वाधिक तापमान गंजबसोधा में 48.7 मापा गया .
- मध्यप्रदेश का ओसत ताप 21 डिग्री सेंटीग्रेड आँका गया .
- सबसे कम तापमान शिवपुरी का मापा गया .
- शीत ऋतू अधिकतम सुखा रहता है .
- प्रदेश में मार्च से मई तक तापमान तेजी से बढता है .
- प्रदेश में ओसत अधिकतम तापमान तथा न्यूनतम तापमान दिसंबर में पाया जाता है .
- प्रदेश का ओसत अधिकतम तापमान 33. 9 डिग्री सेंटीग्रेट है
- प्रदेश में सभी भागो में देनिक तापान्तर मार्च में सबसे अधिक है .
- 23 सितम्बर से सूर्य के दक्षिणीयान होने के साथ ही ओसत तापमान कम होने लगता है .
- मध्यप्रदेश में ऋतू सम्बंधित आकडे एकत्रित करने वाली बैद्शाला इंदोर मे है .
- भारत का हदय प्रदेश होने के कारण इसे इसकी जलवायु मानसूनी है .
- मध्यप्रदेश में कर्क रेखा गुजरती है इस कारण यहाँ पर अधिक गर्मी पड़ती है .
- जून के मध्य तक भिंड . मुरेना , ग्वालियर , दतिया जिलो में गर्मी अधिक पड़ती है .
- प्रदेश में वर्षा मानसूनी हवाओ के कारण होती है .
- मध्यप्रदेश में वर्षा अरव सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों और से होती है .
- मध्यप्रदेश में दुतीय गर्मी कहा जाता है -सितम्बर - अक्टूबर को .
- मध्यप्रदेश में अधिकतम देनिक तापान्तर मई के महीने में मापा गया है .
- मध्यप्रदेश में न्यूनतम तापमान शिवपुरी में है .
- मध्यप्रदेश में सर्वाधिक तापान्तर बढ़वानी में है .
- सूर्य का उत्तरायण होना 21 मार्च और 23 सितम्बर को सूर्य भूमध्य रेखा पर लम्भवत चमकता है जिससे दिन - रात बराबर है .
- मध्यप्रदेश की जलवायु उष्णकटिबंधीय है .
- कर्क रेखा मध्यप्रदेश के बीचो बिच है .
- कर्क रेखा मध्यप्रदेश के 14 जिलो से गुजरती है .
- दिसंबर एवं जनवरी में वर्षा चक्रवात के कारण होती है जिसे मावठा कहते है .
- असमान वर्षा के कारण मध्यप्रदेश को अकाल की पेटी भी कहा जाता है .
- मध्यप्रदेश में अक्टूबर में वर्षा को लोटते मानसून कहता है .
- निमाड़ के मैदान में कम वर्षा होती है .
मध्य प्रदेश में वर्षा
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धन्यबाद
अनिल कुमार पलाशिया
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